चाकसू (जयपुर). वैसे तो केंद्र सरकार मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया की बात कर रही है, लेकिन चाकसू डाकघर की दुर्दशा देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों पर पानी फिरता नजर आ रहा है. राजधानी जयपुर से केवल 45 किलोमीटर दूर दशकों पहले बना चाकसू डाकघर का भवन अब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. साथ ही यहां काम करने वाले पोस्टमास्टर और अन्य कर्मचारियों के साथ ही डाकघर में आने वाले हर उपभोक्ता की जान पर भी भारी पड़ रहा है. दशकों पहले बने भवन की दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें साफ तौर पर देखी जा सकती है. यहा परिसर की छत से प्लास्टर उखड़ चुका है. बारिश के दौरान यहां हादसा होने का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है.
डाकघर में काम करने वाले कर्मचारियों कहना है कि भवन की जर्जर स्थिति के चलते सभी कर्मचारी और आने वाले उपभोक्ता भी डरते हैं. इस डाकघर में आने से चोटिल होने का अंदेशा बना रहता है. बारिश के दौरान छत से पानी लगातार टपकता रहता है. ऐसे में उपकरण खराब होने के साथ ही दस्तावेज भीगने का खतरा बना रहता है. यहां तक कि डाकघर में प्रवेश द्वार पर जो छज्जा बना हुआ है, वो भी पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. छज्जे से प्लास्टर पूरी तरह से उतर चुका है और केवल लोहे का जाल ही नजर आता है. बताया जा रहा है कि डाकघर की जर्जर स्थिति से कई बार उच्च अधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है, लेकिन थोड़ी बहुत रिपेयरिंग कर कार्य की इतिश्री कर ली जाती है और खतरा ज्यों का त्यों बरकरार रहता है.
डाकघर के कर्मचारी किशोरीलाल सैनी का कहना है कि बारिश के मौसम में सिलन के चलते छत का प्लास्टर गिरता रहता है और भवन में अब दरारें ही दरारें हो रही हैं, जिससे हादसे का डर बना हमेशा रहता है, हम डर के साए में रहकर नौकरी कर रहे हैं. बाहर से रंग-रोगन से चकाचक दिखने वाला डाकघर परिसर अंदर से पूरी तरह जर्जर हो चुका है, जिसके चलते कभी भी बड़ी अनहोनी हो सकती है और जानमाल का नुकसान हो सकता है.
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वहीं, इस मामले में डाकघर के पोस्टमास्टर दीपक मिश्रा का कहना है कि भवन जर्जर हालात में है. लेकिन अब काम तो करना ही पड़ेगा. बारिश के मौसम में छत टपकती है और छत का प्लास्टर गिर जाता है, जिससे मशीनें डाकघर में मौजूद उपकरणों के क्षतिग्रस्त होने और कर्मचारियों के चोटिल होने का अंदेशा बना रहता है. भवन की जर्जर स्थिति से कई बार उच्च अधिकारियों तक बात पहुंचाई गई है, लेकिन अभी तक भवन निर्माण को लेकर उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला है.
दूसरी ओर डाकघर में बना हुआ शौचालय भी पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. इसकी छत का प्लास्टर भी गिर गया, जिससे ये कभी भी धराशायी हो सकता है. हालांकि, इसकी जर्जर अवस्था को देखते हुए नया शौचालय परिसर में बना दिया गया है. लेकिन, जर्जर हालात में खड़ा शौचालय किसी की जान पर भारी पड़ सकता है.
वहीं, पोस्ट ऑफिस कार्यालय में पैसे जमा कराने आए ग्राहक छोटूराम सैनी और रामावतार ने बताया कि हम यहां पैसे जमा कराने आए है, लेकिन यहां तो भवन की छत का प्लास्टर भी गिरा हुआ है और भवन जर्जर हो रहा है. जगह-जगह दरारें हैं, जिससे यहां खड़े रहने में भी डर लगता है कि कहीं कोई हादसा ना हो जाए.