जयपुर. कोरोना संकट के बीच प्रदेश के करीब 20 लाख से अधिक विद्यार्थियों का भविष्य भी संकट में है. ये विद्यार्थी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले हैं. जिनकी परीक्षा को लेकर असमंजस बना हुआ है ऐसे में अब सरकार ने एक कमेटी बनाई है जो 15 दिन में यह फैसला लेगी कि कॉलेज और विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की परीक्षा होगी या उन्हें एक बार फिर प्रमोट किया जाएगा. उच्च शिक्षा मंत्री भंवरसिंह भाटी की ओर से गठित की गई इस कमेटी में चार कुलपति के साथ ही कॉलेज शिक्षा आयुक्त और संयुक्त सचिव भी शामिल हैं.
बताया गया है कि लॉ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. देवस्वरूप इस कमेटी के संयोजक हैं. यह कमेटी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, एआईसीटीई, एनसीटीई और बीसीआई के मापदंडों को ध्यान में रखते हुए 15 दिन में सरकार को अपनी रिपोर्ट देगी. इस रिपोर्ट के आधार पर ही प्रदेश के करीब 20 लाख विद्यार्थियों का भविष्य टिका हुआ है कि उनकी परीक्षा ली जाएगी या प्रमोट किया जाएगा. कमेटी ही प्रदेश में ऑनलाइन या ऑफलाइन परीक्षा करवाने का और जिन कक्षाओं में प्रमोट करना संभव होगा उनमें प्रमोट करने का फार्मूला तय करेगी.
इसके साथ ही यह कमेटी कोर्स में कमी करने, परीक्षा पेपर में विकल्प देने, परीक्षा का समय कम करने, कॉपियों के मूल्यांकन से लेकर परिणाम जारी करने और नया शैक्षणिक सत्र शुरू करने के बारे में भी अपने सुझाव देगी.
इस उच्च स्तरीय कमेटी के संयोजक लॉ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. देवस्वरूप होंगे. जबकि बांसवाड़ा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आईवी त्रिवेदी, उदयपुर विवि के कुलपति प्रो. अमरीका सिंह, पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति ओम थानवी, कॉलेज शिक्षा आयुक्त संदेश नायक और उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव डॉ. मोहम्मद नईम को कमेटी में सदस्य सचिव बनाया गया है.
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बता दें कि पिछले साल कोरोना संकट के चलते कुछ कक्षाओं की परीक्षाएं हुई थी और कुछ कक्षाओं के परीक्षार्थियों को प्रमोट किया गया था. लेकिन इसे लेकर हर विश्वविद्यालय की अपनी अलग नीति थी. किसी विश्वविद्यालय ने अंकतालिका में नम्बर अंकित किए थे तो किसी विश्वविद्यालय ने नहीं किए थे. जबकि कहीं पर अंकतालिका में प्रमोटेड शब्द इस्तेमाल किया गया था. अब इस उच्चस्तरीय कमेटी की रिपोर्ट को प्रदेश की सभी विश्वविद्यालयों में समान रूप से लागू किया जाएगा.
वर्तमान में सरकारी कॉलेजों के प्रथम वर्ष में 1.71 लाख विद्यार्थी हैं. इस साल 1776 कॉलेजों में 12.59 लाख नामांकन हुए हैं. राजस्थान विश्वविद्यालय ने पिछले वर्ष प्रथम और द्वितीय वर्ष के करीब 3 लाख विद्यार्थियों को प्रमोट किया गया था जबकि इस बार स्नातक और स्नातकोत्तर में कुल मिलाकर 5.46 लाख विद्यार्थी हैं. निजी विश्वविद्यालय, तकनीकी शिक्षा और अन्य को मिलाकर करीब 20 लाख विद्यार्थी हैं.