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आर्थिक तंगी से जूझ रही जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस, 28 करोड़ से अधिक है बकाया

जेसीटीएसएल की हालत इन दिनों बेहद खराब चल रही है. प्रबंधन ना तो लो फ्लोर बसों का संचालन करने वाली फर्मों को भुगतान कर रहा है. साथ ही चालकों और परिचालकों को वेतन भी नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में कभी भी लो फ्लोर बस बंद हो सकती है.

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Published : Feb 6, 2019, 11:05 PM IST

जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट

जयपुर. जेसीटीएसएल यानी जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड इन दिनों आर्थिक तंगी से जूझ रही है. आर्थिक हालत खस्ता होने के चलते निकट भविष्य में शहर में दौड़ रही करीब 400 लो फ्लोर बस बंद होने की आशंका है. जिसके चलते आर्थिक तंगी के कारण पहले ही करीब 100 लो फ्लोर बस बंद हो चुकी है. वहीं मेंटीनेंस की कमी के चलते राजधानी की सड़कों पर हर रोज 40 से 50 बसें रुक जाती हैं. प्रबंधन ना तो बसों का संचालन करने वाली फर्मों का भुगतान कर पा रहा है और ना ही चालक परिचालकों को वेतन मिल रहा है. ऐसे में चालक परिचालक बिना वेतन मजबूरी में अपनी नौकरी कर रहे हैं.

हालांकि प्रबंधन को हर साल सरकार की ओर से 30 करोड़ मिलने का प्रावधान है, लेकिन बीते 2 साल से ये राशि भी पूरी नहीं मिली. कंपनी के विद्याधर नगर, सांगानेर और टोडी में तीन डिपो है. आलम ये है कि जहां एक और विद्याधर नगर डिपो में 10 महीने से फर्म को भुगतान नहीं हुआ. वहीं सांगानेर डिपो की फर्म भी बिना भुगतान के काम कर रही है. जबकि टोडी डिपो के हालात तो ये है कि वहां लो फ्लोर बसों को सुधारने तक के लिए बजट नहीं है.

जेसीटीएसएल के ऐसे हैं हालात
- 500 लो फ्लोर बस संचालित हो रही शहर में
- 70 बसें ऑफ रूट चल रही आर्थिक तंगी के कारण
- 18 करोड़ मातेश्वरी कंपनी का चल रहा बकाया
- 8 करोड़ सांगानेर डिपो की मेंटिनेंस फर्म का बकाया
- 2 करोड़ प्रबंधन के कर्मचारियों का बकाया
- 800 कर्मचारी कार्यरत है विद्याधर नगर डिपो में
- 1200 कर्मचारी सांगानेर डिपो में कार्यरत
- 250000 यात्री हर रोज सफर कर रहे लो फ्लोर बसों में
- 16 से 23 लाख रुपए प्रतिदिन की है आय
- 30 करोड़ सालाना सरकार की ओर से मिलता है बजट

जेसीटीएसएल का चेयरमैन निगम महापौर ही होता है. इसके बावजूद अब तक निगम के नए मेयर विष्णु लाटा ने इसकी सुध लेना भी वाजिब नहीं समझ रहे हैं. उन्होंने अपने पैर में लगी चोट का हवाला देते हुए कहा है कि अभी उनका जेसीटीएसएल जाना नहीं हुआ है. जानकारी में है कि जेसीटीएसएल कुछ फाइनेंशियल प्रॉब्लम चल रही है. सरकार की ओर से करीब 4 करोड़ रुपए प्रबंधन तक पहुंचाया जा रहा है. कर्मचारियों को उनका वेतन अगले दो दिनों में मिल जाएगा. उधर, उपमहापौर मनोज भारद्वाज ने मेयर पर तंज कसते हुए कहा कि जेसीटीएसएल शहर की लाइफ लाइन है. मेयर को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इस ओर भी ध्यान देना चाहिए.

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बीते दिनों कर्मचारियों की हड़ताल के बाद प्रबंधन की कमर टूट गई थी. जेसीटीएसएल से करीब 23 लाख तक होने वाली इनकम गिरकर 16 लाख तक रह गई. इससे कर्मचारियों की सैलेरी तक नहीं निकल पा रही. ऐसे में फिलहाल सिर्फ सरकार से राहत की अपेक्षा है ताकि शहर की ट्रांसपोर्ट सुविधा ना बिगड़े.

