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धौलपुर: सिलिकोसिस की रोकथाम के लिए एक दिवसीय कार्यशाला, एमई बोले- नई तकनीक अपनाने से बीमारी का बचाव संभव - सिलिकोसिस की रोकथाम

धौलपुर के बसेड़ी अन्तर्गत सरमथुरा में शनिवार को खनन श्रमिक, पट्टेधारियों और उद्यमियों को सिलिकोसिस बीमारी की रोकथाम के उपाय बताने के मकसद से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में खनन श्रमिकों को नवीन तकनीक के बारे में जानकारी दी गई. वहीं सिलिकोसिस बीमारी की रोकथाम के उपाए बताए गए.

धौलपुर की खबर, workshop organized
कार्यक्रम में श्रमिकों को जानकारी देते अधिकारी व प्रतिनिधि
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Published : Dec 8, 2019, 3:19 PM IST

बसेड़ी (धौलपुर). रोजी-रोटी कमाने के लिए खानों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए खनन कार्य के दौरान उड़ने वाली धूल से सिलिकोसिस जैसी गंभीर बीमारी रौद्ररूप ले रही है. इस बीमारी को रोकने के लिए खनिज विभाग और डांग विकास संस्थान खान मजदूर और पट्टेधारियों को जागरूक कर सिलिकोसिस की बीमारी पर रोक लगाने के लिए मिलकर प्रयास कर रहे हैं.

सिलिकोसिस बीमारी को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

हालांकि, खानिज विभाग ने भी सुरक्षित खनन के लिए मास्क और गीली ड्रिल पद्धति अपनाने पर विशेष बल दिया है. बता दें कि शनिवार को खनि अभियंता रामनिवास मंगल की अध्यक्षता में डांग विकास संस्थान के प्रतिनिधियों ने खनन हितग्रहियों के साथ सुरक्षित खनन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन सरमथुरा में किया गया.

कार्यशाला में डांग विकास संस्थान के प्रतिनिधि डॉ. विकास भारद्धाज और कार्यक्रम समन्वयक राजेश कुमार शर्मा ने सुरक्षति खनन करने के लिए खनन श्रमिकों को नवीन पद्धति से अवगत कराया. शर्मा ने बताया कि खनन के दौरान धूल नियंत्रण करने के लिए संस्थान ने विशेष टूल तैयार किया है.

खान मजदूरों को इस टूल का उपयोग करने को लेकर खदानों में पहुंचकर प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. करौली, धौलपुर, भरतपुर, अजमेर और भीलवाड़ा जिले के खान मजदूरों को इसके उपयोग का प्रशिक्षण का डेमो भी दिया जा रहा है.

दरअसल, ये टूल देशी तकनीक से बना है, इसकी क्लिप खोलकर फोम बदली या सफाई कर पुनः लगाई जा सकती है. डेमो के दौरान जब इस टूल की फोम को श्रमिक ने 8 घंटे काम करने के दौरान बीच में करीब 6 बार धोया तो साफ बाल्टी के पानी में काफी धूल नीचे जमा हो गई. इससे यह टूल सस्ता, सुलभ और उपयोगिता के हिसाब से वरदान साबित होगा. 30-35 प्रतिशत तक धूल से बचाव होने से सिलिकोसिस जैसी बीमारी से बचाव तथा श्रमिक की स्वास्थ्य जीवनीय शक्ति भी बढ़ने की संभावना जताई गई.

पढे़ं: धौलपुर: लूट और डकैती के 2 आरोपी गिरफ्तार, 3 नवंबर को पुलिस की घेराबंदी तोड़कर हुए थे फरार

एमई बोले - खनन श्रमिकों के अधिकारों के लिए संस्थान के कार्य सराहनीय

कार्यशाला में खनिज अभियंता धौलपुर रामनिवास मंगल ने खनन श्रमिकों के अधिकारों के लिए संस्थान द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि खान और अन्य कारखानों में उड़ती धूल श्वसन के साथ फेफड़ों तक पहुंचने से श्रमिकों में सिलिकोसिस जैसी बीमारी निरंतर पैर पसार रही है. हालांकि, सरकार ने सिलिकोसिस रोगियों के स्वास्थ्य जांच के लिए खनन बहुल जिलों में विशेष कैंप तथा न्यूमोकॉनियोसिस बोर्ड भी बनाए है.

