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बजट से आस: बेणेश्वर धाम बोर्ड के नाम पर 1 साल में सिर्फ प्रस्ताव बने...ना नामकरण, ना बोर्ड कमेटी और ना बजट का ठिकाना

आस्था का केंद्र बेणेश्वर धाम के विकास बोर्ड के नामकरण की फाइल लंबे समय से अटकी है. इस बार के बजट में बेणेश्वर धाम के विकास के लिए बजट मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.

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बेणेश्वर धाम को बजट से आस
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Published : Feb 9, 2020, 11:38 AM IST

Updated : Feb 9, 2020, 1:16 PM IST

डूंगरपुर. सोम, माही व जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम तट बेणेश्वर धाम लाखों जनजातियों के आस्था का केंद्र है. धाम के विकास को लेकर सरकार ने 1 साल पहले घोषणा की लेकिन इस पर कोई बड़ा काम नहीं हो सका है. घोषणा के बाद से बोर्ड के नामकरण को लेकर प्रशासन की ओर से प्रस्ताव भी भेज गए. इसके बावजूद नामकरण को लेकर भी मंजूरी सरकार के स्तर पर अटकी हुई है. इस बजट से बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड के नामकरण के साथ ही विकास को लेकर बजट मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.

बेणेश्वर धाम को बजट से आस

बेणेश्वर धाम वागड़ सहित राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के लाखों जनजाति समुदाय के आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है. यहां हर साल माघ पूर्णिमा पर राष्ट्रीय जनजाति मेला भरता है. जिसमें लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते है. सरकार ने बेणेश्वर धाम के विकास को लेकर पिछले साल बोर्ड गठन की घोषणा की. जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड के नामकरण को लेकर प्रशासन से टिप्पणी मांगी थी. जिस पर प्रशासन की ओर से सुझाव भेज दिए गए है.

यह भी पढ़ें. स्पेशल: जोधपुर के महिला महाविद्यालय में लगाई जाएगी 'हवा से नमी सोखकर पानी पिलाने वाली मशीन'

बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड का नामकरण संत श्रीमावजी महाराज बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड होगा. जिसमें बेणेश्वर धाम पर पहले से 2 ट्रस्ट बने हुए है. बेणेश्वर शिवालय ट्रस्ट और हरिमंदिर के पदाधिकारी के साथ ही देवस्थान विभाग और सरकारी अधिकारी इनमें सदस्य और पदाधिकारी रहेंगे. इस धाम के विकास बोर्ड के नामकरण की फाइल अब सरकार के पास है, लेकिन एक साल बाद भी अब तक न तो नामकरण पर सरकार की मंजूरी मिली है और न ही बोर्ड का गठन किया जा सका है.

जिससे कि यह साफ हो सके कि इसमें कितने सदस्य और कितने पदाधिकारी रहेंगे. साथ ही बोर्ड में किन-किन को शामिल किया जाएगा. यह स्थिति भी अभी तक स्पष्ट नहीं है. ऐसे में इस बजट से बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड के नामकरण के साथ ही विकास को लेकर बजट मिलने की उम्मीद है.

पुलियों को ऊंचा करने की डीपीआर मंजूर

बेणेश्वर धाम सोम और माही नदी के टापू पर स्थित है तो वहीं जाखम नदी भी कुछ दूरी पर मिलती है. इसलिए इसे त्रिवेणी संगम भी कहा जाता हैं. यह धाम चारों ओर पानी से घिरा रहता है और बारिश के दिनों में यह टापू में तब्दील हो जाता है. धाम पंहुच के तीनों पुलियों साबला, वालाई और बांसवाड़ा पर पानी बहने से यहां श्रद्धालुओं की आवाजाही बंद हो जाती है. इस कारण धाम पंहुचने के तीनों ही पुलियों को ऊंचा करने के लिए लंबे समय से मांग चल रही थी.

यह भी पढ़ें. बजट पूर्व सुझाव बैठक में गोभी लेकर पहुंचे पद्मश्री किसान जगदीश पारीक, कहा- जैविक खेती को मिले बढ़ावा

जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने जानकारी दी कि बेणेश्वर धाम के पुलियों को ऊंचा करने के लिए डीपीआर को राज्य सरकार से मंजूरी मिल चुकी है. ऐसे में अब जल्द ही धाम के तीनों पुलियों को लेकर काम शुरू होगा. इसके अलावा बेणेश्वर धाम के विकास को लेकर अलग से टीएडी से भी प्रस्ताव बनाकर भेजे गए है.