जयपुर. जेसीटीएसएल यानी जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड इन दिनों आर्थिक तंगी से जूझ रही है. आर्थिक हालत खस्ता होने के चलते निकट भविष्य में शहर में दौड़ रही करीब 400 लो फ्लोर बस बंद होने की आशंका है. जिसके चलते आर्थिक तंगी के कारण पहले ही करीब 100 लो फ्लोर बस बंद हो चुकी है. वहीं मेंटीनेंस की कमी के चलते राजधानी की सड़कों पर हर रोज 40 से 50 बसें रुक जाती हैं. प्रबंधन ना तो बसों का संचालन करने वाली फर्मों का भुगतान कर पा रहा है और ना ही चालक परिचालकों को वेतन मिल रहा है. ऐसे में चालक परिचालक बिना वेतन मजबूरी में अपनी नौकरी कर रहे हैं.

हालांकि प्रबंधन को हर साल सरकार की ओर से 30 करोड़ मिलने का प्रावधान है, लेकिन बीते 2 साल से ये राशि भी पूरी नहीं मिली. कंपनी के विद्याधर नगर, सांगानेर और टोडी में तीन डिपो है. आलम ये है कि जहां एक और विद्याधर नगर डिपो में 10 महीने से फर्म को भुगतान नहीं हुआ. वहीं सांगानेर डिपो की फर्म भी बिना भुगतान के काम कर रही है. जबकि टोडी डिपो के हालात तो ये है कि वहां लो फ्लोर बसों को सुधारने तक के लिए बजट नहीं है.

जेसीटीएसएल के ऐसे हैं हालात
- 500 लो फ्लोर बस संचालित हो रही शहर में
- 70 बसें ऑफ रूट चल रही आर्थिक तंगी के कारण
- 18 करोड़ मातेश्वरी कंपनी का चल रहा बकाया
- 8 करोड़ सांगानेर डिपो की मेंटिनेंस फर्म का बकाया
- 2 करोड़ प्रबंधन के कर्मचारियों का बकाया
- 800 कर्मचारी कार्यरत है विद्याधर नगर डिपो में
- 1200 कर्मचारी सांगानेर डिपो में कार्यरत
- 250000 यात्री हर रोज सफर कर रहे लो फ्लोर बसों में
- 16 से 23 लाख रुपए प्रतिदिन की है आय
- 30 करोड़ सालाना सरकार की ओर से मिलता है बजट

जेसीटीएसएल का चेयरमैन निगम महापौर ही होता है. इसके बावजूद अब तक निगम के नए मेयर विष्णु लाटा ने इसकी सुध लेना भी वाजिब नहीं समझ रहे हैं. उन्होंने अपने पैर में लगी चोट का हवाला देते हुए कहा है कि अभी उनका जेसीटीएसएल जाना नहीं हुआ है. जानकारी में है कि जेसीटीएसएल कुछ फाइनेंशियल प्रॉब्लम चल रही है. सरकार की ओर से करीब 4 करोड़ रुपए प्रबंधन तक पहुंचाया जा रहा है. कर्मचारियों को उनका वेतन अगले दो दिनों में मिल जाएगा. उधर, उपमहापौर मनोज भारद्वाज ने मेयर पर तंज कसते हुए कहा कि जेसीटीएसएल शहर की लाइफ लाइन है. मेयर को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इस ओर भी ध्यान देना चाहिए.

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बीते दिनों कर्मचारियों की हड़ताल के बाद प्रबंधन की कमर टूट गई थी. जेसीटीएसएल से करीब 23 लाख तक होने वाली इनकम गिरकर 16 लाख तक रह गई. इससे कर्मचारियों की सैलेरी तक नहीं निकल पा रही. ऐसे में फिलहाल सिर्फ सरकार से राहत की अपेक्षा है ताकि शहर की ट्रांसपोर्ट सुविधा ना बिगड़े.

Intro:जेसीटीएसएल की हालत इन दिनों बेहद खराब चल रही है... प्रबंधन ना तो लो फ्लोर बसों का संचालन करने वाली फर्मों को भुगतान कर रहा है,,, और ना ही चालक-परिचालकों को वेतन मिल रहा है... ऐसे में कभी भी लो फ्लोर बस बंद हो सकती है... और राजधानी की ट्रांसपोर्ट सुविधा का बट्टा बैठ सकता है...


