डूंगरपुर. पाली जिले में एक मरीज ने अक्टूबर में वहां के चिकित्सा विभाग को बेच नंबर 189 एम्लोडिपिन टेबलेट पत्ते से बाहर निकलते ही चुरा होने की शिकायत की थी. इसके बाद चिकित्सा विभाग ने इस बैच की दवा को जांच के लिए जयपुर प्रयोगशाला में भेजा. जहां से 18 दिसंबर को इस दवा की जांच रिपोर्ट विभाग के पास आई, जिसमें यह दवा कठोरपन के पैरामीटर पर खरा नहीं उतरी और दवा निम्न गुणवत्ता की पाई गई.
एटीटी 189 की एम्लोडिपिन टेबलेट प्रतिबंधित
जांच रिपोर्ट में दवा की गुणवत्ता का खुलासा होते ही चिकित्सा विभाग ने बेच नंबर एटीटी 189 की एम्लोडिपिन टेबलेट को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया. डूंगरपुर वेयर हाउस के अनुसार 18 दिसंबर को उनके पास जयपुर से इस दवा के वितरण ओर मरीजों को देने पर रोक लगाने आदेश मिले. इसके साथ ही अब तक बांटी गई टेबलेट को भी वापस मंगाने के निर्देश दिए गए.
20 हजार दवाइयों में से 12 हजार आई वापस
जिला औषधि नियंत्रण अधिकारी और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने भी जिले के समस्त चिकित्सा अधिकारियों को इस दवा के फेल होने और वितरण पर रोक लगाने के आदेश दे दिए, लेकिन तब तक डूंगरपुर जिले में करीब 8 हजार टेबलेट मरीजों को बांटी जा चुकी थी और मरीज उन दवाओं को खा चुके थे. वहीं विभाग ने जब इन दवाओं को पीएचसी व सीएचसी से वापस मंगवाया तो करीब 12 हजार टैबलेट ही वापस आई. जबकि विभाग के पास इस बेच की करीब 20 हजार दवाई आई थी. विभाग ने इन दवाओं को वापस लेते हुए सील कर दिया है.
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गुणवत्ता में कोई कमी नहीं
वहीं इस बारे में जिला औषधि वितरण अधिकारी डॉ. लोकेश परमार ने बताया कि जिस दवाई का सैम्पल फेल हुआ है, इसकी गुणवत्ता में कोई कमी नहीं है, लेकिन वह निकालते ही चुरा होने की अमानक पाई है. इस दवा को खाने के बाद कोई भी मरीज भी दुष्प्रभाव से पीड़ित होकर नहीं आया है. विभाग ने कहा कि ब्लड प्रेशर के अन्य बेच की दवाइयां उनके पास पर्याप्त मात्रा में है इसलिए दवा में कमी की समस्या भी नहीं है.