जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वर्ष 1983 में लगे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के बाद अदालती आदेश के बावजूद नियमित मानते हुए परिलाभ नहीं देने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि कर्मचारी के परिजनों को पूरा बकाया अदा किया जाए. ऐसा नहीं करने पर अदालत ने 23 मई को पंचायती राज विभाग के संबंधित अफसर को हाजिर होने के आदेश दिए हैं. जस्टिस महेन्द्र गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश लाला राम सैनी की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान अदालती आदेश की पालना में पंचायती राज सचिव नवीन जैन हाजिर हुए. उन्होंने बानसूर पंचायत समिति के विकास अधिकारी की ओर से जारी गत 8 मई के आदेश को पेश कर कहा कि अदालती आदेश की पालना में संपूर्ण बकाया भुगतान के आदेश दे दिए गए हैं. ऐसे में आदेश की पालना सुनिश्चित करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने भुगतान नहीं होने पर संबंधित अधिकारी को हाजिर होने के आदेश दिए हैं.
याचिका में अधिवक्ता तरुण चौधरी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता वर्ष 1983 में बानसूर पंचायत समिति में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी लगा था. वहीं जुलाई, 2020 में उसे अस्थाई कर्मचारी के रूप में ही सेवानिवृत्त कर दिया. इसके खिलाफ कर्मचारी ने हाईकोर्ट में याचिका पेश की. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने 21 जनवरी, 2021 को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को वर्ष 1983 से नियमित मानकर समस्त परिलाभ देने के आदेश दिए.
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वहीं राज्य सरकार ने एकलपीठ के इस आदेश के खिलाफ खंडपीठ में अपील पेश की. दूसरी ओर याचिकाकर्ता की 3 सितंबर, 2021 को मौत हो गई. वहीं खंडपीठ ने भी 6 मई, 2022 को राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी. इसके बावजूद भी आदेश की पालना नहीं की गई. इस पर अदालत ने अवमानना याचिका पर सुनवाई पंचायती राज विभाग के अधिकारी हाजिर होने के आदेश दिए थे. जिसकी पालना में पंचायती राज सचिव नवीन जैन हाजिर हुए थे.