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BJP MLAs Accepted I Phone: भाजपा में आईफोन को लेकर कंफ्यूजन, बोली कांग्रेस- पीएम के नाम पर रचा 'नाटक' - BJP MLAs Accepts I Phone

2022-23 का बजट पटल पर रखने के बाद बतौर गिफ्ट सीएम अशोक गहलोत ने सदन के सभी सदस्यों को आईफोन देने की घोषणा की. सबको मिले भी लेकिन भाजपा के अधिकांश सदस्यों ने लौटा दिया. अब साल भर बाद तस्वीर बदल गई है.

BJP MLAs Accepted I Phone
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Published : Feb 17, 2023, 4:16 PM IST

भाजपा की I Phone को लेकर हां न पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में आईफोन को लेकर सियासी बयानबाजी जारी है. पिछले वर्ष वापस लौट आए आईफोन -13 को इस बार बजट सत्र में भाजपा विधायकों ने वापस लेना शुरू कर दिया है. विपक्ष के कई विधायकों ने गुरुवार को विधानसभा में यह फोन वापस लिए, तो कांग्रेस की ओर से तंज कसे गए. पार्टी ने कहा लेने की इच्छा तो बीजेपी विधायकों की पहले भी थी लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर नौटंकी कर रहे थे. अब वह बताएं कि क्या आईफोन लेने का भी निर्णय पीएम मोदी करेंगे ?

पहले विरोध अब तोहफा कबूल - गहलोत सरकार की ओर से पिछले साल विधानसभा के सभी 200 सदस्यों को आईफोन 13 दिए गए थे. लेकिन भाजपा के सभी 71 विधायकों ने विरोधस्वरूप फोन लौटा दिए. कुछ विधायकों ने फोन ले लिए थे लेकिन बाद में पार्टी के स्तर पर तय होने के बाद वापस लौटा दिए. इस बार विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने विपक्ष के सभी सदस्यों से आग्रह किया कि वह सरकार की ओर से दिए गए आईफोन को ले लें. स्पीकर की अपील भाजपा नेताओं को रास आ गई. गुरुवार को नेता प्रतिपक्ष की गुलाबचंद कटारिया के विदाई समारोह से पहले विपक्षी विधायकों ने आईफोन लेना शुरू कर दिया कुछ ने आज भी हामी भरी.

ये पार्टी की अनुमति का मामला है- बीजेपी विधायक वासुदेव देवनानी कहा कि उन्होंने आईफोन वापस नहीं लिया है , लेकिन अगर पार्टी स्तर पर निर्णय हो गया और सब वापस ले रहे हैं तो में भी ले लूंगा. वहीं बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने कहा कि उन्होंने गुरुवार को ही आईफोन ले लिया था, पार्टी के स्तर पर जो तय हुआ है उसके अनुरूप ही फोन लिए गए हैं.

कांग्रेस बोली सब नाटक- उपमुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी ने कहा कि बीजेपी के विधानसभा सदस्य नौटंकी कर रहे थे. पहले भी उनकी मंशा फोन लेने की थी और उन्होंने ले भी लिए थे लेकिन बाद में पार्टी के स्तर पर हुए निर्णय के बाद उन्होंने बेमन से फोन वापस लौट दिए थे. चौधरी ने कहा कि बीजेपी के साथी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम लेकर कह रहे थे कि उन्होंने जो निर्देश दिए उसके अनुसार फोन ले रहे हैं. तो वह यह बता दें कि क्या उनका फोन नहीं लेने का निर्णय भी दिल्ली में, प्रधानमंत्री स्तर पर लिया जाएगा ?

पढ़ें-Bharatpur Muslim Men Burnt Alive: कांग्रेस ने लिया बजरंग दल का नाम, भाजपा बोली- न दें राजनैतिक रंग

फिजूलखर्ची के आरोप के साथ किया था इनकार- आईफोन 13 देने के पीछे सरकार ने सदन की कार्यवाही को पेपर लेस करना बताया था. सरकार ने फोन देते वक्त कहा था कि अब तक जो विधायक पेपरलेस और अपडेटेड नहीं थे, वे सभी अब अपडेटेड रहेंगे और स्मार्ट बनेंगे. आईफोन में विधेयक, कार्यसूची, बजट भाषण, राज्यपाल के अभिभाषण के साथ विधानसभा की कार्यवाही का विवरण भी उपलब्ध है. सरकार की ओर से दिए गए फोन पर विपक्ष ने आरोप लगाया था कि यह फिजूलखर्ची है. सरकार ने आईफोन खरीदी में 1.5 करोड़ से ज्यादा रुपये खर्च किए , एक आईफोन की कीमत 75 हजार से एक लाख रुपए तक है.