बसेड़ी (धौलपुर). रोजी-रोटी कमाने के लिए खानों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए खनन कार्य के दौरान उड़ने वाली धूल से सिलिकोसिस जैसी गंभीर बीमारी रौद्ररूप ले रही है. इस बीमारी को रोकने के लिए खनिज विभाग और डांग विकास संस्थान खान मजदूर और पट्टेधारियों को जागरूक कर सिलिकोसिस की बीमारी पर रोक लगाने के लिए मिलकर प्रयास कर रहे हैं.

सिलिकोसिस बीमारी को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

हालांकि, खानिज विभाग ने भी सुरक्षित खनन के लिए मास्क और गीली ड्रिल पद्धति अपनाने पर विशेष बल दिया है. बता दें कि शनिवार को खनि अभियंता रामनिवास मंगल की अध्यक्षता में डांग विकास संस्थान के प्रतिनिधियों ने खनन हितग्रहियों के साथ सुरक्षित खनन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन सरमथुरा में किया गया.

कार्यशाला में डांग विकास संस्थान के प्रतिनिधि डॉ. विकास भारद्धाज और कार्यक्रम समन्वयक राजेश कुमार शर्मा ने सुरक्षति खनन करने के लिए खनन श्रमिकों को नवीन पद्धति से अवगत कराया. शर्मा ने बताया कि खनन के दौरान धूल नियंत्रण करने के लिए संस्थान ने विशेष टूल तैयार किया है.

खान मजदूरों को इस टूल का उपयोग करने को लेकर खदानों में पहुंचकर प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. करौली, धौलपुर, भरतपुर, अजमेर और भीलवाड़ा जिले के खान मजदूरों को इसके उपयोग का प्रशिक्षण का डेमो भी दिया जा रहा है.

दरअसल, ये टूल देशी तकनीक से बना है, इसकी क्लिप खोलकर फोम बदली या सफाई कर पुनः लगाई जा सकती है. डेमो के दौरान जब इस टूल की फोम को श्रमिक ने 8 घंटे काम करने के दौरान बीच में करीब 6 बार धोया तो साफ बाल्टी के पानी में काफी धूल नीचे जमा हो गई. इससे यह टूल सस्ता, सुलभ और उपयोगिता के हिसाब से वरदान साबित होगा. 30-35 प्रतिशत तक धूल से बचाव होने से सिलिकोसिस जैसी बीमारी से बचाव तथा श्रमिक की स्वास्थ्य जीवनीय शक्ति भी बढ़ने की संभावना जताई गई.

पढे़ं: धौलपुर: लूट और डकैती के 2 आरोपी गिरफ्तार, 3 नवंबर को पुलिस की घेराबंदी तोड़कर हुए थे फरार

एमई बोले - खनन श्रमिकों के अधिकारों के लिए संस्थान के कार्य सराहनीय

कार्यशाला में खनिज अभियंता धौलपुर रामनिवास मंगल ने खनन श्रमिकों के अधिकारों के लिए संस्थान द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि खान और अन्य कारखानों में उड़ती धूल श्वसन के साथ फेफड़ों तक पहुंचने से श्रमिकों में सिलिकोसिस जैसी बीमारी निरंतर पैर पसार रही है. हालांकि, सरकार ने सिलिकोसिस रोगियों के स्वास्थ्य जांच के लिए खनन बहुल जिलों में विशेष कैंप तथा न्यूमोकॉनियोसिस बोर्ड भी बनाए है.

