धौलपुर. प्रदेशभर में कोरोना की दूसरी लहर ने कई परिवारों को कभी न भूलने वाला दर्द दिया है. अपनों को खोने के दर्द से जूझते हुए जैसे-तैसे जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश में परिजन जुटे हैं. लेकिन उनकी ये कोशिशें सरकारी सिस्टम की भूल-भुलैया में उलझकर रह जा रही हैं. ताजा मामला धौलपुर जिले से सामने आया है. यहां कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जान गंवा बैठी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ममता शर्मा के बच्चे न्याय के लिए सरकारी चौखटों के चक्कर काट रहे हैं.
सरकारी चौखट दर चौखट फरियाद देने के बाद भी जब कुछ नहीं हुआ तो ये बच्चे सोमवार को जिला कलक्टर के पास पहुंच गए. दोनों बच्चों ने जिला कलक्टर राकेश कुमार जायसवाल को ज्ञापन देते हुए न्याय की गुहार लगाई है. बच्चों ने राज्य सरकार से कोरोना से हुई मौत पर 50 लाख रुपए का मुआवजा दिलाने की मांग की है.
आंगनबाड़ी संघ की जिलाध्यक्ष सरिता बंसल ने बताया कि सरमथुरा उपखंड इलाके के गांव चंद्रावली में तैनात आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ममता शर्मा वैक्सीनेशन अभियान के दौरान 4 अप्रैल 2021 को कोरोना संक्रमित हुई थी. ममता की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें सरमथुरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से जिला अस्पताल धौलपुर के लिए रेफर किया गया था. जिला अस्पताल में भी तबीयत में सुधार नहीं होने पर ममता को जयपुर के महात्मा गांधी अस्पताल रेफर कर दिया गया था. जहां इलाज के दौरान 21 अप्रैल को ममता की मौत हो गई.
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संवेदना जताने भी कोई नहीं पहुंचा
सरिता ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ममता की मौत के बाद पूरे परिवार पर आर्थिक संकट गहरा गया. बच्चे छोटे होने के कारण परिवार की आर्थिक गाड़ी को खींचने का जरिया भी नहीं रहा. उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मौत पर किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने संवेदना भी जताने की जहमत नहीं उठाई.
मुआवजे के लिए दर-दर की ठोकर
कोरोना वैक्सीनेशन अभियान के दौरान हुई मौत पर मुआवजे के लिए परिजन सरकारी चौखटों के चक्कर काट रहे हैं. उपखंड स्तरीय प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर जिला प्रशासन तक कई बार फरियाद पहुंचाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो सकी. आर्थिक संकट से जूझ रहे बच्चों को जब कहीं से राहत मिलती नजर नहीं आई तो वे पहुंच गए जिला कलक्टर के पास. कलक्टर को बच्चों ने अपना दर्द बताते हुए कोरोना योद्धाओं के लिए राज्य सरकार की ओर से घोषित 50 लाख रुपए के मुआवजे को दिलाने की मांग की है.