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आदिवासी महाकुंभ बेणेश्वर मेला : 300 साल पुरानी शाही स्नान की परंपरा में उमड़े हजारों श्रद्धालु...

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Published : Feb 16, 2022, 5:37 PM IST

Updated : Feb 16, 2022, 6:08 PM IST

राजस्थान में बेणेश्वर धाम (tribals filled at beneshwar dham) पर आज आदिवासियों के महाकुंभ में हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े. यहां भक्तों ने दिवंगत परिजनों की अस्थियों का विसर्जन कर देव दर्शन किए. जानिए क्या है 300 साल पुरानी शाही स्नान की परंपरा...

tribals filled at beneshwar dham
आदिवासी महाकुंभ बेणेश्वर मेला

डूंगरपुर. 'मैं बेणेश्वर धाम हूं. सोम, माही, जाखम नदियों से घिरा हूं. मुझे वागड़ का हरिद्वार कहते हैं. भगवान की श्रीकृष्ण के अंशावतार संत मावजी महाराज की लीला और तपोस्थली हूं. माघ पूर्णिमा पर 300 साल से चली आ रही परंपराओं का साक्षी हूं. मृत आत्माओं की अस्थियों का विसर्जन करने पर मोक्ष देता हूं'. डूंगरपुर शहर से 70 किमी दूर बेणेश्वर धाम पर आज बुधवार को माघ पूर्णिमा पर आदिवासियों के महाकुंभ में हजारों की संख्या में भक्त उमड़े. इस दौरान श्रद्धालुओं ने सोम, माही और जाखम के त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई.

राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश समेत देशभर के कोने-कोने से आए भक्तों व श्रद्धालुओ ने त्रिवेणी संगम के नदी घाटों पर (beneshwar dham shahi snan) पवित्र स्नान किया. नदी में सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिए. शिव मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, ब्रम्हाजी मंदिर, वाल्मीकि मंदिरों में दर्शनों के लिए भक्तों की कतारें लग गईं. संत मावजी महाराज और निष्कलंक भगवान के जयकारे गूंजने लगे. माघ पूर्णिमा पर बेणेश्वर मेले में मुख्य आकर्षण महंत अच्युतानंद महाराज की पालकी यात्रा रही.

300 साल पुरानी शाही स्नान की परंपरा में उमड़े हजारों श्रद्धालु.

साबला श्री हरि मंदिर से भगवान के जयकारे लगाते हुए पालकी यात्रा रवाना हुई. ढोल, तबले ओर वाद्य यंत्रों की थाप पर साद समाज के भक्तों ने संत मावजी महाराज के भजनों का गुणगान किया. 5 किलोमीटर की पालकी यात्रा में हजारों श्रद्धालु जुड़ते गए. पालकी की धाम पर पंहुचते ही जयकारे मेले में आए हजारों भक्त जयकारे लगाते हुए पालकी का स्वागत और दर्शन किए. महंत ने श्री राधा-कृष्ण मंदिर में दर्शन किए और भक्तों को आशीर्वाद दिया.

पढ़ें : स्पेशल: करीब 300 साल के इतिहास को समेटे है 'बेणेश्वर धाम', मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने यहां रास लीला रचाई

पढ़ें : डूंगरपुर: 300 साल पुरानी परंपरा को तोड़ कार से शाही स्नान करने पहुंचे बेणेश्वर धाम के महंत

आबूदर्रा घाट पर शाही स्नान के साक्षी बने हजारों भक्त : महंत की पालकी सोम, माही, जाखम नदियो के त्रिवेणी संगम बेणेश्वर धाम आबूदर्रा घाट पर पहुंची. हजारों माव भक्तों के साथ महंत अच्युतानंद महाराज ने आबूदर्रा घाट पर त्रिवेणी संगम में शाही स्नान किया. हजारों माव भक्त इसके साक्षी बने. महंत ने श्रीफल उछाले, जिसे श्रद्धालुओं ने प्रसाद के रूप में लिया. आबूदर्रा घाट राजा बलि के यज्ञस्थली के रूप में प्रसिद्ध है. श्री हरि विष्णु ने इसी घाट पर राजा बलि के सिर पर पैर रखकर पाताल लोक में उतार दिया. इसके बाद से धाम की आस्था और बढ़ गई. मान्यता है कि सालभर में जिन परिवारों में लोगो की मौत हुई है, उनकी अस्थियों का त्रिवेणी संगम में विसर्जन किया जाता है. तर्पण-अर्पण के लिए भी भक्तों की भीड़ रही.

पढ़ें : बजट से आस: बेणेश्वर धाम बोर्ड के नाम पर 1 साल में सिर्फ प्रस्ताव बने...ना नामकरण, ना बोर्ड कमेटी और ना बजट का ठिकाना

सुरक्षा में 600 पुलिस के जवान तैनात : इधर बेणेश्वर मुख्य मेले को लेकर पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा व यातायात व्यवस्था को लेकर (Security Arrangements in Beneshwar Dham) कड़े बंदोबस्त किए गए हैं. आसपूर डिप्टी नोपाराम भाकर ने बताया कि मेले में 600 पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं, जिनको धाम के चप्पे-चप्पे पर तैनात किया गया है. इस दौरान घाटों पर स्नान, तर्पण व अर्पण के दौरान कोई हादसा न हो, इस पर निगरानी रखे हुए है. वहीं, सीसीटीवी कैमरों से संदिग्ध लोगों व गतिविधियों पर भी नजर रखी जा रही है.

