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Special : प्राचीन बावड़ियों को मिला 'जीवन' तो तर होने लगे 'हलक'...20 फीट बढ़ा भूजल स्तर - वाटर हार्वेस्टिंग डूंगरपुर

डूंगरपुर नगर परिषद ने जल संरक्षण और जल संचय के मॉडल को लेकर देश ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नई पहचान बनाई है. डूंगरपुर नगर परिषद द्वारा जल संचय व जल संरक्षण को लेकर एक अनूठी मुहिम शुरू की गई, जिसके कारण बावड़ियों से 7 लाख लीटर पानी प्रतिदिन जलदाय विभाग को मिलने लगा है. यह पानी अब शहरवासियों के कंठ तर कर रहा है. देखिये ये रिपोर्ट...

dungarpur municipal council water harvesting, dungarpur latest hindi news
डूंगरपुर नगर परिषद की जल संरक्षण के लिए अनूठी पहल.
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Published : Dec 8, 2020, 9:32 PM IST

डूंगरपुर. हमेशा सुनते आए हैं 'जल ही जीवन' है और 'जल बिन कल' नहीं है. जल की उपयोगिता लगातार बढ़ रही है, लेकिन जल का संचय नहीं होने से भूजल स्तर गिरता ही जा रहा है. वहीं, डूंगरपुर नगर परिषद ने जल संरक्षण और जल संचय के मॉडल को लेकर देश ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नई पहचान बनाई है.

डूंगरपुर नगर परिषद के जल संचय व जल संरक्षण को लेकर अनूठी पहल...

डूंगरपुर नगर परिषद द्वारा जल संचय व जल संरक्षण को लेकर एक अनूठी मुहिम शुरू की गई, जिसके तहत शहर की मृत प्राचीन और एतिहासिक बावड़ियों की सफाई व खुदाई करते हुए उनका जीर्णोद्धार किया गया, जिसके बाद बावड़ियों से 7 लाख लीटर पानी प्रतिदिन जलदाय विभाग को मिलने लगा है. यह पानी अब शहरवासियों के कंठ तर कर रहा है. अस्तित्व खो चुकी इन बावड़ियों को जीवन मिलने से शहर के भीतरी क्षेत्रों में पेयजल की समस्या खत्म हो गई है और लोगों की परेशानी भी दूर हो गई है. शहर में विभिन्न जगहों पर आरओ वाटर प्लांट लगाकर 5 रुपये में 20 लीटर पानी भी उपलब्ध करवाया जा रहा है.

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डूंगरपुर जल संरक्षण...

500 से ज्यादा घरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम...

नगर परिषद ने जल संचय व जल संरक्षण को लेकर बीड़ा उठाया, जिसके तहत शहर में पहले सरकारी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग लगवाएं गए. इसके बाद आवासीय भवनों में वर्षा के जल को सहेजने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाएं, जिसके लिए नगर परिषद ने 8 हजार रुपये प्रति हार्वेस्टिंग सिस्टम पर अनुदान दिया. शहर को डार्क जोन से मुक्त करने के उद्देश्य से नगर परिषद ने करीब 500 से अधिक घरों में वाटर हार्वेस्टिंग का काम करवाया.

यह भी पढ़ें: Special: गोमूत्र करेगा प्रदूषण नियंत्रण, डीजल की भी होगी बचत...जयपुर MNIT में स्कॉलर ने किया रिसर्च

परिषद ने ऐसा वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तैयार किया, जो ज्यादा कारगर और सस्ता है. इस मॉडल में छत का वर्षा जल पाइप के जरिए पाइप से ही बने एक फिल्टर में आता है, जो साफ होकर पानी घर मे बोरिंग या नजदीक के हैंडपंप के जरिए सीधा जमीन में उतर जाता है. इस मॉडल में महज 16 हजार लागत आती है. डूंगरपुर में नगर परिषद इस काम के लिए 8 हजार रुपये की सब्सिडी भी देती है. वाटर हार्वेस्टिंग के इस नए मॉडल से डूंगरपुर शहर का भूजल स्तर 20 फीट तक ऊपर आ गया, वहीं पानी मे टीडीएस की मात्रा भी कम हो गई है.

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भीतरी क्षेत्रों में पेयजल...

राष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान...

डूंगरपुर नगर परिषद के जल संचय व जल संरक्षण के इस मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया. डूंगरपुर नगर परिषद के इस मॉडल को देखने के लिए खुद दिल्ली सरकार के जल मंत्री सत्येन्द्र जैन डूंगरपुर आए थे. उन्होंने इस मॉडल को काफी उपयोगी माना और दिल्ली में लागू करवाने की बात कही. इस कार्य के लिए नगर परिषद के निवर्तमान सभापति व स्वच्छता के प्रदेश ब्रांड एम्बेसेडर केके गुप्ता का राष्ट्रीय स्तर पर दो बार सम्मान भी हो चुका है. जल संचय व संरक्षण के लिए केंद्र के जल मंत्रालय और वाटर डाइजेस्ट नाम की संस्था ने भी केके गुप्ता का सम्मान किया है.

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बावड़ियों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम...

