जयपुर. झुलसाती दोपहरी, कोहरे में डूबी सर्द रातें या फिर मूसलाधार बारिश का मौसम, राजस्थान के 37 हजार युवा पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहते हैं. ये हैं राजस्थान के पुलिस मित्र, जो स्थाई वारंटी पकड़ने, अज्ञात शवों की शिनाख्त से लेकर अंत्येष्टि करवाने, गश्त करने, बड़ी प्रतियोगी परीक्षा के दौरान अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाने में मदद करते हैं. साथ ही आपराधिक वारदातों को अंजाम देकर भाग रहे बदमाशों को पकड़ने और कोई हादसा होने पर घायलों को अस्पताल पहुंचाने तक में अपनी अहम भूमिका अदा कर रहे हैं. इन सबके लिए उन्हें कोई मानदेय नहीं दिया जाता.
अब तक 37 हजार युवा जुड़े : कम्युनिटी पुलिसिंग की एएसपी रानू शर्मा का कहना है कि राजस्थान पुलिस ने 26 जून 2019 को पुलिस मित्र अभियान की शुरुआत की था. चार साल में करीब 37 हजार युवा इस मुहिम से जुड़ चुके हैं. पुलिस मित्र बनने के लिए आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन है. इसमें 24 क्षेत्र अंकित किए गए हैं, जिनमें से अधिकतम दो क्षेत्रों में कोई भी व्यक्ति काम कर सकता है. रजिस्टर करने वाले सभी लोगों का डाटा पुलिस के पास रहता है, जिसे समय-समय पर या जरूरत पड़ने पर उपयोग में लिया जाता है. पुलिस मित्रों की सक्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हर मौसम में वे आगे आकर मोर्चा संभाल लेते हैं. कई जगहों पर पुलिस मित्र खास गणवेश में नजर आते हैं.
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किसी भी स्थिति में आगे रहते हैं पुलिस मित्र : एएसपी ने बताया कि उन्होंने खुद के स्तर पर ही एक रोस्टर प्रणाली भी बना रखी है, जिससे काम करने में आसानी रहती है. अलवर जिले के तिजारा और जयपुर जिले में बगरू के पुलिस मित्रों ने इलाके में खास पहचान बनाई है. उन्होंने बताया कि कोरोनाकाल में पूरे प्रदेश में पुलिस मित्रों के काम को काफी सराहा गया था. उन्होंने कोविड के समय निस्वार्थ भाव से पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया. कोई हादसा होने पर मौके पर स्थिति संभालने का काम हो, घायलों को अस्पताल पहुंचाना हो, ट्रैफिक जाम की स्थिति से निपटना हो या बड़े आयोजनों में मोर्चा संभालना हो, पुलिस मित्र हर काम में तत्परता से जुटते हैं.
भरतपुर के चक्रेश कुमार ने दो बार दिखाया दम : साल 2019 में भरतपुर जिले के सेवर में बाल संप्रेषण गृह से बाल अपचारी सुरक्षा गार्ड्स पर हमला कर भाग गए थे. इनमें से आठ बाल अपचारियों को पकड़ने में पुलिस मित्र चक्रेश कुमार ने पुलिस का हर कदम पर साथ दिया. इसी तरह जयपुर में 19 सितंबर को डॉक्टर मोहम्मद इकबाल भारती पर हमला कर सोना-चांदी और नकदी लूटकर भागे नौकर अनु धामी और उसके तीन साथियों को भरतपुर में पकड़ने में भी पुलिस मित्र चक्रेश कुमार ने बहादुरी दिखाई थी.
अलवर के लक्की ने आग की लपटों में भी कूदे : अलवर जिले में 12 नवंबर 2021 को गोविंदगढ़ कस्बे के सीकरी बाईपास पर बनी झोंपड़ी में रखे सिलेंडर से गैस रिसाव होने से आग लग गई. पुलिस मित्र लक्की सिंह ने सूझबूझ दिखाई और बहादुरी के साथ आग की लपटों के बीच जाकर गैस सिलेंडर को झोंपड़ी से बाहर निकाला और रेगुलेटर बंद कर दिया. इससे समय रहते आग पर काबू पाने में मदद मिली और बड़ा हादसा टल गया. भिवाड़ी के शेखपुरा थाना इलाके में नाले में मिली नवजात बालिका को तिजारा अस्पताल पहुंचाने और उसका जीवन बचाने में पुलिस मित्र अकबर की अहम भागीदारी रही थी.