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डूंगरपुर में मनरेगा योजना से श्रमिकों का हो रहा है मोह भंग - डूंगरपुर में मनरेगा का हाल पढ़ें

मनरेगा योजना को प्रदेश के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले की लाइफ लाइन माना जाता रहा है. लेकिन अब मनरेगा योजना के प्रति जिले के श्रमिकों का मोह भंग होता नजर आ रहा है. ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के आंकड़े इस बात की पुष्टि कर रहे हैं.

डूंगरपुर के श्रमिकों की रुचि मनरेगा से हो रही है खत्म
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Published : Aug 7, 2019, 11:24 AM IST

डूंगरपुर. आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में अब श्रमिकों की रुचि मनरेगा में नहीं रही है. श्रमिकों द्वारा किया गया कार्य निर्धारित वेज रेट तक भी नहीं पहुँच पा रहा है. विभाग की ओर से निर्धारित 199 वेज के मुकाबले डूंगरपुर जिले में 138 रुपए औसत वेज रेट सामने आ रही है.

डूंगरपुर के श्रमिकों की रुचि मनरेगा से हो रही है खत्म

पढ़ें - पैरामेडिकल एसोसिएशन ने सीएमएचओ को सौंपा मांग पत्र, पंजीयन करवाने की रखी मांग

ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य से शुरू की गई मनरेगा योजना में लोगों को रोजगार तो मिला. लेकिन अब जिले में श्रमिकों का मनरेगा योजना से मोह भंग हो रहा है. मनरेगा कार्य स्थल पर मिलने वाली औसत मजदूरी के मुकाबले गुजरात में अधिक राशी मिलने पर लोग अब नरेगा को छोड़कर गुजरात की ओर रुख कर रहे है. वही जो श्रमिक नरेगा में कार्य कर रहे है, वे भी कार्य में अब अपनी रूचि नहीं दिखा रहे है.

कार्यस्थल पर श्रमिकों की ओर से कार्य में कोताही बरती जा रही है. यही कारण है कि सरकार की ओर से निर्धारित वेज से रेट से कम राशि मिल रही है. जुलाई तक की रिपोर्ट बताती है कि डूंगरपुर जिले के 10 पंचायत समितियों में से 4 पंचायत समितियों में 138 के करीब वेज रेट श्रमिकों को मिल रही है.

ब्लॅाकवार वेज रेट की स्थिति कुछ इस प्रकार है-
चिखली -145, दोवडा -136, सीमलवाडा- 142, गलियाकोट -170, झोथरी -134, साबला -149, आसपुर -151, डूंगरपुर -171, बिछीवाडा -135, सागवाडा -125

पढ़ें - नगरपरिषद ठेकेदार साथी ठेकेदार के विरोध में उतरे, कलेक्ट्री पर प्रदर्शन कर कार्रवाई की मांग

निर्धारित वेज रेट से कम रेट मिलने के मामले में जिला कलेक्टर चेतन देवड़ा ने बातचीत के दौरान कहा कि यह बात सही है कि जिले में श्रमिकों को उचित वेज रेट नहीं मिल पा रहा है. साथ ही उन्होंने बताया की इसके लिए जिला प्रशासन ने एक कार्य योजना बनाई है. जिसके तहत मेटो व तकनीकी अधिकारियों की टीम बनाई गई है. जो मनरेगा कार्यस्थल पर जाकर श्रमिको को समूहों में काम देकर उन्हें करेंगें.

डूंगरपुर. आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में अब श्रमिकों की रुचि मनरेगा में नहीं रही है. श्रमिकों द्वारा किया गया कार्य निर्धारित वेज रेट तक भी नहीं पहुँच पा रहा है. विभाग की ओर से निर्धारित 199 वेज के मुकाबले डूंगरपुर जिले में 138 रुपए औसत वेज रेट सामने आ रही है.

डूंगरपुर के श्रमिकों की रुचि मनरेगा से हो रही है खत्म

पढ़ें - पैरामेडिकल एसोसिएशन ने सीएमएचओ को सौंपा मांग पत्र, पंजीयन करवाने की रखी मांग

ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य से शुरू की गई मनरेगा योजना में लोगों को रोजगार तो मिला. लेकिन अब जिले में श्रमिकों का मनरेगा योजना से मोह भंग हो रहा है. मनरेगा कार्य स्थल पर मिलने वाली औसत मजदूरी के मुकाबले गुजरात में अधिक राशी मिलने पर लोग अब नरेगा को छोड़कर गुजरात की ओर रुख कर रहे है. वही जो श्रमिक नरेगा में कार्य कर रहे है, वे भी कार्य में अब अपनी रूचि नहीं दिखा रहे है.

