डूंगरपुर. कोरोना महामारी से आज हर कोई जूझ रहा है. ऐसे में केंद्र सरकार और राज्य सरकारें मिलकर गरीब लोगों तक राशन पहुंचाने का कार्य कर रही हैं, ताकि महामारी के दौर में राशन की किल्लत ना रहे. वहीं, घोटालेबाज दूसरों का हक मारने से बाज नहीं आ रहे. कुछ ऐसा ही मामला डूंगरपुर से सामने आया है, जहां ग्रामीण राशन के लिए तरसते रहे और डीलर अपना घर भरते रहे.
कोरोना के चलते लोगों के जीवनयापन पर संकट पैदा होने लगा तो सरकार से लेकर भामाशाह लोगों की मदद के लिए आगे आए. लेकिन गरीबों का राशन डकारने में डीलरों को जरा भी शर्म तक नहीं आई. गरीबों को बांटने के लिए पंहुचा गेहूं, चावल, दाल और चीनी डीलर ही चट कर गए.
ये है सरकार की योजना...
जिले में राज्य सरकार ने प्रत्येक व्यक्ति को मुफ्त में 5-5 किलो गेहूं, 1-1 किलो दाल देने की योजना बनाई और राशन डीलर के माध्यम से वितरण करवाया गया. हैरत की बात तो यह है कि यह गेहूं गरीबों तक पहुंचा ही नहीं. ईटीवी भारत की टीम डूंगरपुर शहर से 14 किलोमीटर दूर दोवड़ा पंचायत समिति के ग्राम पंचायत पगारा पंहुची और यहां लोगों से बात की तो ग्रामीणों से राशन डीलर की कारगुजारियों को उजागर किया.
इस ग्राम पंचायत में हैं 2500 परिवार...
ग्रामीणों ने बताया कि राशन देना तो दूर, उल्टे डीलर उन्हें इधर से उधर भटकाता रहा. ग्राम पंचायत पगारा की कुल आबादी 2500 से ज्यादा है और अधिकतर लोग खेतीबाड़ी, मजदूरी का काम करते हैं. कई लोग अन्य राज्यो में भी काम करते हैं, लेकिन 24 मार्च को लॉकडाउन के बाद कई लोग अपने घरों को लौट आए. लॉकडाउन में उनकी रोजी-रोटी छीन गई तो सरकारी योजनाएं ही उनके लिए मददगार साबित होने लगी, लेकिन इस पर भी राशन डीलरों की कारस्तानी भारी पड़ गई.
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पगारा गांव में जाते ही सबसे पहले गांव के युवा सुखलाल से मुलाकात हुई. सुखलाल ने ईटीवी भारत को बताया कि गांव में कुछ हिस्सा खेड़ा कच्छावासा में पड़ता है, लेकिन राशन वितरण पगारा से ही होता था. लॉकडाउन के दौरान उन्हें कभी भी राशन नहीं मिला. जब कभी भी डीलर के पास राशन लेने के लिए जाते तो राशन नहीं आने, पोस मशीन में नेटवर्क नहीं होने के बहाने बनाकर इधर से उधर भटकाता रहता था. इसके बाद वह राशन नहीं देता तो ऐसे में हमें पैसों से खरीदकर राशन लाना पड़ता है.
सुखलाल ने बताया कि अब जो राशन डीलर नियुक्त किया गया है, वह भी 3 किलोमीटर दूर सिदड़ी खेरवाड़ा में पड़ता है. ऐसे में राशन लेने जाने में ही दिक्कतें होती है. इसी दौरान गांव की महिला सविता से बात की तो उनका कहना था कि राशन डीलर में कभी भी राशन नहीं दिया.
राशन के नाम पर कई बहाने ...
सविता बताती हैं कि जब महिलाएं डीलर के दुकान पर जाती हैं तो वे उन्हें दिनभर बैठाए रखता है और फिर नेटवर्क नहीं होने, राशन कार्ड ऑनलाइन नहीं होने या अंगूठा नहीं आने का बहाना कर भगा देता है. इसी तरह की समस्या गांव की पानू देवी ने भी बताई और कहा कि लोगों को लॉकडाउन में राशन के लिए भारी परेशानी उठानी पड़ी है. अब भी उन्हें समय पर राशन नहीं मिल रहा है. ऐसे में उन्हें कई बार भूखे ही सोना पड़ता है.