भाजपा की I Phone को लेकर हां न पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में आईफोन को लेकर सियासी बयानबाजी जारी है. पिछले वर्ष वापस लौट आए आईफोन -13 को इस बार बजट सत्र में भाजपा विधायकों ने वापस लेना शुरू कर दिया है. विपक्ष के कई विधायकों ने गुरुवार को विधानसभा में यह फोन वापस लिए, तो कांग्रेस की ओर से तंज कसे गए. पार्टी ने कहा लेने की इच्छा तो बीजेपी विधायकों की पहले भी थी लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर नौटंकी कर रहे थे. अब वह बताएं कि क्या आईफोन लेने का भी निर्णय पीएम मोदी करेंगे ?

पहले विरोध अब तोहफा कबूल - गहलोत सरकार की ओर से पिछले साल विधानसभा के सभी 200 सदस्यों को आईफोन 13 दिए गए थे. लेकिन भाजपा के सभी 71 विधायकों ने विरोधस्वरूप फोन लौटा दिए. कुछ विधायकों ने फोन ले लिए थे लेकिन बाद में पार्टी के स्तर पर तय होने के बाद वापस लौटा दिए. इस बार विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने विपक्ष के सभी सदस्यों से आग्रह किया कि वह सरकार की ओर से दिए गए आईफोन को ले लें. स्पीकर की अपील भाजपा नेताओं को रास आ गई. गुरुवार को नेता प्रतिपक्ष की गुलाबचंद कटारिया के विदाई समारोह से पहले विपक्षी विधायकों ने आईफोन लेना शुरू कर दिया कुछ ने आज भी हामी भरी.

ये पार्टी की अनुमति का मामला है- बीजेपी विधायक वासुदेव देवनानी कहा कि उन्होंने आईफोन वापस नहीं लिया है , लेकिन अगर पार्टी स्तर पर निर्णय हो गया और सब वापस ले रहे हैं तो में भी ले लूंगा. वहीं बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने कहा कि उन्होंने गुरुवार को ही आईफोन ले लिया था, पार्टी के स्तर पर जो तय हुआ है उसके अनुरूप ही फोन लिए गए हैं.

कांग्रेस बोली सब नाटक- उपमुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी ने कहा कि बीजेपी के विधानसभा सदस्य नौटंकी कर रहे थे. पहले भी उनकी मंशा फोन लेने की थी और उन्होंने ले भी लिए थे लेकिन बाद में पार्टी के स्तर पर हुए निर्णय के बाद उन्होंने बेमन से फोन वापस लौट दिए थे. चौधरी ने कहा कि बीजेपी के साथी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम लेकर कह रहे थे कि उन्होंने जो निर्देश दिए उसके अनुसार फोन ले रहे हैं. तो वह यह बता दें कि क्या उनका फोन नहीं लेने का निर्णय भी दिल्ली में, प्रधानमंत्री स्तर पर लिया जाएगा ?

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फिजूलखर्ची के आरोप के साथ किया था इनकार- आईफोन 13 देने के पीछे सरकार ने सदन की कार्यवाही को पेपर लेस करना बताया था. सरकार ने फोन देते वक्त कहा था कि अब तक जो विधायक पेपरलेस और अपडेटेड नहीं थे, वे सभी अब अपडेटेड रहेंगे और स्मार्ट बनेंगे. आईफोन में विधेयक, कार्यसूची, बजट भाषण, राज्यपाल के अभिभाषण के साथ विधानसभा की कार्यवाही का विवरण भी उपलब्ध है. सरकार की ओर से दिए गए फोन पर विपक्ष ने आरोप लगाया था कि यह फिजूलखर्ची है. सरकार ने आईफोन खरीदी में 1.5 करोड़ से ज्यादा रुपये खर्च किए , एक आईफोन की कीमत 75 हजार से एक लाख रुपए तक है.

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