डूंगरपुर. कॉलेज में पढ़ाई करने वाले छात्रों को 6 महीने से छात्रवृत्ति का भुगतान नहीं हुआ है. एसटी वर्ग के 12 हजार विद्यार्थी ऐसे है, जिनको छात्रवृत्ति नहीं (12 thousand ST students are waiting for Scholarship) मिली है. ऐसे में कई विद्यार्थी भटक रहे हैं. छात्रवृत्ति अटकने को लेकर बड़े बाबू से लेकर आलाधिकारी तक अलग अलग कारण गिना रहे हैं. कारण ऐसे की जिनमें आंकड़े इतने घुमावदार हैं कि आम छात्र के लिए उसे समझ कर आगे का रास्ता तय करना मुश्किल भरा हो गया है.
ये अधिकार की बात है: आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से एसटी वर्ग के कॉलेज विद्यार्थियो को उत्तर मैट्रिक छात्रवृत्ति दिए जाने का प्रावधान है. इसके तहत जिले में हर साल करीब 25 हजार विद्यार्थियो को छात्रवृत्ति दी जाती है. ये इनका अधिकार भी है और जरूरत भी. लेकिन पिछले 6 महीने से न हक मिल पा रहा है और न ही जरूरतों को ध्यान में रखा जा रहा है. एसटी वर्ग के कॉलेज विद्यार्थियों को पिछले 6 माह से छात्रवृत्ति के भुगतान का इंतजार है.
इतनों का भुगतान होना है: जिले के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उप निदेशक अशोक शर्मा इसकी वजह आंकड़ों के जरिए समझाने का प्रयास करते हैं. मानते हैं कि बकाया तो है. बताते हैं कि पिछले वित्तीय वर्ष में सभी वर्गों के 26 हजार 747 विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति के आवेदन स्वीकृत करते हुए उनके बिल बनाए गए थे. इसमें से एसटी वर्ग के 12 हजार 379 विद्यार्थियों को करीब 10 करोड़ की छात्रवृत्ति का पिछले 6 माह से भुगतान बकाया जा रहा है. इनके अलावा ओबीसी वर्ग के 300 विद्यार्थी, एसबीसी के 196 और एससी के भी 486 विद्यार्थियो को 2 माह से छात्रवृत्ति नहीं मिली है.
कारण ये!: शर्मा इसके 2 कारण बताते हैं. कहते हैं सबसे बड़ा कारण (Reasons for Non Payment Of Scholarship To ST Students) एक तो बजट का अभाव है और दूसरी अहम वजह सिंगल नोडल अकाउंट का प्रावधान है, जिसे सरकार ने लागू किया है. उन्होंने बताया की पहले कोष कार्यालय से छात्रवृत्ति का भुगतान किया जाता था. सरकार ने अब भुगतान को सेंट्रलाइज करते हुए सिंगल नोडल अकाउंट का प्रावधान कर दिया है. जिसके चलते भी छात्रवृत्ति के भुगतान में देरी हो रही है. शर्मा ने उम्मीद जताई है की अप्रैल माह तक बकाया राशि को चुकता कर दिया जाएगा. जिले के बड़े अफसर का ये दावा और वादा उम्मीद तो जगाता है भरोसा दिलाता है कि अब अपने अधिकार के लिए उन्हें ज्यादा धक्के नहीं खाने पड़ेंगे.