बसेड़ी (धौलपुर). रोजी-रोटी कमाने के लिए खानों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए खनन कार्य के दौरान उड़ने वाली धूल से सिलिकोसिस जैसी गंभीर बीमारी रौद्ररूप ले रही है. इस बीमारी को रोकने के लिए खनिज विभाग और डांग विकास संस्थान खान मजदूर और पट्टेधारियों को जागरूक कर सिलिकोसिस की बीमारी पर रोक लगाने के लिए मिलकर प्रयास कर रहे हैं.
हालांकि, खानिज विभाग ने भी सुरक्षित खनन के लिए मास्क और गीली ड्रिल पद्धति अपनाने पर विशेष बल दिया है. बता दें कि शनिवार को खनि अभियंता रामनिवास मंगल की अध्यक्षता में डांग विकास संस्थान के प्रतिनिधियों ने खनन हितग्रहियों के साथ सुरक्षित खनन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन सरमथुरा में किया गया.
कार्यशाला में डांग विकास संस्थान के प्रतिनिधि डॉ. विकास भारद्धाज और कार्यक्रम समन्वयक राजेश कुमार शर्मा ने सुरक्षति खनन करने के लिए खनन श्रमिकों को नवीन पद्धति से अवगत कराया. शर्मा ने बताया कि खनन के दौरान धूल नियंत्रण करने के लिए संस्थान ने विशेष टूल तैयार किया है.
खान मजदूरों को इस टूल का उपयोग करने को लेकर खदानों में पहुंचकर प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. करौली, धौलपुर, भरतपुर, अजमेर और भीलवाड़ा जिले के खान मजदूरों को इसके उपयोग का प्रशिक्षण का डेमो भी दिया जा रहा है.
दरअसल, ये टूल देशी तकनीक से बना है, इसकी क्लिप खोलकर फोम बदली या सफाई कर पुनः लगाई जा सकती है. डेमो के दौरान जब इस टूल की फोम को श्रमिक ने 8 घंटे काम करने के दौरान बीच में करीब 6 बार धोया तो साफ बाल्टी के पानी में काफी धूल नीचे जमा हो गई. इससे यह टूल सस्ता, सुलभ और उपयोगिता के हिसाब से वरदान साबित होगा. 30-35 प्रतिशत तक धूल से बचाव होने से सिलिकोसिस जैसी बीमारी से बचाव तथा श्रमिक की स्वास्थ्य जीवनीय शक्ति भी बढ़ने की संभावना जताई गई.
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एमई बोले - खनन श्रमिकों के अधिकारों के लिए संस्थान के कार्य सराहनीय
कार्यशाला में खनिज अभियंता धौलपुर रामनिवास मंगल ने खनन श्रमिकों के अधिकारों के लिए संस्थान द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि खान और अन्य कारखानों में उड़ती धूल श्वसन के साथ फेफड़ों तक पहुंचने से श्रमिकों में सिलिकोसिस जैसी बीमारी निरंतर पैर पसार रही है. हालांकि, सरकार ने सिलिकोसिस रोगियों के स्वास्थ्य जांच के लिए खनन बहुल जिलों में विशेष कैंप तथा न्यूमोकॉनियोसिस बोर्ड भी बनाए है.