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Special: शिक्षक दंपती का अनूठा नवाचार...'वेस्ट' से बनाई 'बेस्ट' एजुकेशन सामग्री

सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में एक ऐसे स्कूल की छवि उभर कर आती है जहां पढ़ाई नहीं होती, लेकिन डूंगरपुर से 5 किलोमीटर दूर स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय भीलवटा को देखकर आपको लगेगा कि आप किसी विदेशी स्कूल में आ गए हैं. यहां बच्चों को पढ़ाने का जो तरीका शिक्षक दंपती ने निकाला है वो अपने आप में नायाब है और काबिले तारीफ है. देखिए ये रिपोर्ट...

Government Primary School Bhilavata,  Teacher couple innovation in Dungarpur
शिक्षक दंपती का बड़ा कमाल
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Published : Nov 3, 2020, 5:25 PM IST

डूंगरपुर. भले ही स्कूलों में पढ़ाई बंद है, लेकिन इस समय का भी सदुपयोग कर शिक्षक दंपती ने एक अनूठा नवाचार किया है, जो बच्चों को भी खूब रास आ रहा है. 'वेस्ट से बेस्ट' एजुकेशन सामग्री बनाकर इस शिक्षक दंपती ने अनूठा उदाहरण पेश किया है. इससे जहां बच्चे खेल-खेल में आसान पढ़ाई कर पाएंगे तो वहीं वेस्ट सामग्री का भी बेस्ट उपयोग किया गया है.

शिक्षक दंपती का अनूठा नवाचार...

कोरोना काल में पिछले 8 महीने से स्कूल और कॉलेज बंद है. स्कूलों में शिक्षक पंहुच रहे हैं, लेकिन बच्चे नहीं आ रहे हैं. ऐसे में इस समय का शिक्षक दंपती ने सदुपयोग करते हुए स्कूल को नया लुक देने के साथ ही बेस्ट शिक्षण सामग्री तैयार की है, जो स्कूल में आने वाले बच्चों को भी खूब रास आ रही है. शहर से 5 किमी दूर राजकीय प्राथमिक विद्यालय भीलवटा स्थित है जहां एक शिक्षक दंपती का नवाचार बच्चों के शिक्षा के लिए बेहतरीन है. वैसे तो इस शिक्षक दंपती ने कई नवाचार किए हैं जो बच्चो की पढ़ाई में सहयोगी है. शिक्षक दंपती ने स्कूल की दीवारें पाठ्य सामग्री से रंग दी है, जहां अंग्रेजी और हिंदी के अक्षर ज्ञान के साथ ही गणित के गणना को आसान बना दिया है.

Government Primary School Bhilavata,  Teacher couple innovation in Dungarpur
वेस्ट का उपयोग कर बनाया एजुकेशन साम्रगी...

पढ़ें- Special: बूंदी के लड्डू की फीकी पड़ी मिठास...जानें क्या है कारण?

निजी स्कूल छोड़कर आए बच्चे...

ईटीवी भारत ने शिक्षक दंपती प्रधानाध्यापक दीपक पंड्या और उनकी शिक्षिका पत्नी दीपिका पंड्या से बात की. दीपक पंड्या बताते हैं कि वर्ष 2013 में यह स्कूल खुली. उस समय स्कूल में महज 10 बच्चे थे, लेकिन आज इस स्कूल में 65 बच्चों का एडमिशन हो चुका है. इसमें से 15 बच्चे ऐसे हैं जो निजी स्कूलों से टीसी लेकर यहां की पढ़ाई को देखकर एडमिशन लिया है. दीपक पंड्या का कहना है कि यहां संस्कार के साथ पढ़ाई को बहुत ही आसान बनाने का प्रयास किया गया है, ताकि बच्चा आसानी से सीख सके. यहां नन्हें बच्चों को 'अ, आ...1, 2... के अलावा अंग्रेजी भी पढ़ाई जाती है ताकि वे अंग्रेजी स्कूलों से किसी तरह पीछे नहीं रहे. इसके लिए शिक्षक दंपती ने वेस्ट सामग्री से लर्निंग और टीचिंग मटेरियल को तैयार किया है.

Government Primary School Bhilavata,  Teacher couple innovation in Dungarpur
वेस्ट से बनया बेस्ट...

जगह-जगह कबाड़ जुटाया और बना दिया शिक्षण सामग्री...

शिक्षिका दीपिका पंड्या का कहना है कि अक्सर देखने में आता है कि कई लोग अपने घरों की चीजें कूड़े में फेंक देते हैं, लेकिन उसी सामग्री को शिक्षा में किस तरह से उपयोग में लिया जा सकता है, उसके बारे में सोचा. इसके बाद दुकानों और घरों से जो व्यर्थ सामग्री को निकाल दिया जाता है, जैसे गत्ते, प्लास्टिक की बोतलें, पेपर, सुतली, फॉइल पेपर, स्ट्रॉ पाइप जैसे वेस्ट मटेरियल को एकत्रित किया. इसके बाद इन चीजों का ही उपयोग करते हुए शैक्षणिक सामग्री तैयार कर ली, जिसका नाम कबाड़ से जुगाड़ दिया गया है.

