जयपुर. वाहनों के साथ ही अब पशुधन की चोरी की वारदातें बढ़ती जा रही है. जयपुर की बगरू थाना पुलिस ने भैंस चोरी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करने में सफलता हासिल की है. भैंस भी वाहनों की कीमत से कम नहीं है. भैंसों की कीमत एक-एक लाख या उससे भी अधिक है. बगरू थाना पुलिस ने भैंस चोरी करने वाले गिरोह का खुलासा करते हुए पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है.
डीसीपी वेस्ट संजीव नैन ने बताया कि शनिवार को पुलिस ने आरोपी चिरंजी उर्फ चिरंजीत बागरिया, मांगीलाल उर्फ मांग्या, कालू उर्फ काला उर्फ भरोसी, मेवा बागरिया और नौरत्या उर्फ नवरतन उर्फ मुकेश को गिरफ्तार किया है. आरोपियों से विभिन्न थाना इलाकों की आधा दर्जन से अधिक वारदातों का भी खुलासा हुआ है. उन्होंने बताया कि पीड़ित बिहारी लाल गुर्जर ने थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि 20 दिसंबर की रात को बाड़े से अज्ञात चोर 4 भैंस और दो भैंस के पाड़े चोरी कर ले गए.
पुलिस ने वारदात को गंभीरता से लेते हुए एडिशनल डीसीपी वेस्ट राम सिंह शेखावत के निर्देशन में एसीपी बगरू अनिल शर्मा और बगरू थाना अधिकारी हरिश्चंद्र सोलंकी के नेतृत्व में स्पेशल टीम का गठन किया. पुलिस की स्पेशल टीम ने भैंस चोरी की वारदात को गंभीरता से लेते हुए घटनास्थल और आसपास के इलाकों से सीसीटीवी कैमरो के फुटेज खंगाले. सीसीटीवी फुटेज के आधार पर भैंसों की चोरी और चोरी के उपयोग में लिए गए वाहन का पता लगाया. पुलिस ने सीसीटीवी के आधार पर वाहन चोरी के बाद वाहन के उपयोग में लिए गए रूट को चिन्हित किया. पुलिस ने विभिन्न थाना इलाकों के करीब 300 सीसीटीवी कैमरों के वीडियो रिकॉर्डिंग चेक करके रूट मैप के आधार पर वारदात में शामिल आरोपियों को चिन्हित किया.
इस तरह पुलिस ने भैंस चोर गिरोह के पांच आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है. आरोपियों के कब्जे से चोरी की वारदात के उपयोग में ली गई बोलेरो पिकअप बरामद की गई है. आरोपियों को गिरफ्तार करके पूछताछ की जा रही है. पूछताछ में आरोपियों ने करीब आधा दर्जन से अधिक भैंस चोरी की वारदातें करना स्वीकार किया है. आरोपियों से पूछताछ में और भी कई वारदातों का खुलासा होने की संभावना है.
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ऐसे देते थे वारदातों को अंजाम : पुलिस के मुताबिक आरोपी दिन में अपनी मोटरसाइकिल से भैंस और पाड़े खरीदने के बहाने से विभिन्न गांवो में घूम फिर कर वारदात करने के लिए रेकी करते थे और स्थान चिह्नित करते थे. इसके बाद आरोपी रात के समय पिकअप गाड़ी लेकर जाते थे. पिकअप को वारदात के स्थान से दूर खड़ी कर देते थे. फिर पैदल जाकर चिन्हित स्थान के आसपास मकान में रेकी करने के बाद भैंस और पाड़ों को खोलकर गांव के बाहर ले जाते थे. रात के समय जहां पर लोगों की आवाजाही नहीं होती, वहां पर ले जाकर चोरी किए गए भैंस और पाड़ों को अपनी पिकअप गाड़ी में चढ़ा लेते थे. इसके बाद आरोपी हाईवे के टोल प्लाजा को बचाते हुए भैंस और पाड़ों को मेवात ले जाकर बेच देते थे.