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वन्यजीव गणना में इस बार दौसा जिले में बघेरों की संख्या बढ़ी

दौसा जिले में वन विभाग की ओर से की गई वन्यजीव गणना में इस बार वन्यजीवों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है...

दौसाः वन्यजीव गणना में इस बार जिले में बघेरों की संख्या में हुई बढ़ोतरी
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Published : Jun 11, 2019, 5:35 PM IST

दौसा. वन विभाग की ओर से करवाई गई वन्यजीव गणना में वन्यजीवों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. जिले जहां वर्ष 2017- 18 में एक भी बघेरा नहीं था. वहीं, इस बार वन्यजीव गणना में जिले में आधा दर्जन से अधिक बघेरे पाए गए हैं.

दौसाः वन्यजीव गणना में इस बार जिले में बघेरों की संख्या में हुई बढ़ोतरी

सहायक वन संरक्षक पियूष शर्मा ने बताया कि वन्य जीव गणना में इस बार सियार के अलावा सभी जीवो में इजाफा पाया गया है . हालांकि जिले में सियार फिर भी 958 है. वहीं लोमड़ी जो कि जिले में पहले 66 थी वह इस वर्ष बढ़कर 100 हो गई हैं. जिले में सांभर जो एक भी नहीं था, वह इस वर्ष 13 पाए गए हैं. नीलगाय 1460 मिल रही हैं. इस प्रकार जंगली सूअर व सेइ जैसे वन्यजीवों में भी इजाफा पाया गया है. पक्षियों की बात करें तो राष्ट्रीय पक्षी मोर भी जो कि पिछले साल 1567 थे वह इस वर्ष बढ़कर 1768 हो गए हैं.

सहायक वन संरक्षक ने बताया कि जंगलों में ही पानी की व्यवस्था कर देने से जंगली जीव रिहायशी इलाकों में नहीं आते. उन्होंने बताया कि वन्यजीव गणना बुद्ध पूर्णिमा पर ही करवाई जाती है. जिसका मुख्य कारण यह है कि चंद्रमा की रोशनी अधिक होती है. जिससे कि रात्रि में जंगली जानवरों को आसानी से देखा जाता है व जीव 24 घंटे में एक बार पानी पीने के लिए जरूर बाहर आते हैं. मुख्यतः रात्रि में ही आते हैं इसलिए रात्रि में बुद्ध पूर्णिमा रोशनी अधिक होने से उन्हें आसानी से देखा जा सकता है. और उनकी गिनती की जा सकती है .

दौसा. वन विभाग की ओर से करवाई गई वन्यजीव गणना में वन्यजीवों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. जिले जहां वर्ष 2017- 18 में एक भी बघेरा नहीं था. वहीं, इस बार वन्यजीव गणना में जिले में आधा दर्जन से अधिक बघेरे पाए गए हैं.

दौसाः वन्यजीव गणना में इस बार जिले में बघेरों की संख्या में हुई बढ़ोतरी

सहायक वन संरक्षक पियूष शर्मा ने बताया कि वन्य जीव गणना में इस बार सियार के अलावा सभी जीवो में इजाफा पाया गया है . हालांकि जिले में सियार फिर भी 958 है. वहीं लोमड़ी जो कि जिले में पहले 66 थी वह इस वर्ष बढ़कर 100 हो गई हैं. जिले में सांभर जो एक भी नहीं था, वह इस वर्ष 13 पाए गए हैं. नीलगाय 1460 मिल रही हैं. इस प्रकार जंगली सूअर व सेइ जैसे वन्यजीवों में भी इजाफा पाया गया है. पक्षियों की बात करें तो राष्ट्रीय पक्षी मोर भी जो कि पिछले साल 1567 थे वह इस वर्ष बढ़कर 1768 हो गए हैं.

सहायक वन संरक्षक ने बताया कि जंगलों में ही पानी की व्यवस्था कर देने से जंगली जीव रिहायशी इलाकों में नहीं आते. उन्होंने बताया कि वन्यजीव गणना बुद्ध पूर्णिमा पर ही करवाई जाती है. जिसका मुख्य कारण यह है कि चंद्रमा की रोशनी अधिक होती है. जिससे कि रात्रि में जंगली जानवरों को आसानी से देखा जाता है व जीव 24 घंटे में एक बार पानी पीने के लिए जरूर बाहर आते हैं. मुख्यतः रात्रि में ही आते हैं इसलिए रात्रि में बुद्ध पूर्णिमा रोशनी अधिक होने से उन्हें आसानी से देखा जा सकता है. और उनकी गिनती की जा सकती है .

Intro: वन विभाग की बड़ी उपलब्धि वन विभाग द्वारा करवाई गई वर्ष 2018 19 की वन्यजीव गणना में सब वन्यजीवों की तादाद बढ़ी है।

डे प्लान स्टोरी


Body:दौसा, वन विभाग की बड़ी उपलब्धि वर्ष 2018- 19 में करवाई गई वन्यजीव गणना में विभाग ने वन्यजीवों की उपलब्धता में बढ़ोतरी पाई गई है। जिले जहां वर्ष 2017- 18 में एक भी बघेरा देखने के लिए नहीं था वहीं इस वर्ष की वन्यजीव गणना में जिले में आधा दर्जन से अधिक बघेरे पाए गए हैं । सहायक वन संरक्षक पियूष शर्मा ने बताया कि वन्य जीव गणना में इस बार सियार के अलावा सभी जीवो में इजाफा पाया गया है । हालांकि जिले में सियार फिर भी 958 है । वही लोमड़ी जो कि जिले में पहले 66 थी वह इस वर्ष बढ़कर 100 हो गई है । जिले में सांभर जो एक भी नहीं था । वह इस वर्ष 13 पाए गए हैं वहीं नीलगाय 1460 मिल रही है । इस प्रकार जंगली सूअर व सेइ जैसे जानवरों में भी इजाफा पाया गया है । पक्षियों की बात करें तो राष्ट्रीय पक्षी मोर भी जो कि पिछले साल 1567 थे वह इस वर्ष बढ़कर 1768 हो गए हैं । वन विभाग की ओर से वन्यजीव संरक्षण के लिए सभी वन्यजीवों के लिए जंगलों में ही पानी की व्यवस्था की गई है । सहायक वन संरक्षक शर्मा ने बताया कि जंगलों में ही पानी की व्यवस्था कर देने से जंगली जीव रिहायशी इलाकों में नहीं आते अपनी गतिविधि पूरी कर लेते हैं। जिससे जंगली जानवरों में वृद्धि होती है । शर्मा ने बताया कि वन्यजीव गणना बुद्ध पूर्णिमा पर ही करवाई जाती है। जिसका मुख्य कारण यह है कि चंद्रमा की रोशनी अधिक होती है । जिससे कि रात्रि में जंगली जानवरों को आसानी से देखा जाता है व जीव 24 घंटे में एक बार पानी पीने के लिए जरूर बाहर आते हैं । मुख्यतः रात्रि में ही आते हैं इसलिए रात्रि में बुद्ध पूर्णिमा रोशनी अधिक होने से उन्हें आसानी से देखा जा सकता है। और उनकी गिनती की जा सकती है ।

बाइट पियूष शर्मा सहायक वन संरक्षक


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