Government Primary School Bhilavata,  Teacher couple innovation in Dungarpur
चित्रों के माध्यम से अक्षर ज्ञान...

पढ़ें- SPECIAL: धरातल से दूर "शुद्ध के लिए युद्ध", डेढ़ साल से खाली पड़ा फूड इंस्पेक्टर का पद

दीपिका पंड्या का कहना है कि गत्तों पर चित्र की सहायता से बच्चों को अक्षर ज्ञान के साथ ही उनकी मिनिंग्स को भी समझाने का प्रयास किया जाता है. इसके अलावा फाइल पेपर से गोटियां बनाकर गणना करना सिखाया जाता है. इसके अलावा गत्तों से ही दिन ओर रात के साथ ही समय ज्ञान के बारे में भी सिखाया जाता है, जो बहुत ही रोचक होने के साथ बच्चों के लिए भी आसान होता है.

Government Primary School Bhilavata,  Teacher couple innovation in Dungarpur
प्रधानाध्यापक दीपक पंड्या...

प्लास्टिक की बोतलों में प्लांटेशन और पत्थरों से आर्ट...

शिक्षक दंपती बताते हैं कि प्लास्टिक की खाली बोतलों को लोग पानी पीने के बाद फेंक देते हैं. उन्होंने बताया कि हम इन खाली बोतलों को एकत्रित कर उसमें प्लांटेशन करते हैं. इसमें कई तरह के फूलों की बेल लगाई गई है, जिससे स्कूल परिसर खूबसूरत फूलों से भी महकता रहता है. स्कूल में पौधरोपण भी किया हुआ है. इसके अलावा नदी के चमकदार पत्थर जो बजरी के साथ आते हैं उनका भी इस्तेमाल शैक्षणिक सामग्री के रूप में किया जा रहा है. दीपक पंड्या का कहना है कि पत्थरों और अन्य चीजें मिलाकर पशु-पक्षियों का संसार सजाया गया है.

Government Primary School Bhilavata,  Teacher couple innovation in Dungarpur
शिक्षक दंपती का नवाचार...

बच्चों का अपना बैंक...

राजकीय प्राथमिक विद्यालय भीलवटा में शिक्षा के साथ ही बच्चों को बचत का पाठ भी पढ़ाया जाता है. शिक्षक दंपती बताते हैं कि यहां बच्चों को मिलने वाली जेब खर्च की राशि को बच्चे स्कूल में बचत बैंक में जमा करवाते हैं. इनके बाद जब शैक्षणिक सत्र शुरू होता है तो इन बचत के पैसों से ही बच्चों के कपड़े और अन्य शिक्षा सामग्री आ जाती है. इससे बच्चे भी बचत करने और बैंक की प्रक्रिया के बारे में समझ जाते हैं.

डूंगरपुर. भले ही स्कूलों में पढ़ाई बंद है, लेकिन इस समय का भी सदुपयोग कर शिक्षक दंपती ने एक अनूठा नवाचार किया है, जो बच्चों को भी खूब रास आ रहा है. 'वेस्ट से बेस्ट' एजुकेशन सामग्री बनाकर इस शिक्षक दंपती ने अनूठा उदाहरण पेश किया है. इससे जहां बच्चे खेल-खेल में आसान पढ़ाई कर पाएंगे तो वहीं वेस्ट सामग्री का भी बेस्ट उपयोग किया गया है.

शिक्षक दंपती का अनूठा नवाचार...

कोरोना काल में पिछले 8 महीने से स्कूल और कॉलेज बंद है. स्कूलों में शिक्षक पंहुच रहे हैं, लेकिन बच्चे नहीं आ रहे हैं. ऐसे में इस समय का शिक्षक दंपती ने सदुपयोग करते हुए स्कूल को नया लुक देने के साथ ही बेस्ट शिक्षण सामग्री तैयार की है, जो स्कूल में आने वाले बच्चों को भी खूब रास आ रही है. शहर से 5 किमी दूर राजकीय प्राथमिक विद्यालय भीलवटा स्थित है जहां एक शिक्षक दंपती का नवाचार बच्चों के शिक्षा के लिए बेहतरीन है. वैसे तो इस शिक्षक दंपती ने कई नवाचार किए हैं जो बच्चो की पढ़ाई में सहयोगी है. शिक्षक दंपती ने स्कूल की दीवारें पाठ्य सामग्री से रंग दी है, जहां अंग्रेजी और हिंदी के अक्षर ज्ञान के साथ ही गणित के गणना को आसान बना दिया है.

Government Primary School Bhilavata,  Teacher couple innovation in Dungarpur
वेस्ट का उपयोग कर बनाया एजुकेशन साम्रगी...

