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हिंगोनिया गौशाला में क्षमता से ज्यादा रखे जा रहे है गौवंश, निगम नहीं बढ़ा रहा इंफ्रास्ट्रक्चर - जयपुर न्यूज

हिंगोनिया गौशाला में इन दिनो पशुओं की संख्या बढ़ने के कारण अक्षय पात्र ट्रस्ट को पशुओं के रख-रखाव में काफी दिक्कतों का सामना करणा पड़ता है. ऐसे में ट्रस्ट ने नगर निगम को कई बार पत्र लिखा है, लेकिन निगम के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही.

हिंगोनिया गौशाला न्यूज, jaipur news
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Published : Sep 8, 2019, 5:23 PM IST

जयपुर. हिंगोनिया गौशाला में एक बार फिर पहले जैसे हालात बनने शरु हो गए है. इस गौशाला में पशुओं को रखने की क्षमता महज आठ से दस हजार तक की ही है. लेकिन यहां 16 हजार से ज्यादा पशुओं को रखा जा रहा है.

बता दें कि दो साल पहले मानसून के समय में यह गौशाला गायों की कब्रगाह के रुप में तब्दील हो गई था. वहीं साल 2016 में गौशाला में गायों की मौत के बाद नगर निगम ने उसी साल अक्षय पात्र को गौशाला के रखरखाव की जिम्मेदारी सौंपी थी. उस समय गौशाला में 8 हजार पशु मौजूद थे.

जगह से ज्यादा रखे जा रहे है गौवंश

इसके बाद से नगर निगम की ओर से शहर को पशु मुक्त करने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत इस गौशाला में पशुओं की संख्या 16 हजार के पार पहुंच चुकी है. वहीं गौशाला में पशुओं की संख्या दोगुनी होने के बावजूद नगर निगम ने गौशाला का इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बढ़ाया.

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गौशाला में क्षमता से ज्यादा पशुओं को लेकर अक्षय पात्र ट्रस्ट ने भी नगर निगम को कई बार पत्र लिखा है. यही नहीं खुद मेयर विष्णु लाटा भी हिंगोनिया गौशाला का दौरा कर चुके हैं. लेकिन निगम ने अब तक कोई इस मामले में कोई कारवाई नही की है. फिलहाल हिंगोनिया गौशाला में 40 शेड्स वाले बाड़े मौजूद है. लेकिन गौशाला में पशुओं की संख्या को ध्यान में रखते हुए यहां 25 शेड्स की तत्काल आवश्यकता है.

इस संबंध में अक्षय पात्र ट्रस्ट के राधा प्रियदास ने बताया कि नगर निगम की ओर से शहर के आवारा पशुओं को पकड़कर हिंगोनिया पुनर्वास केंद्र में लाया जाता है. पिछले 5 महीने में हाईकोर्ट के कड़े निर्देश के चलते यहां गायों की संख्या लगातार बढ़ी है. उन्होंने बताया कि पुनर्वास केंद्र में आठ से दस हजार गोवंश रखने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद है, लेकिन अभी यहां करीब 16 हज़ार गोवंश है. ऐसे में पुनर्वास केंद्र में उनके रखरखाव में काफी दिक्कत आ रही है.

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हालांकि नगर निगम की पिछली एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक में हिंगोनिया गौशाला में शेड्स के लिए अनुदान पर सहमति बनी थी और इंजीनियरिंग डिविजन से मिली जानकारी के अनुसार उसका टेंडर भी हुआ है. ऐसे में देखना होगा कि खुले में रहने को मजबूर गौवंश को किसी हादसे से पहले गौशाला में व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाता है या नहीं.

जयपुर. हिंगोनिया गौशाला में एक बार फिर पहले जैसे हालात बनने शरु हो गए है. इस गौशाला में पशुओं को रखने की क्षमता महज आठ से दस हजार तक की ही है. लेकिन यहां 16 हजार से ज्यादा पशुओं को रखा जा रहा है.

बता दें कि दो साल पहले मानसून के समय में यह गौशाला गायों की कब्रगाह के रुप में तब्दील हो गई था. वहीं साल 2016 में गौशाला में गायों की मौत के बाद नगर निगम ने उसी साल अक्षय पात्र को गौशाला के रखरखाव की जिम्मेदारी सौंपी थी. उस समय गौशाला में 8 हजार पशु मौजूद थे.

जगह से ज्यादा रखे जा रहे है गौवंश

इसके बाद से नगर निगम की ओर से शहर को पशु मुक्त करने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत इस गौशाला में पशुओं की संख्या 16 हजार के पार पहुंच चुकी है. वहीं गौशाला में पशुओं की संख्या दोगुनी होने के बावजूद नगर निगम ने गौशाला का इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बढ़ाया.