यह भी पढ़ें: Special : कोरोना ने किया कोटा की 'रीढ़' पर वार...4 महीने में 3000 करोड़ का झटका, एक लाख लोग बेरोजगार

जमीन के पानी को सहेजने की जरूरत...

आज के भौतिक युग में जल की उपयोगिता बढ़ गई है. अगर हम जमीन के पानी का इसी तरह उपयोग करते रहें, तो वो दिन दूर नहीं जब इस धरती पर जल संकट होगा. इसलिए वर्षा के जल को सहेजते हुए भूजल स्तर को बढ़ाने की दिशा में डूंगरपुर नगर परिषद की पहल सराहनीय है. ऐसे में अब राजस्थान सरकार की टीम भी डूंगरपुर आकर इस मॉडल को अध्ययन करेगी.

डूंगरपुर. हमेशा सुनते आए हैं 'जल ही जीवन' है और 'जल बिन कल' नहीं है. जल की उपयोगिता लगातार बढ़ रही है, लेकिन जल का संचय नहीं होने से भूजल स्तर गिरता ही जा रहा है. वहीं, डूंगरपुर नगर परिषद ने जल संरक्षण और जल संचय के मॉडल को लेकर देश ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नई पहचान बनाई है.

डूंगरपुर नगर परिषद के जल संचय व जल संरक्षण को लेकर अनूठी पहल...

डूंगरपुर नगर परिषद द्वारा जल संचय व जल संरक्षण को लेकर एक अनूठी मुहिम शुरू की गई, जिसके तहत शहर की मृत प्राचीन और एतिहासिक बावड़ियों की सफाई व खुदाई करते हुए उनका जीर्णोद्धार किया गया, जिसके बाद बावड़ियों से 7 लाख लीटर पानी प्रतिदिन जलदाय विभाग को मिलने लगा है. यह पानी अब शहरवासियों के कंठ तर कर रहा है. अस्तित्व खो चुकी इन बावड़ियों को जीवन मिलने से शहर के भीतरी क्षेत्रों में पेयजल की समस्या खत्म हो गई है और लोगों की परेशानी भी दूर हो गई है. शहर में विभिन्न जगहों पर आरओ वाटर प्लांट लगाकर 5 रुपये में 20 लीटर पानी भी उपलब्ध करवाया जा रहा है.

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डूंगरपुर जल संरक्षण...

500 से ज्यादा घरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम...

नगर परिषद ने जल संचय व जल संरक्षण को लेकर बीड़ा उठाया, जिसके तहत शहर में पहले सरकारी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग लगवाएं गए. इसके बाद आवासीय भवनों में वर्षा के जल को सहेजने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाएं, जिसके लिए नगर परिषद ने 8 हजार रुपये प्रति हार्वेस्टिंग सिस्टम पर अनुदान दिया. शहर को डार्क जोन से मुक्त करने के उद्देश्य से नगर परिषद ने करीब 500 से अधिक घरों में वाटर हार्वेस्टिंग का काम करवाया.

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परिषद ने ऐसा वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तैयार किया, जो ज्यादा कारगर और सस्ता है. इस मॉडल में छत का वर्षा जल पाइप के जरिए पाइप से ही बने एक फिल्टर में आता है, जो साफ होकर पानी घर मे बोरिंग या नजदीक के हैंडपंप के जरिए सीधा जमीन में उतर जाता है. इस मॉडल में महज 16 हजार लागत आती है. डूंगरपुर में नगर परिषद इस काम के लिए 8 हजार रुपये की सब्सिडी भी देती है. वाटर हार्वेस्टिंग के इस नए मॉडल से डूंगरपुर शहर का भूजल स्तर 20 फीट तक ऊपर आ गया, वहीं पानी मे टीडीएस की मात्रा भी कम हो गई है.

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भीतरी क्षेत्रों में पेयजल...

राष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान...

डूंगरपुर नगर परिषद के जल संचय व जल संरक्षण के इस मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया. डूंगरपुर नगर परिषद के इस मॉडल को देखने के लिए खुद दिल्ली सरकार के जल मंत्री सत्येन्द्र जैन डूंगरपुर आए थे. उन्होंने इस मॉडल को काफी उपयोगी माना और दिल्ली में लागू करवाने की बात कही. इस कार्य के लिए नगर परिषद के निवर्तमान सभापति व स्वच्छता के प्रदेश ब्रांड एम्बेसेडर केके गुप्ता का राष्ट्रीय स्तर पर दो बार सम्मान भी हो चुका है. जल संचय व संरक्षण के लिए केंद्र के जल मंत्रालय और वाटर डाइजेस्ट नाम की संस्था ने भी केके गुप्ता का सम्मान किया है.

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बावड़ियों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम...

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जमीन के पानी को सहेजने की जरूरत...

आज के भौतिक युग में जल की उपयोगिता बढ़ गई है. अगर हम जमीन के पानी का इसी तरह उपयोग करते रहें, तो वो दिन दूर नहीं जब इस धरती पर जल संकट होगा. इसलिए वर्षा के जल को सहेजते हुए भूजल स्तर को बढ़ाने की दिशा में डूंगरपुर नगर परिषद की पहल सराहनीय है. ऐसे में अब राजस्थान सरकार की टीम भी डूंगरपुर आकर इस मॉडल को अध्ययन करेगी.

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