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विपक्ष की गैरमौजूदगी में पारित हुआ अधिवक्ता निधि संशोधन विधेयक, वकील की आकस्मिक मृत्यु पर मिलेंगे 8 लाख

अधिवक्ता कल्याण निधि संशोधन विधेयक विपक्ष की गैर मौजूदगी में पारित हो गया. विधेयक में गलती नहीं सुधारने से नाराज भाजपा ने इसका बहिष्कार किया.

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अधिवक्ता निधि संशोधन विधेयक पास
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Published : Mar 7, 2020, 10:28 PM IST

जयपुर. विधानसभा में अधिवक्ता कल्याण निधि संशोधन विधेयक में गलती नहीं सुधारने से नाराज भाजपा विधायकों ने सदन से वॉकआउट और बहिष्कार किया. बिल के पारित होने की पूरी प्रक्रिया का भाजपा ने बहिष्कार किया. बाद में भाजपा की गैर मौजूदगी में ही सदन में अधिवक्ता कल्याण निधि संशोधन विधेयक पारित हुआ.

अधिवक्ता निधि संशोधन विधेयक पारित

ज्ञात रहे कि अधिवक्ता कल्याण निधि संशोधन विधेयक में वकील की आकस्मिक मृत्यु पर मिलने वाली अनुग्रह राशि का अलग अलग उल्लेख है. विधेयक में धारा 17 में संशोधन कर आकस्मिक मृत्यु पर अनुग्रह राशि 2.5 लाख से बढ़ाकर 8 लाख करने का प्रावधान का उल्लेख किया है. जबकि विधेयक के उद्श्यों और कारणों के कथन में अनुग्रह राशि 2.5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख करने का उल्लेख किया गया है.

विधेयक पर बहस के दौरान कई भाजपा विधायकों और नेता प्रतिपक्ष ने विधेयक में हुई इस गलती को सुधारकर बिल को फिर से पेश करने की मांग की. संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल जवाब देने खड़े हुए तो उस वक्त भी कटारिया ने बीच में टोकते हुए साफ चेतावनी दी कि विधेयक में अगर गलती ठीक नहीं की गई तो पूरी प्रकिया का बहिष्कार किया जाएगा.

यह भी पढ़ें- राज्यसभा की 2 सीटों पर कौन होगा काबिज ? देखिए क्या है इन सीटों का गणित

वहीं मंत्री शांति धारीवाल ने जवाब में इसे महज टाइपिंग मिस्टेक करार दिया. मंत्री के जवाब से असंतुष्ट भाजपा विधयक सदन से बहिष्कार करके चले गए. भाजपा के बहिष्कार के बाद विपक्ष की गैर मौजूदगी में ही अधिवक्ता कल्याण निधि विधेयक को सदन में पारित किया गया. विधेयक पारित होने के बाद जब सदन में अनुदान मांगों पर बहस शुरु हुई, तभी भाजपा विधायक वापस सदन में लौटे.

विधेयक को पारित करने के दौरान सत्तापक्ष के विधायकों से बड़ी गफलत हो गई. विधेयक पर जनमत जानने के लिए प्रचारित करवाने को लेकर सभापति राजेंद्र पारीक ने जब सदन में हां या ना में राय पूछी, तो इस दौरान सत्तापक्ष के विधायक हां बोल गए, जबकि उन्हें नहीं में राय जाहिर करनी थी.

यह भी पढ़ें- विधानसभा में पास हुआ अधिवक्ता निधि संशोधन विधयेक 2020 , वकीलों ने किया स्वागत

सत्तापक्ष के विधायकों ने विधेयक को जनमत जानने के पक्ष में राय जाहिर कर दी. इस पर निर्दलीय संयम लोढ़ा ने आपत्ति् की लेकिन सभापति ने प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया और विधेयक के जनमत जानने का प्रस्ताव खारिज कर दिया.

अधिवक्ता कल्याण निधि के तहत वकीलों को मिलने वाली सहायता राशि बढाई गई है. उधर कई विधायकों ने एडवोकेट प्रोटक्शन बिल लाने की मांग भी उठाई है. सदन में मंत्री शांति धरीवाल ने एडवोकेट प्रोडक्शन बिल लाने पर विचार करने का आश्वासन भी दिया है.

जयपुर. विधानसभा में अधिवक्ता कल्याण निधि संशोधन विधेयक में गलती नहीं सुधारने से नाराज भाजपा विधायकों ने सदन से वॉकआउट और बहिष्कार किया. बिल के पारित होने की पूरी प्रक्रिया का भाजपा ने बहिष्कार किया. बाद में भाजपा की गैर मौजूदगी में ही सदन में अधिवक्ता कल्याण निधि संशोधन विधेयक पारित हुआ.

अधिवक्ता निधि संशोधन विधेयक पारित

ज्ञात रहे कि अधिवक्ता कल्याण निधि संशोधन विधेयक में वकील की आकस्मिक मृत्यु पर मिलने वाली अनुग्रह राशि का अलग अलग उल्लेख है. विधेयक में धारा 17 में संशोधन कर आकस्मिक मृत्यु पर अनुग्रह राशि 2.5 लाख से बढ़ाकर 8 लाख करने का प्रावधान का उल्लेख किया है. जबकि विधेयक के उद्श्यों और कारणों के कथन में अनुग्रह राशि 2.5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख करने का उल्लेख किया गया है.

विधेयक पर बहस के दौरान कई भाजपा विधायकों और नेता प्रतिपक्ष ने विधेयक में हुई इस गलती को सुधारकर बिल को फिर से पेश करने की मांग की. संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल जवाब देने खड़े हुए तो उस वक्त भी कटारिया ने बीच में टोकते हुए साफ चेतावनी दी कि विधेयक में अगर गलती ठीक नहीं की गई तो पूरी प्रकिया का बहिष्कार किया जाएगा.

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वहीं मंत्री शांति धारीवाल ने जवाब में इसे महज टाइपिंग मिस्टेक करार दिया. मंत्री के जवाब से असंतुष्ट भाजपा विधयक सदन से बहिष्कार करके चले गए. भाजपा के बहिष्कार के बाद विपक्ष की गैर मौजूदगी में ही अधिवक्ता कल्याण निधि विधेयक को सदन में पारित किया गया. विधेयक पारित होने के बाद जब सदन में अनुदान मांगों पर बहस शुरु हुई, तभी भाजपा विधायक वापस सदन में लौटे.

विधेयक को पारित करने के दौरान सत्तापक्ष के विधायकों से बड़ी गफलत हो गई. विधेयक पर जनमत जानने के लिए प्रचारित करवाने को लेकर सभापति राजेंद्र पारीक ने जब सदन में हां या ना में राय पूछी, तो इस दौरान सत्तापक्ष के विधायक हां बोल गए, जबकि उन्हें नहीं में राय जाहिर करनी थी.

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सत्तापक्ष के विधायकों ने विधेयक को जनमत जानने के पक्ष में राय जाहिर कर दी. इस पर निर्दलीय संयम लोढ़ा ने आपत्ति् की लेकिन सभापति ने प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया और विधेयक के जनमत जानने का प्रस्ताव खारिज कर दिया.

अधिवक्ता कल्याण निधि के तहत वकीलों को मिलने वाली सहायता राशि बढाई गई है. उधर कई विधायकों ने एडवोकेट प्रोटक्शन बिल लाने की मांग भी उठाई है. सदन में मंत्री शांति धरीवाल ने एडवोकेट प्रोडक्शन बिल लाने पर विचार करने का आश्वासन भी दिया है.

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