Body:जेसीटीएसएल यानी जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड इन दिनों आर्थिक तंगी से जूझ रही है... आर्थिक हालत खस्ता होने के चलते निकट भविष्य में शहर में दौड़ रही करीब 400 लो फ्लोर बस बंद होने की आशंका है... इसी आर्थिक तंगी के कारण पहले ही करीब 100 लो फ्लोर बस बंद हो चुकी है... और मेंटेनेंस की कमी के चलते राजधानी की सड़कों पर हर रोज 40 से 50 बसें रुक जाती हैं... प्रबंधन ना तो बसों का संचालन करने वाली फर्मों का भुगतान कर पा रहा है,,, और ना ही चालक परिचालकों को वेतन मिल रहा है... ऐसे में चालक परिचालक बिना वेतन मजबूरी में अपनी नौकरी कर रहे हैं...

हालांकि प्रबंधन को हर साल सरकार की ओर से 30 करोड़ मिलने का प्रावधान है... लेकिन बीते 2 साल से ये राशि भी पूरी नहीं मिली... कंपनी के विद्याधर नगर, सांगानेर और टोडी में तीन डिपो है... आलम ये है कि जहां एक और विद्याधर नगर डिपो में 10 महीने से फर्म को भुगतान नहीं हुआ,,, वहीं सांगानेर डिपो की फर्म भी बिना भुगतान के काम कर रही है,,, जबकि टोडी डिपो के हालात तो ये है कि वहां लो फ्लोर बसों को सुधारने तक के लिए बजट नहीं है...

जेसीटीएसएल के हालातों पर एक नजर डालें तो...
- 500 लो फ्लोर बस संचालित हो रही शहर में
- 70 बसें ऑफ रूट चल रही आर्थिक तंगी के कारण
- 18 करोड़ मातेश्वरी कंपनी का चल रहा बकाया
- 8 करोड़ सांगानेर डिपो की मेंटिनेंस फर्म का बकाया
- 2 करोड़ प्रबंधन के कर्मचारियों का बकाया
- 800 कर्मचारी कार्यरत है विद्याधर नगर डिपो में
- 1200 कर्मचारी सांगानेर डिपो में कार्यरत
- 250000 यात्री हर रोज सफर कर रहे लो फ्लोर बसों में
- 16 से 23 लाख रुपए प्रतिदिन की है आय
- 30 करोड़ सालाना सरकार की ओर से मिलता है बजट

जेसीटीएसएल का चेयरमैन निगम महापौर ही होता है,,, बावजूद इसके अब तक निगम के नए मेयर विष्णु लाटा ने इसकी सुध लेना भी वाजिब नहीं समझा... उन्होंने अपने पैर में लगी चोट का हवाला देते हुए कहा कि अभी उनका जेसीटीएसएल जाना नहीं हुआ है... उनकी जानकारी में है कि जेसीटीएसएल कुछ फाइनेंशियल प्रॉब्लम चल रही है... सरकार की ओर से करीब 4 करोड़ रुपए प्रबंधन तक पहुंचाया जा रहा है... संभवत कर्मचारियों को उनका वेतन आज-कल में मिल जाएगा... उधर, उपमहापौर मनोज भारद्वाज ने मेयर पर तंज कसते हुए कहा कि जेसीटीएसएल शहर की लाइफ लाइन है,,, मेयर को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इस ओर भी ध्यान देना चाहिए...



Conclusion:बहरहाल, जेसीटीएसएल की खस्ता हालत के जिम्मेदार जितनी सरकार है उतनी ही यहां कार्यरत कर्मचारी भी हैं... बीते दिनों कर्मचारियों की हड़ताल के बाद प्रबंधन की कमर टूट गई थी... जेसीटीएसएल से करीब 23 लाख तक होने वाली इनकम गिरकर 16 लाख तक रह गई... इससे कर्मचारियों की सैलेरी तक नहीं निकल पा रही... ऐसे में फिलहाल सिर्फ सरकार से राहत की अपेक्षा है ताकि शहर की ट्रांसपोर्ट सुविधा ना बिगड़े...
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