पढ़ें- Special: बूंदी के लड्डू की फीकी पड़ी मिठास...जानें क्या है कारण?

निजी स्कूल छोड़कर आए बच्चे...

ईटीवी भारत ने शिक्षक दंपती प्रधानाध्यापक दीपक पंड्या और उनकी शिक्षिका पत्नी दीपिका पंड्या से बात की. दीपक पंड्या बताते हैं कि वर्ष 2013 में यह स्कूल खुली. उस समय स्कूल में महज 10 बच्चे थे, लेकिन आज इस स्कूल में 65 बच्चों का एडमिशन हो चुका है. इसमें से 15 बच्चे ऐसे हैं जो निजी स्कूलों से टीसी लेकर यहां की पढ़ाई को देखकर एडमिशन लिया है. दीपक पंड्या का कहना है कि यहां संस्कार के साथ पढ़ाई को बहुत ही आसान बनाने का प्रयास किया गया है, ताकि बच्चा आसानी से सीख सके. यहां नन्हें बच्चों को 'अ, आ...1, 2... के अलावा अंग्रेजी भी पढ़ाई जाती है ताकि वे अंग्रेजी स्कूलों से किसी तरह पीछे नहीं रहे. इसके लिए शिक्षक दंपती ने वेस्ट सामग्री से लर्निंग और टीचिंग मटेरियल को तैयार किया है.

Government Primary School Bhilavata,  Teacher couple innovation in Dungarpur
वेस्ट से बनया बेस्ट...

जगह-जगह कबाड़ जुटाया और बना दिया शिक्षण सामग्री...

शिक्षिका दीपिका पंड्या का कहना है कि अक्सर देखने में आता है कि कई लोग अपने घरों की चीजें कूड़े में फेंक देते हैं, लेकिन उसी सामग्री को शिक्षा में किस तरह से उपयोग में लिया जा सकता है, उसके बारे में सोचा. इसके बाद दुकानों और घरों से जो व्यर्थ सामग्री को निकाल दिया जाता है, जैसे गत्ते, प्लास्टिक की बोतलें, पेपर, सुतली, फॉइल पेपर, स्ट्रॉ पाइप जैसे वेस्ट मटेरियल को एकत्रित किया. इसके बाद इन चीजों का ही उपयोग करते हुए शैक्षणिक सामग्री तैयार कर ली, जिसका नाम कबाड़ से जुगाड़ दिया गया है.

Government Primary School Bhilavata,  Teacher couple innovation in Dungarpur
चित्रों के माध्यम से अक्षर ज्ञान...

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दीपिका पंड्या का कहना है कि गत्तों पर चित्र की सहायता से बच्चों को अक्षर ज्ञान के साथ ही उनकी मिनिंग्स को भी समझाने का प्रयास किया जाता है. इसके अलावा फाइल पेपर से गोटियां बनाकर गणना करना सिखाया जाता है. इसके अलावा गत्तों से ही दिन ओर रात के साथ ही समय ज्ञान के बारे में भी सिखाया जाता है, जो बहुत ही रोचक होने के साथ बच्चों के लिए भी आसान होता है.

Government Primary School Bhilavata,  Teacher couple innovation in Dungarpur
प्रधानाध्यापक दीपक पंड्या...

प्लास्टिक की बोतलों में प्लांटेशन और पत्थरों से आर्ट...

शिक्षक दंपती बताते हैं कि प्लास्टिक की खाली बोतलों को लोग पानी पीने के बाद फेंक देते हैं. उन्होंने बताया कि हम इन खाली बोतलों को एकत्रित कर उसमें प्लांटेशन करते हैं. इसमें कई तरह के फूलों की बेल लगाई गई है, जिससे स्कूल परिसर खूबसूरत फूलों से भी महकता रहता है. स्कूल में पौधरोपण भी किया हुआ है. इसके अलावा नदी के चमकदार पत्थर जो बजरी के साथ आते हैं उनका भी इस्तेमाल शैक्षणिक सामग्री के रूप में किया जा रहा है. दीपक पंड्या का कहना है कि पत्थरों और अन्य चीजें मिलाकर पशु-पक्षियों का संसार सजाया गया है.

Government Primary School Bhilavata,  Teacher couple innovation in Dungarpur
शिक्षक दंपती का नवाचार...

बच्चों का अपना बैंक...

राजकीय प्राथमिक विद्यालय भीलवटा में शिक्षा के साथ ही बच्चों को बचत का पाठ भी पढ़ाया जाता है. शिक्षक दंपती बताते हैं कि यहां बच्चों को मिलने वाली जेब खर्च की राशि को बच्चे स्कूल में बचत बैंक में जमा करवाते हैं. इनके बाद जब शैक्षणिक सत्र शुरू होता है तो इन बचत के पैसों से ही बच्चों के कपड़े और अन्य शिक्षा सामग्री आ जाती है. इससे बच्चे भी बचत करने और बैंक की प्रक्रिया के बारे में समझ जाते हैं.

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