बेणेश्वर धाम के विकास को लेकर कई काम अधूरे

बेणेश्वर धाम के विकास को लेकर तत्कालीन राज्य सरकार की ओर से साल 2015-16 में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की ओर से 1031.81 लाख का बजट स्वीकृत किया गया है, लेकिन 5 साल बाद भी कई काम आज तक पूरे नहीं हुए है. इसमें साबला से बेणेश्वरधाम टू वे रोड का काम हो चुका है.

वहीं धाम पर पेयजल सुविधा, सामुदायिक भवन का काम हो चुका है लेकिन आबुदर्रा घाट तक पाथ-वे निर्माण, सुरक्षा को लेकर सीसीटीवी कैमरे लगाने सहित कई अन्य कार्य आज भी अधूरे है.

डूंगरपुर. सोम, माही व जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम तट बेणेश्वर धाम लाखों जनजातियों के आस्था का केंद्र है. धाम के विकास को लेकर सरकार ने 1 साल पहले घोषणा की लेकिन इस पर कोई बड़ा काम नहीं हो सका है. घोषणा के बाद से बोर्ड के नामकरण को लेकर प्रशासन की ओर से प्रस्ताव भी भेज गए. इसके बावजूद नामकरण को लेकर भी मंजूरी सरकार के स्तर पर अटकी हुई है. इस बजट से बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड के नामकरण के साथ ही विकास को लेकर बजट मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.

बेणेश्वर धाम को बजट से आस

बेणेश्वर धाम वागड़ सहित राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के लाखों जनजाति समुदाय के आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है. यहां हर साल माघ पूर्णिमा पर राष्ट्रीय जनजाति मेला भरता है. जिसमें लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते है. सरकार ने बेणेश्वर धाम के विकास को लेकर पिछले साल बोर्ड गठन की घोषणा की. जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड के नामकरण को लेकर प्रशासन से टिप्पणी मांगी थी. जिस पर प्रशासन की ओर से सुझाव भेज दिए गए है.

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बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड का नामकरण संत श्रीमावजी महाराज बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड होगा. जिसमें बेणेश्वर धाम पर पहले से 2 ट्रस्ट बने हुए है. बेणेश्वर शिवालय ट्रस्ट और हरिमंदिर के पदाधिकारी के साथ ही देवस्थान विभाग और सरकारी अधिकारी इनमें सदस्य और पदाधिकारी रहेंगे. इस धाम के विकास बोर्ड के नामकरण की फाइल अब सरकार के पास है, लेकिन एक साल बाद भी अब तक न तो नामकरण पर सरकार की मंजूरी मिली है और न ही बोर्ड का गठन किया जा सका है.

जिससे कि यह साफ हो सके कि इसमें कितने सदस्य और कितने पदाधिकारी रहेंगे. साथ ही बोर्ड में किन-किन को शामिल किया जाएगा. यह स्थिति भी अभी तक स्पष्ट नहीं है. ऐसे में इस बजट से बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड के नामकरण के साथ ही विकास को लेकर बजट मिलने की उम्मीद है.

पुलियों को ऊंचा करने की डीपीआर मंजूर

बेणेश्वर धाम सोम और माही नदी के टापू पर स्थित है तो वहीं जाखम नदी भी कुछ दूरी पर मिलती है. इसलिए इसे त्रिवेणी संगम भी कहा जाता हैं. यह धाम चारों ओर पानी से घिरा रहता है और बारिश के दिनों में यह टापू में तब्दील हो जाता है. धाम पंहुच के तीनों पुलियों साबला, वालाई और बांसवाड़ा पर पानी बहने से यहां श्रद्धालुओं की आवाजाही बंद हो जाती है. इस कारण धाम पंहुचने के तीनों ही पुलियों को ऊंचा करने के लिए लंबे समय से मांग चल रही थी.

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जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने जानकारी दी कि बेणेश्वर धाम के पुलियों को ऊंचा करने के लिए डीपीआर को राज्य सरकार से मंजूरी मिल चुकी है. ऐसे में अब जल्द ही धाम के तीनों पुलियों को लेकर काम शुरू होगा. इसके अलावा बेणेश्वर धाम के विकास को लेकर अलग से टीएडी से भी प्रस्ताव बनाकर भेजे गए है.

बेणेश्वर धाम के विकास को लेकर कई काम अधूरे

बेणेश्वर धाम के विकास को लेकर तत्कालीन राज्य सरकार की ओर से साल 2015-16 में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की ओर से 1031.81 लाख का बजट स्वीकृत किया गया है, लेकिन 5 साल बाद भी कई काम आज तक पूरे नहीं हुए है. इसमें साबला से बेणेश्वरधाम टू वे रोड का काम हो चुका है.