ईटीवी भारत की टीम पगारा गांव में उस डीलर की दुकान तक पंहुची जहां राशन की दुकान चलती थी. राशन डीलर की ओर से एक केलिपोश घर को किराए पर लेकर उसी में राशन की दुकान चलाई जाती थी. जहां दो भाइयों के परिवार रहते हैं. उसी घर के एक कमरे में डीलर ने अपना गोदाम बना रखा था. कमरे पर ताला लटका हुआ था और लोगो से पूछा तो बताया की अंदर कुछ गेंहू की बोरिया पड़ी हुई हैं, लेकिन रसद विभाग के अधिकारियों ने उस पर ताला लगाया है.
जांच में भी हुई पुष्टि...
राशन नहीं मिलने से परेशान लोगों की शिकायत पर रसद विभाग की ओर से मामले की जांच की गई तो इस जांच में भी इसकी पुष्टि हुई कि ग्रामीणों को राशन नहीं मिल रहा है.
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ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें गेहूं, चावल, चीनी या दाल कुछ भी नहीं मिला तो कुछ लोगों ने कहा कि उन्हें राशन आधा अधूरा ही मिला है. परिवार में 7 से 8 सदस्य हैं, लेकिन गेंहू कम ही दिया. जांच में पाया गया कि करीब 250 क्विंटल गेंहू, एक क्विंटल दाल, 222 किलो चीनी स्टॉक में कम पाई गई. लेकिन इस मामले में अब तक राशन डीलरनक प्राधिकार पत्र ही निलंबित किया गया है. मामले में किसी तरह की एफआईआर दर्ज नहीं करवाई गई है.
कब-कब की गई कार्रवाई...
- 7 अप्रैल- दामड़ी के राशन डीलर पर कार्रवाई की गई थी. इस दौरान 50 एपीएल कार्डधारी जो लंबे समय से राशन नहीं ले रहे थे, उनके नाम से डीलर ने राशन उठा लिया था. इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों के नाम से भी राशन उठा लिया गया. इस पर डीलर का प्राधिकार पत्र निलंबित कर एफआईआर दर्ज करवाई गई. इसी दिन वस्सी कराता फला में राशन डीलर की ओर से लोगों को कम तोलकर राशन वितरण किया जा रहा था.
- 5 अप्रैल- नागरिया पंचेला डीलर दिलीप डामोर पर कार्रवाई की गई. जांच में मार्च माह में गेहूं वितरण नहीं करना पाया गया. इसके अलावा बोरी में डीलर निसार मोहम्मद द्वारा भी राशन वितरण में गड़बड़ी पाई गई, जिस पर लाइसेंस निरस्त किये गए.
- 12 अप्रैल- शहर के घाटी राशन डीलर द्वारा फर्जी तरीके से रिटायर्ड और सरकारी कर्मचारियों के नाम राशन उठाने की पुष्टि हुई. जिस पर प्राधिकार पत्र निलंबित करते हुए एफआईआर दर्ज करवाई गई.
- 16 अप्रैल- सागवाड़ा पंचायत समिति के पादरा लेम्प्स के सेल्स मैनेजर ने राशन कार्ड की आईडी हैक कर प्रदेश के 21 जिलों के 137 परिवारों के नाम राशन उठाने का मामला सामने आया. लेम्प्स से 29 क्विंटल 73 किलो गेंहू फर्जी तरीके से डकार लिया था. जिस पर लेम्प्स का प्राधिकार पत्र निलंबित कर मैनेजर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई.
- इसके अलावा आंतरी, भाटडा, भोड़न का वेला सहित कई राशन डीलर द्वारा मृत लोगों, सरकारी कर्मचारियों, विदेश या अन्य राज्यो में रहने वाले लोगों के नाम से भी राशन उठा लेने के मामले सामने आए. जिस पर रसद विभाग की ओर से कार्रवाई की गई.