जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अलवर में मॉब लिंचिंग के दौरान व्यक्ति की जान बचाने के बावजूद कांस्टेबल को गैलेंट्री प्रमोशन नहीं देने पर प्रमुख गृह सचिव, डीजीपी, जयपुर रेंज आईजी और अलवर एसपी से जवाब मांगा है. जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश केदारमल गुर्जर की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा ने अदालत को बताया कि वर्ष 2019 में अलवर के सदर थाने में पदस्थापन के दौरान याचिकाकर्ता को वायरलेस पर मॉब लिंचिंग की जानकारी मिली थी. इस पर उसने घटनास्थल के पास स्थित चिकानी चौकी इंचार्ज हैड कांस्टेबल हरिओम और थानाधिकारी को लेकर मौके के लिए रवाना हो गया. मौके पर सैकड़ों लोगों की भीड़ हाकम अली नाम के व्यक्ति को बुरी तरह पीट रही थी. यह देखकर चौकी इंचार्ज हरिओम साइड में जाकर खड़ा गया और याचिकाकर्ता ने बहादुरी दिखाते हुए लाठी लेकर भीड़ को नियंत्रित कर हाकम अली को बचाया.
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वहीं कुछ ही घंटों में मारपीट करने वाले लोगों को भी गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश दिया गया. याचिका में कहा गया कि चौकी इंचार्ज हरिओम ने घटना को लेकर अधिकारियों से सांठगांठ कर अपना नाम गैलेंट्री प्रमोशन के लिए भिजवा दिया. जबकि घटना में उसने कोई बहादुरी का काम नहीं किया था. वहीं जब याचिकाकर्ता को इसकी जानकारी मिली, तो उसने उच्चाधिकारियों को प्रतिवेदन देकर घटना में खुद की भूमिका के बारे में बताया.
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इस पर थानाधिकारी व सीओ ने उसका नाम प्रमोशन के लिए भेजा, लेकिन एसपी ने उसकी फाइल पर कुछ नहीं किया. इस पर याचिकाकर्ता ने पुनः उच्चाधिकारियों को अभ्यावेदन दिया. उच्चाधिकारियों की जांच में याचिकाकर्ता की भूमिका सही पाई गई. इस पर एसपी ने प्रमोशन के लिए याचिकाकर्ता का नाम उच्चाधिकारियों को भेजा. याचिका में कहा गया कि इसके बावजूद याचिकाकर्ता को अभी तक गैलेंट्री प्रमोशन नहीं दिया गया है. जबकि हैड कांस्टेबल हरिओम को गैलेंट्री प्रमोशन देकर दो साल पहले ही एएसआई बनाया जा चुका है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.