जयपुर. जयपुर बम ब्लास्ट मामले में अभियुक्तों को हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद सियासत गरमाई हुई है. बीजेपी ने सरकार पर कमजोर पैरवी का आरोप लगाते हुए शनिवार को छोटी चौपड़ पर धरना दिया. बीजेपी ने गहलोत सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया. इसके साथ बीजेपी के धरने का स्वरूप भी बदला हुआ दिखा. सतीश पूनिया को अध्यक्ष पद से हटाने के बाद आज बीजेपी के वह नेता भी धरने पर दिखाई दिए जो पिछले साढ़े 3 साल से दूरी बनाए हुए थे.
किसके इशारे पर कमजोर हुई पैरवी : बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने आरोप लगाया कि गहलोत सरकार अपनी कुर्सी बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से महंगे वकील बुलाते हैं, लेकिन जब जयपुर की आम आवाम को न्याय दिलाने की बात आई तो सरकार ने महाधिवक्ता को भी पैरवी के लिए नहीं भेजा. क्या कारण है कि डबल एजी पैरवी करने के लिए नहीं गए ? राजस्थान की आवाम जानना चाहती है कि किसके इशारे पर इस केस को कमजोर करने की कोशिश हुई. सीपी जोशी ने कहा कि शत-प्रतिशत इसके पीछे कुछ कारण है, जिसकी वजह से सरकार ने हाईकोर्ट में कमजोर पैरवी की.
सीएम को आरएसएस फोबिया : जोशी ने कहा कि विशेष न्यायालय ने चार आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई, इसके बावजूद भी हाईकोर्ट से उन्हें राहत मिल गई. आरएसएस को लेकर दिए मुख्यमंत्री के बयान पर भी जोशी ने पलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को फोबिया हो गया है. जो राहुल गांधी उनको कुर्सी से हटाना चाहते थे अब उन्हें खुश करने के लिए गहलोत आरएसएस को लेकर बयान दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है. जयपुर की जनता न्याय मांग रही है. जिन 71 लोगों ने जान गंवा दी, उसके हत्यारों को फांसी कब मिलेगी? जोशी ने कहा कि जब तक पीड़ितों को न्याय और दोषियों को फांसी नहीं हो जाती तब तक बीजेपी पीछे हटने वाली नहीं है.
जिम्मेदार कौन ? : उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने गहलोत सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि अपराधियों का संबंध बाटला कांड से जुड़ा हुआ था और उन्होंने खुद ब्लास्ट की जिम्मेदार ली थी, वह फांसी पर लटकने से बच गए. बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि जब जयपुर ब्लास्ट के आरोपी बरी हो जाते हैं, उस समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत घर में बैठकर मीटिंग करते हैं और कहते हैं कि हमसे गलती हो गई. इसके बाद अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेंद्र यादव को हटा दिया जाता है. प्रदेश की सरकार क्या संदेश देना चाहती है?
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राठौड़ ने कहा कि सरकार पहले सुप्रीम कोर्ट में कमजोर पैरवी करवाती है, बाद में एक वकील पर सम्पूर्ण जिम्मेदारी थोप दी जाती है. क्या मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी नहीं है, जो खुद गृह मंत्री भी हैं? हाईकोर्ट में मामला गया तो क्या कारण है कि जूनियर एडवोकेट को जिम्मेदारी दी गई? जिन आतंकियों को फांसी होनी चाहिए थी उनको बरी कर दिया गया. राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री अजमेर में बोल रहे थे पीएम मोदी देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात करते हैं तो फिर अमृतपाल के खालिस्तान बनाने की मांग कैसे गलत है? कांग्रेस आखिर किस सोच के साथ काम कर रही है, ये समझ से परे है.
वसुंधरा राजे गुट के नेताओं की हुई एंट्री : बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बदलने के बाद हुए पहले धरने में भाजपा एकजुट दिखी. सतीश पूनिया के अध्यक्ष पद से हटने के बाद अब वो नेता भी धरने में नजर आने लगे हैं, जो पिछले साढ़े तीन साल से दूरी बनाए हुए थे. सीपी जोशी के पार्टी की कमान संभालने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे गुट के नेता भी सक्रिय हो गए हैं. धरने में पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी, विधायक कालीचरण सराफ, पूर्व विधायक मोहन लाल गुप्ता के आलावा राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी सहित कई बीजेपी नेता शामिल हुए.