जयपुर. लगभग एक सप्ताह से जयपुर शहीद स्मारक पर शहीदों को सम्मान नहीं मिलने से नाराज राज्यसभा सांसद किरोडी लाल मीणा वीरांगनाओं के साथ धरने पर बैठे हैं. जिसके चलते शहीदों के सम्मान को लेकर सरकार पर सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में अब राज्य सरकार ने सफाई दी है. रविवार को राज्य सरकार की मीडिया ब्रीफ जारी कर कहा गया कि शहीद सैनिकों की वीरांगनाओं, भूतपूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों के कल्याण के लिए सदैव संवेदनशीलता के साथ काम किया गया है. फरवरी 2019 में हुए पुलवामा आतंकी हमले में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के राज्य के सभी 5 शहीदों के आश्रितों को राज्य सरकार की तरफ से नियमानुसार सहायता देकर राहत देने का काम किया गया है, लेकिन कुछ ऐसी मांगें है जो नियमों में नहीं है.
वीरांगनाओं की मांग नियमों में नहीं : सैनिक कल्याण विभाग के निदेशक ब्रिगेडियर वीरेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि तीन शहीदों जीतराम गुर्जर, रोहिताश लाम्बा और हेमराज मीणा की वीरांगनाओं की ओर से 28 फरवरी से जयपुर में राज्य सरकार से अपनी मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है. लेकिन सरकार की ओर से तीनों शहीदों के आश्रितों को नियमानुसार सहायता पहले है दे दी गई है. राठौड ने बताया कि पिछले चार सालों में शहीद सैनिकों के आश्रितों और पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों के कल्याणार्थ अनेकों ऐतिहासिक फैसले राज्य सरकार की लिए गए हैं. साल 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद इस पैकेज में बढ़ोतरी की गई है.
ये सहायता दी जा चुकी : राज्य सरकार ने वीरांगनाओं की मांगों पर संज्ञान लिया गया है, लेकिन वीरांगनाओं की ओर से की जा रही कुछ मांग नियमों में नहीं आती हैं. ब्रिगेडियर राठौड़ ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से शहीदों की वीरांगनाओं को दी जाने वाली सहायता के तहत तीनों शहीदों की वीरांगाओं को भी 50 लाख रुपए की नकद राशि दी गई है. इसके अलावा शहीद के माता-पिता को 05 लाख रुपए की सावधि जमा और वीरांगना को राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम का फ्री पास जारी किया गया है. उन्होंने बताया कि नियमों के तहत तीनों ही शहीदों के एक बच्चे के लिए नियोजन का अधिकार सुरक्षित रखा गया है. साथ ही शहीदों की याद चिरस्थायी रखने के लिए 2 शहीदों के नाम से शिक्षण संस्थान का नामकरण कर दिया गया है ओर एक शहीद के नाम से नामकरण के लिए कार्यवाही जारी है.
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अधिकार सुरक्षित : उन्होंने बताया कि भरतपुर जिले की नगर तहसील के सुन्दरवाली ग्राम पोस्ट के शहीद कांस्टेबल जीतराम गुर्जर की पत्नी वीरांगना सुन्दरी देवी की 2 पुत्रियां हैं, जिनमें से एक बेटी का नियमानुसार नियोजन का अधिकार सुरक्षित है. उन्होंने बताया कि वीरांगना की ओर शहीद के भाई को नियोजित करने की मांग की जा रही है, लेकिन नियमों तहत आश्रित की श्रेणी में नहीं होने के कारण नियोजन का प्रावधान नहीं है. इसी तरह से शहीद कांस्टेबल रोहिताश लाम्बा की पत्नी मंजू जाट वीरांगना के एक पुत्र के लिए नियमानुसार नियोजन का अधिकार सुरक्षित है. वीरांगना की ओर भी अपने देवर को नियोजन की मांग की जा रही है, जो कि नियमानुसार आश्रित की श्रेणी में नहीं आता है. इसी तरह से कोटा जिले में पोस्ट विनोदखुर्द के ग्राम विनोद कलां के शहीद कांस्टेबल हेमराज मीणा की पत्नी मधुबाला मीणा वीरांगना के पुत्र के नियोजन का अधिकार सुरक्षित रखा गया है.
इन पर हो रहा काम : राठौड़ ने बताया कि शहीद के नाम से विद्यालय नामकरण के लिए 9 अप्रेल, 2019 को गांव में स्थित राजकीय बालिका प्राथमिक विद्यालय, सुन्दरावली का प्रस्ताव भेजा गया था, जिसका नामकरण पूर्व में स्वतंत्रता सेनानी हरिश चन्द्र के नाम पर हो चुका है. अभी वीरांगना की ओर से राजकीय महाविद्यालय, नगर के नामकरण की मांग की गई है, जिस पर नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है. इसी तरह से जयपुर जिले में ग्राम पोस्ट गोविन्दपुरा के शहीद रोहिताश लाम्बा के नाम से राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, गोविन्दपुरा, बासड़ी, शाहपुरा, जयपुर का नाम शहीद रोहिताश लाम्बा राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल, गोविन्दपुरा, शाहपुरा, बासड़ी जयपुर कर दिया गया. वहीं, शहीद के नाम से राजकीय राजकीय महाविद्यालय, सांगोद का नाम शहीद हेमराज मीणा राजकीय महाविद्यालय, सांगोद कर दिया गया है. इसके अतिरिक्त शहीद कांस्टेबल हेमराज मीणा की मूर्ति पूर्व में ही दो स्थानों, शहीद हेमराज मीणा राजकीय महाविद्यालय, सांगोद के प्रांगण में ओर पैतृक गांव विनोदकलां स्थित पार्क में स्थापित की जा चुकी है. उन्होंने बताया कि वीरांगना की ओर अदालत चौराहे पर उनके पति की तीसरी मूर्ति लगाने के लिए मांग की जा रही है, जो कि नियमानुसार उचित नहीं है.