हनुमानगढ़. राजस्थान सरकार कोरोना काल में अनाथ और बेसहारा हुए बच्चों की सुध ले रही है. लेकिन तकदीर के मारे बच्चों के लिए सरकार के पास कौन सी योजना है. सवाल इसलिए बड़ा है क्योंकि हनुमानगढ़ जंक्शन में चार बच्चों के माता-पिता दोनों जीवित हैं. फिर भी ये बच्चे अनाथों की तरह दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं.
बच्चों का पिता नशे के आदी है. वह जेल में है. मां मजदूरी करने पंजाब चली गई है. हालात से मजबूर बच्चे चाचा के घर पहुंचे लेकिन चाचा ने भी हाथ खड़े कर दिये. हां, इतना जरूर किया कि बच्चों की सूचना जिला बाल कल्याण समिति को दे दी.
इसके बाद बाल कल्याण समिति के विजय चौहान मौके पर पहुंचे और पूरे मामले की पड़ताल की. चार मासूम बच्चों में सबसे बड़ी 12 वर्षीय बच्ची ने बाल कल्याण समिति को बताया कि उसके पिता जेल में हैं और उसके पिता ने ही उनकी मां और चारों बच्चों को 50 हजार रुपयों में एक व्यक्ति को बेच दिया था.
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बच्चों का कहना है कि 10 दिन पहले मां दिहाड़ी-मजदूरी करने पंजाब चली गयी. तब से बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है. बच्चे अपने चाचा के घर चले गए लेकिन चाचा ने असमर्थता जाहिर कर दी.
जब बाल कल्याण समिति ने बच्चों के दादा से बात की तो उन्होंने बच्चों को साथ रखने और बच्चों को ले जाने की बात कही. जिला बाल कल्याण समिति का कहना है कि अगर दादा भी बच्चों को नहीं सम्भालेंगे या वे भी आर्थिक रूप से संभालने के काबिल नहीं होंगे तो जिला बाल कल्याण समिति बच्चों को अपने साथ ले जाएगी और इनका पालन-पोषण का जिम्मा उठाएगी. साथ ही बच्चों और मां को बेचने के मामले की भी जांच करवाई जाएगी.