Intro:धौलपुर के बसेडी अन्तर्गत सरमथुरा में शनिवार को खनन श्रमिक, पट्टेधारियों व उद्यमियों को सिलिकोसिस बीमारी की रोकथाम के उपए बताते हुए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में खनन श्रमिको को नवीन तकनीक के बारे में जानकारी दी गई वही सिलिकोसिस बीमारी की रोकथाम के उपाए बताए गए।Body:बसेडी(धौलपुर)। रोजी-रोटी के लिए खानों में धूल फांकने वाले श्रमिकों में खनन कार्य के दौरान उड़ने वाली धूल से सिलिकोसिस जैसी गंभीर बीमारी रौद्ररूप ले रही है। सिलिकोसिस जैसी घातक बीमारी को रोकने के लिए खनि विभाग व डांग विकास संस्थान खान मजदूर व पट्टेधारियों को जागृत कर सिलिकोसिस की बीमारी पर रोक लगाने के लिए मिलकर प्रयास कर रहे है। हालांकि, खान विभाग ने भी सुरक्षित खनन के लिए मास्क व गीली ड्रिल पद्धति अपनाने पर विशेष बल दिया जा रहा है।
शनिवार को खनि अभियंता रामनिवास मंगल की अध्यक्षता में डांग विकास संस्थान के प्रतिनिधियों ने खनन हितग्रहियों के साथ सुरक्षित खनन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन सरमथुरा में किया। कार्यशाला में डांग विकास संस्थान के प्रतिनिधि डाॅ. विकास भारद्धाज व कार्यक्रम समन्वयक राजेश कुमार शर्मा ने सुरक्षति खनन करने के लिए खनन श्रमिकों को नवीन पद्धति से अवगत कराया। शर्मा ने बताया कि खनन के दौरान धूल नियंत्रण करने के लिए संस्थान ने विशेष टूल तैयार किया है। खान मजदूरों को इस टूल का उपयोग करने का खदानों में पहुंचकर प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। करौली,धौलपुर, भरतपुर, अजमेर व भीलवाड़ा जिले के खान मजदूरों को इसका उपयोग करने का प्रशिक्षण का डेमो भी दिया जा रहा है।
राजेश शर्मा ने बताया कि इस टूल के तहत खानों में श्रमिक जो बडी टांकी से गुल्ली का काम करते हैं। उस टांकी में रबड की एक खास क्लिप लगाई गई है,जिसके नीचे फोम लगाया है। श्रमिक जब खनन कार्य करता है तो इस फोम को गीली कर लेता है, इससे खनन की उड़ने वाली धूल इस फोम पर चिपक जाती है, इससे श्वसन के दौरान श्रमिक इस खतरनाक धूल से बच जाता है। यह टूल विशेषकर मैन्युअल माइनिंग वर्क में उपयोगी है। यहां श्रमिक 4-4 इंची के छेद इस टांकी द्वारा ही करते हैं। हालांकि, गीली छेदन प्रणाली अपनाते हैं तो श्रमिक को पत्थर की चिकनाई से काम करने में दिक्कत होती है। जबकि इस टूल से काम करने में ज्यादा आसानी है। यह टूल देसी तकनीक से बना है, इसकी क्लिप खोलकर फोम बदली या सफाई कर पुनः लगाई जा सकती है। डेमो के दौरान जब इस टूल की फोम को श्रमिक ने 8 घंटे काम करने के दौरान बीच में करीब 6 बार धोया तो साफ बाल्टी के पानी में काफी धूल नीचे जमा हो गई। इससे यह टूल सस्ता,सुलभ व उपयोगिता के हिसाब से वरदान साबित होगा। 30-35 प्रतिशत तक धूल से बचाव होने से सिलिकोसिस जैसी बीमारी से बचाव तथा श्रमिक की स्वास्थ्य जीवनीय शक्ति भी बढ़ने की संभावना जताई गई। संस्थान द्वारा कार्यशाला में खान श्रमिको को प्रोजेक्टर के माध्यम से वीडियों क्लिप दिखाकर तकनीक को अपनाने पर बल दिया गया। इस मौके पर संस्थान के सदस्य महेशचंद सहित उद्यमी सुरेश गर्ग, वहीद खां, विवेक गोयल, राहुल गोयल, रामलखन, किशनसिह, रामविहारी, सियाराम, सुरेश जगरिया सहित खनन श्रमिक मौजूद थे।

एमई बोलेः खनन श्रमिको के अधिकारो के लिए संस्थान के कार्य सराहनीय
कार्यशाला में खनि अभियंता धौलपुर रामनिवास मंगल ने खनन श्रमिको के अधिकारो के लिए संस्थान द्वारा किए जा रहे प्रयासो की सराहना करते हुए कहा कि खान व अन्य कारखानों में उड़ती धूल श्वसन के साथ फेफड़ों तक पहुंचने से श्रमिकों में सिलिकोसिस जैसी बीमारी निरंतर पैर पसार रही है। हालांकि, सरकार ने सिलिकोसिस रोगियों के स्वास्थ्य जांच के लिए खनन बहुल जिलों में विशेष कैंप तथा न्यूमोकॉनियोसिस बोर्ड भी बनाए हैं। राज्य के प्रमुख चार जिलों करौली, धौलपुर, दौसा व भरतपुर में खनन श्रमिकों, खनन श्रमिक विधवाओं, निर्माण श्रमिकों, क्रेशर पर कार्य करने वाले श्रमिकों के अधिकारों, आजीविका विकास कौशल, अधिकारिता व व्यवसायिक स्वास्थ्य पर उभर रहे खतरे तथा सिलिकोसिस जैसे गंभीर मुद्दों पर डांग विकास संस्थान, करौली (एनजीओ) विशेष रूप से कार्य कर रहा है।

वाईट- राजेश शर्मा कार्यक्रम समन्वकConclusion:
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