जानिये बेणेश्वर धाम से जुड़ी आस्था...
माघ पूर्णिमा पर हर साल बड़ी संख्या में लोग बेणेश्वर धाम पर पहुंचते हैं. विक्रम संवत 1605-1637 के बीच महाराज आसकरण का शासन रहा. इसी दौरान सोम और माही नदी के इस टापू पर शिव मंदिर बनवाया गया था. उनके समय मे ही यहां एकत्रित होने वाले जनसमुदाय को व्यवस्थित कर आर्थिक दिशा देते हुए एक मेला आयोजन शुरू किया. इसका पूरा केंद्र आबू दर्रा के साथ-साथ यहां बना शिव मंदिर रहा.

डूंगरपुर. 'मैं बेणेश्वर धाम हूं. सोम, माही, जाखम नदियों से घिरा हूं. मुझे वागड़ का हरिद्वार कहते हैं. भगवान की श्रीकृष्ण के अंशावतार संत मावजी महाराज की लीला और तपोस्थली हूं. माघ पूर्णिमा पर 300 साल से चली आ रही परंपराओं का साक्षी हूं. मृत आत्माओं की अस्थियों का विसर्जन करने पर मोक्ष देता हूं'. डूंगरपुर शहर से 70 किमी दूर बेणेश्वर धाम पर आज बुधवार को माघ पूर्णिमा पर आदिवासियों के महाकुंभ में हजारों की संख्या में भक्त उमड़े. इस दौरान श्रद्धालुओं ने सोम, माही और जाखम के त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई.

राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश समेत देशभर के कोने-कोने से आए भक्तों व श्रद्धालुओ ने त्रिवेणी संगम के नदी घाटों पर (beneshwar dham shahi snan) पवित्र स्नान किया. नदी में सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिए. शिव मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, ब्रम्हाजी मंदिर, वाल्मीकि मंदिरों में दर्शनों के लिए भक्तों की कतारें लग गईं. संत मावजी महाराज और निष्कलंक भगवान के जयकारे गूंजने लगे. माघ पूर्णिमा पर बेणेश्वर मेले में मुख्य आकर्षण महंत अच्युतानंद महाराज की पालकी यात्रा रही.

300 साल पुरानी शाही स्नान की परंपरा में उमड़े हजारों श्रद्धालु.

साबला श्री हरि मंदिर से भगवान के जयकारे लगाते हुए पालकी यात्रा रवाना हुई. ढोल, तबले ओर वाद्य यंत्रों की थाप पर साद समाज के भक्तों ने संत मावजी महाराज के भजनों का गुणगान किया. 5 किलोमीटर की पालकी यात्रा में हजारों श्रद्धालु जुड़ते गए. पालकी की धाम पर पंहुचते ही जयकारे मेले में आए हजारों भक्त जयकारे लगाते हुए पालकी का स्वागत और दर्शन किए. महंत ने श्री राधा-कृष्ण मंदिर में दर्शन किए और भक्तों को आशीर्वाद दिया.

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आबूदर्रा घाट पर शाही स्नान के साक्षी बने हजारों भक्त : महंत की पालकी सोम, माही, जाखम नदियो के त्रिवेणी संगम बेणेश्वर धाम आबूदर्रा घाट पर पहुंची. हजारों माव भक्तों के साथ महंत अच्युतानंद महाराज ने आबूदर्रा घाट पर त्रिवेणी संगम में शाही स्नान किया. हजारों माव भक्त इसके साक्षी बने. महंत ने श्रीफल उछाले, जिसे श्रद्धालुओं ने प्रसाद के रूप में लिया. आबूदर्रा घाट राजा बलि के यज्ञस्थली के रूप में प्रसिद्ध है. श्री हरि विष्णु ने इसी घाट पर राजा बलि के सिर पर पैर रखकर पाताल लोक में उतार दिया. इसके बाद से धाम की आस्था और बढ़ गई. मान्यता है कि सालभर में जिन परिवारों में लोगो की मौत हुई है, उनकी अस्थियों का त्रिवेणी संगम में विसर्जन किया जाता है. तर्पण-अर्पण के लिए भी भक्तों की भीड़ रही.

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सुरक्षा में 600 पुलिस के जवान तैनात : इधर बेणेश्वर मुख्य मेले को लेकर पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा व यातायात व्यवस्था को लेकर (Security Arrangements in Beneshwar Dham) कड़े बंदोबस्त किए गए हैं. आसपूर डिप्टी नोपाराम भाकर ने बताया कि मेले में 600 पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं, जिनको धाम के चप्पे-चप्पे पर तैनात किया गया है. इस दौरान घाटों पर स्नान, तर्पण व अर्पण के दौरान कोई हादसा न हो, इस पर निगरानी रखे हुए है. वहीं, सीसीटीवी कैमरों से संदिग्ध लोगों व गतिविधियों पर भी नजर रखी जा रही है.

जानिये बेणेश्वर धाम से जुड़ी आस्था...
माघ पूर्णिमा पर हर साल बड़ी संख्या में लोग बेणेश्वर धाम पर पहुंचते हैं. विक्रम संवत 1605-1637 के बीच महाराज आसकरण का शासन रहा. इसी दौरान सोम और माही नदी के इस टापू पर शिव मंदिर बनवाया गया था. उनके समय मे ही यहां एकत्रित होने वाले जनसमुदाय को व्यवस्थित कर आर्थिक दिशा देते हुए एक मेला आयोजन शुरू किया. इसका पूरा केंद्र आबू दर्रा के साथ-साथ यहां बना शिव मंदिर रहा.

Last Updated : Feb 16, 2022, 6:08 PM IST
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