जयपुर. राजधानी के 50 हजार स्ट्रीट वेंडर्स को लोन और परिचय पत्र देने के लिए शुक्रवार को अंत्योदय 20 की शुरुआत की गई. 20 चरणों में होने वाले इस अंत्योदय 20 के पहले चरण का बाबा साहेब की जयंती के मौके पर आगाज हुआ. इस दौरान पांच हजार स्ट्रीट वेंडर्स को 10 हजार का लोन उपलब्ध कराया गया. इसके अलावा उनके परिवार के साथ सहभोज करते हुए संविधान की मूल संकल्पना समानता का संदेश दिया गया.
भारत में हुए जी-20 की तर्ज पर W20 (वीमेन 20) और U20 (अर्बन 20) हो रहा है. इसी क्रम में शुक्रवार को अंत्योदय 20 का आयोजन किया गया. जयपुर के सांगानेर स्टेडियम में इस दौरान करीब 5000 स्ट्रीट वेंडर्स और उनके परिजन कार्यक्रम में शामिल हुए. इस मौके पर ग्रेटर नगर निगम की महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर ने कहा कि शहर के अंतिम व्यक्ति को मजबूत करने का आधार रखते हुए अंत्योदय 20 का आयोजन किया गया.
उन्होंने बताया कि अंत्योदय 20 के तहत लगातार 20 कड़िया चलेंगी. बाबा साहेब की जयंती पर अंत्योदय 20 की शुरुआत की जा रही है, लेकिन ये एक दिन का विषय नहीं है. उन्होंने कहा कि यह आयोजन निम्न व दलित स्ट्रीट वेंडरों (थड़ी, ठेले, रेहड़ी) की सक्सेस स्टोरी के साथ शुरू हो रही है. साथ ही शुक्रवार को पहले चरण में 5 हजार वेंडर्स के लोन स्वीकृत किए गए. लोन के साथ ही स्ट्रीट वेंडर्स को परिचय पत्र भी सौंपे गए.
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महापौर ने आगे बताया कि अकेले ग्रेटर नगर निगम क्षेत्र में 50 हजार से ज्यादा स्ट्रीट वेंडर्स हैं. जिनमें से ज्यादातर का कोरोना के दौरान रोजगार छिन गया था. उन्होंने कहा कि जब इस आयोजन को लेकर पीले चावल बांटने गए, तब पता चला था कि बीकानेर की एक प्रतिष्ठित कंपनी के मैनेजर छोले टिक्की बनाकर किसी तरह से अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. ऐसे में कोरोना की मार स्पष्ट रूप से नजर आई. इसी के मद्देनजर पीएम स्वनिधि योजना के तहत ऐसे लोगों को सम्मानजनक जीवन यापन करने का मौका मिला है.
मेयर ने कहा कि जब अंत्योदय 20 का आखिरी चरण पूरा होगा, तब तक जयपुर शहर का हर एक रेहड़ी-ठेले वाले तक विकास पहुंच चुका होगा. इस दौरान संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से घोषित मिलेट्स 2023 के तहत श्रीअन्न की प्रदर्शनी भी लगाई गई. साथ ही स्ट्रीट वेंडर्स के परिजनों के साथ सहभोज भी किया गया. इसे लेकर महापौर ने कहा कि स्ट्रीट वेंडर्स के परिवारों के साथ आयोजन में शामिल होने वाले सभी वर्ग ने मिलकर सहभोज किया. इससे उनमें समानता का भाव आएगा. यही संविधान की मूल संकल्पना भी है.