कार्यस्थल पर श्रमिकों की ओर से कार्य में कोताही बरती जा रही है. यही कारण है कि सरकार की ओर से निर्धारित वेज से रेट से कम राशि मिल रही है. जुलाई तक की रिपोर्ट बताती है कि डूंगरपुर जिले के 10 पंचायत समितियों में से 4 पंचायत समितियों में 138 के करीब वेज रेट श्रमिकों को मिल रही है.

ब्लॅाकवार वेज रेट की स्थिति कुछ इस प्रकार है-
चिखली -145, दोवडा -136, सीमलवाडा- 142, गलियाकोट -170, झोथरी -134, साबला -149, आसपुर -151, डूंगरपुर -171, बिछीवाडा -135, सागवाडा -125

पढ़ें - नगरपरिषद ठेकेदार साथी ठेकेदार के विरोध में उतरे, कलेक्ट्री पर प्रदर्शन कर कार्रवाई की मांग

निर्धारित वेज रेट से कम रेट मिलने के मामले में जिला कलेक्टर चेतन देवड़ा ने बातचीत के दौरान कहा कि यह बात सही है कि जिले में श्रमिकों को उचित वेज रेट नहीं मिल पा रहा है. साथ ही उन्होंने बताया की इसके लिए जिला प्रशासन ने एक कार्य योजना बनाई है. जिसके तहत मेटो व तकनीकी अधिकारियों की टीम बनाई गई है. जो मनरेगा कार्यस्थल पर जाकर श्रमिको को समूहों में काम देकर उन्हें करेंगें.

Intro:डूंगरपुर। महात्मा गांधी नरेगा योजना को प्रदेश के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले की लाइफ लाइन माना जाता रहा है लेकिन अब नरेगा योजना के प्रति डूंगरपुर जिले के श्रमिको का मोह भंग होता नजर आ रहा है | ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के आंकड़े यहीं बता रहे है |Body:जनजाति बहुल डूंगरपुर जिले में श्रमिको का कार्य निर्धारित वेज रेट तक भी नहीं पहुँच पा रहा है। विभाग की ओर से निर्धारित 199 वेज के मुकाबले डूंगरपुर जिले में 138 रुपए औसत वेज रेट सामने आ रही है।
ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगो को रोजगार देने के उद्देश्य से शुरू की गई नरेगा योजना में लोगो को रोजगार तो मिला लेकिन धीरे-धीरे अब जिले में श्रमिको का नरेगा योजना से मोह भंग हो रहा है। मनरेगा कार्य स्थल पर मिलने वाली औसत मजदूरी के मुकाबले गुजरात में अधिक राशी मिलने पर लोग अब नरेगा को छोड़कर गुजरात की और रुख कर रहे है। वही जो श्रमिक नरेगा में कार्य कर रहे है वे भी कार्य में अब अपनी रूचि नहीं दिखा रहे है। कार्यस्थल पर श्रमिको की ओर से कार्य में कोताही बरती जा रही है यही कारण है की श्रमिको को सरकार की ओर से निर्धारित वेज से रेट से कम राशि मिल रही है। जुलाई तक की रिपोर्ट बताती है की डूंगरपुर जिले के 10 पंचायत समितियों में से 4 पंचायत समितियों में 138 के करीब वेज रेट श्रमिको को मिल रही है।

- आइये ब्लाकवार बताते हुए वेज रेट की स्थिति

ब्लाक वेज रेट
चिखली 145
दोवडा 136
सीमलवाडा 142
गलियाकोट 170
झोथरी 134
साबला 149
आसपुर 151
डूंगरपुर 171
बिछीवाडा 135
सागवाडा 125

- इधर निर्धारित वेज रेट से कम रेट मिलने के मामले में जिला कलेक्टर चेतन देवड़ा से बात कई गई तो उन्होंने भी स्वीकारा की जिले में श्रमिको को वेज रेट नहीं मिल पा रही है | उन्होंने बताया की इसके लिए जिला प्रशासन ने एक कार्ययोजना बनाई है जिसके तहत मेटो व तकनिकी अधिकारियो की टीम बनाई गई जो की नरेगा कार्यस्थल पर जाकर श्रमिको को समूहों में काम करवाकर प्रतिदिन दिए जा रहे कार्य को पूर्ण करवाने के लिए प्रेरित किया जाएगा |

बाईट- चेतनराम देवड़ा, जिला कलेक्टर डूंगरपुर

Conclusion:
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