वहीं धाम पर पेयजल सुविधा, सामुदायिक भवन का काम हो चुका है लेकिन आबुदर्रा घाट तक पाथ-वे निर्माण, सुरक्षा को लेकर सीसीटीवी कैमरे लगाने सहित कई अन्य कार्य आज भी अधूरे है.

Intro:डूंगरपुर। सोम, माही व जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम तट बेणेश्वर धाम लाखो जनजातियों के आस्था का केंद्र है तो धाम के विकास को लेकर सरकार ने 1 साल पहले घोषणा कर दी, लेकिन इस पर कोई बड़ा काम नहीं हो सका है। घोषणा के बाद से बोर्ड के नामकरण को लेकर प्रशासन की ओर से प्रस्ताव भेज दिए गए बावजूद नामकरण को लेकर मंजूरी भी सरकार के स्तर पर ही अटकी हुई है।


Body:बेणेश्वर धाम वागड़ सहित राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के लाखों जनजाति समुदाय के आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। यहां हर साल माघ पूर्णिमा पर राष्ट्रीय जनजाति मेला भरता है, जिसमें लाखो श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते है। सरकार ने बेणेश्वर धाम के विकास को लेकर पिछले साल बोर्ड गठन की घोषणा की।
जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड के नामकरण को लेकर प्रशासन से टिप्पणी मांगी थी, जिस पर प्रशासन की ओर से सुझाव भेज दिए गए है। बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड का नामकरण संत श्रीमावजी महाराज बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड होगा। जिसमें बेणेश्वर धाम पर पहले से 2 ट्रस्ट बने हुए है। बेणेश्वर शिवालय ट्रस्ट ओर हरिमंदिर के पदाधिकारी के साथ ही देवस्थान विभाग और सरकारी अधिकारी इनमें सदस्य और पदाधिकारी रहेंगे।
बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड के नामकरण की फाइल अब सरकार के पास है, लेकिन एक साल बाद भी अब तक न तो नामकरण पर सरकार की मंजूरी मिली है और न ही बोर्ड का गठन किया जा सका है, जिससे कि यह साफ हो सके कि इसमें कितने सदस्य और कितने पदाधिकारी रहेंगे। साथ ही बोर्ड में किन-किन को शामिल किया जाएगा यह स्थिति भी अभी तक स्पष्ट नही है। ऐसे में इस बजट से बेणेश्वर धाम विकास बोर्ड के नामकरण के साथ ही विकास को लेकर बजट मिलने की उम्मीद है।

- पुलियो को ऊंचा करने की डीपीआर मंजूर
बेणेश्वर धाम सोम ओर माही नदी के टापू पर स्थित है तो वही जाखम नदी भी कुछ दूरी पर मिलती है। इसलिए इसे त्रिवेणी संगम भी कहा जाता हैं। बेणेश्वर धाम चारो ओर पानी से घिरा रहता है ओर बारिश के दिनों में यह धाम टापू में तब्दील हो जाता है। धाम पंहुच के तीनों पुलियो साबला, वालाई ओर बांसवाड़ा पर पानी बहने से धाम पर श्रद्धालुओं की आवाजाही बंद हो जाती है। इस कारण धाम पंहुच के तीनों ही पुलियो को ऊंचा करने के लिए लंबे समय से मांग चल रही थी। जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने बताया कि बेणेश्वर धाम के पुलियो को ऊंचा करने के लिए डीपीआर को राज्य सरकार से मंजूरी मिल चुकी है। ऐसे में अब जल्द ही धाम के तीनों पुलियो को लेकर काम शुरू होगा। इसके अलावा बेणेश्वर धाम के विकास को लेकर अलग से टीएडी से भी प्रस्ताव बनाकर भेजे गए है।

- बेणेश्वर धाम के विकास को लेकर कई काम अधूरे
बेणेश्वर धाम के विकास को लेकर तत्कालीन राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2015-16 में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की ओर से 1031.81 लाख का बजट स्वीकृत किया गया है, लेकिन 5 साल बाद भी कई काम आज तक पूरे नहीं हुए है या अधूरे पड़े है। इसमे साबला से बेणेश्वरधाम टू वे रोड़ का काम हो चुका है। वही धाम पर पेयजल सुविधा, सामुदायिक भवन का काम हो चुका है। लेकिन आबुदर्रा घाट तक पाथ-वे निर्माण, सुरक्षा को लेकर सीसीटीवी कैमरे लगाने सहित कई अन्य कार्य आज भी अधूरे है।

बाईट- आलोक रंजन, जिला कलेक्टर डूंगरपुर।



Conclusion:
Last Updated : Feb 9, 2020, 1:16 PM IST
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