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गौशाला में क्षमता से ज्यादा पशुओं को लेकर अक्षय पात्र ट्रस्ट ने भी नगर निगम को कई बार पत्र लिखा है. यही नहीं खुद मेयर विष्णु लाटा भी हिंगोनिया गौशाला का दौरा कर चुके हैं. लेकिन निगम ने अब तक कोई इस मामले में कोई कारवाई नही की है. फिलहाल हिंगोनिया गौशाला में 40 शेड्स वाले बाड़े मौजूद है. लेकिन गौशाला में पशुओं की संख्या को ध्यान में रखते हुए यहां 25 शेड्स की तत्काल आवश्यकता है.

इस संबंध में अक्षय पात्र ट्रस्ट के राधा प्रियदास ने बताया कि नगर निगम की ओर से शहर के आवारा पशुओं को पकड़कर हिंगोनिया पुनर्वास केंद्र में लाया जाता है. पिछले 5 महीने में हाईकोर्ट के कड़े निर्देश के चलते यहां गायों की संख्या लगातार बढ़ी है. उन्होंने बताया कि पुनर्वास केंद्र में आठ से दस हजार गोवंश रखने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद है, लेकिन अभी यहां करीब 16 हज़ार गोवंश है. ऐसे में पुनर्वास केंद्र में उनके रखरखाव में काफी दिक्कत आ रही है.

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हालांकि नगर निगम की पिछली एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक में हिंगोनिया गौशाला में शेड्स के लिए अनुदान पर सहमति बनी थी और इंजीनियरिंग डिविजन से मिली जानकारी के अनुसार उसका टेंडर भी हुआ है. ऐसे में देखना होगा कि खुले में रहने को मजबूर गौवंश को किसी हादसे से पहले गौशाला में व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाता है या नहीं.

Intro:जयपुर - हिंगोनिया गौशाला में फिर 2 साल पहले जैसे हालात बन सकते हैं। गौशाला में पशुओं को रखने की क्षमता महज 8 से 10 हजार है। जबकि यहां 16 हजार से ज्यादा पशुओं को रखा जा रहा है। 2 साल पहले मानसून में ये गौशाला गायों की कब्रगाह बन गई थी। और यदि यहां शेड्स वाले बाड़ों की संख्या नहीं बढ़ाई जाती, तो बिना शेड्स के खुले में रहने को मजबूर पशुधन के लिए ये जानलेवा साबित हो सकता है।


Body:साल 2016 में गौशाला में गायों की मौत के बाद नगर निगम ने उसी साल अक्षय पात्र को गौशाला रखरखाव की जिम्मेदारी सौंपी थी। तब गौशाला में 8000 पशु थे। इसके बाद से नगर निगम की ओर से शहर को पशु मुक्त करने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। जिसके चलते यहां पशुओं की संख्या 16 हज़ार के पार पहुंच चुकी है। गौशाला में पशुओं की संख्या दोगुनी होने के बावजूद नगर निगम ने गौशाला का इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बढ़ाया। गौशाला में क्षमता से ज्यादा पशुओं को लेकर अक्षय पात्र ट्रस्ट ने भी नगर निगम को कई बार पत्र लिखा है। यही नहीं खुद मेयर विष्णु लाटा भी हिंगोनिया गौशाला का दौरा कर चुके हैं। लेकिन निगम अभी भी उदासीन बना हुआ है। फिलहाल हिंगोनिया गौशाला में 40 शेड्स वाले बाड़े मौजूद है। लेकिन गौशाला में पशुओं की संख्या को ध्यान में रखते हुए यहां 25 शेड्स की तत्काल आवश्यकता है। इस संबंध में अक्षय पात्र ट्रस्ट के राधा प्रियदास ने बताया कि नगर निगम की ओर से शहर के आवारा पशुओं को पकड़कर हिंगोनिया पुनर्वास केंद्र में लाया जाता है। पिछले 5 महीने में हाईकोर्ट के कड़े निर्देश के चलते यहां गायों की संख्या बढ़ी है। उन्होंने बताया कि पुनर्वास केंद्र में 8 से 10 हज़ार गोवंश रखने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद है। लेकिन अभी यहां 16 हज़ार गोवंश है। ऐसे में पुनर्वास केंद्र में उनके रखरखाव में काफी दिक्कत आ रही है।
बाईट - राधा प्रियदास, अक्षय पात्र ट्रस्ट


Conclusion:हालांकि नगर निगम की पिछली एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक में हिंगोनिया गौशाला में शेड्स के लिए अनुदान पर सहमति बनी थी। और इंजीनियरिंग डिविजन से मिली जानकारी के अनुसार उसका टेंडर भी हुआ है। ऐसे में देखना होगा कि खुले में रहने को मजबूर गौवंश को किसी हादसे से पहले गौशाला में व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाता है या नहीं।
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