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SPECIAL: सरकार कहती है.. बार-बार हाथ धोएं, पानी ही नहीं तो कैसे क्या करें..

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Published : Jun 3, 2020, 10:49 PM IST

कोरोना से बचाव के लिए अनेक सलाह दी जा रही है. जिनमें बार-बार साबुन से हाथ धोना ही कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव का सबसे बड़ा उपाय बताया जा रहा है, लेकिन जिन क्षेत्रों में पीने के लिए ही पानी नहीं है, ऐसे क्षेत्रों में लोग कैसे बार-बार हाथ धो पाएंगे. ऐसे ही कुछ हाल दौसा के बैरावास गांव के हैं..

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दौसा में पानी की समस्या से परेशान ग्रामीण

दौसा. प्रदेश में प्रचंड गर्मी का दौर चल रहा है. ऐसे में लोगों को पानी की आवश्यकता भी अधिक पड़ रही है, लेकिन दौसा जिले के अधिकतर गांवों में लोग पीने के पानी के लिए मोहताज हैं. ना केवल ग्रामीण इलाकों में बल्कि शहरी इलाकों की भी यही स्थिति है. संपूर्ण दोसा जिला ही डार्क जोन में है.

दौसा में पानी की समस्या से परेशान ग्रामीण

बता दें कि दौसा जिले के अधिकतर हिस्सों में भूजल काफी नीचे जा चुका है. करीब 400 से 500 फीट तक का बोरवेल खोदने के बाद कहीं पानी मिलता है, वह भी फ्लोराइड युक्त खारा. एक ओर प्रचंड गर्मी और पानी की कमी, वहीं दूसरी ओर कोरोना से बचाव के लिए बार-बार हाथ धोने की सलाह. ऐसे में जिन क्षेत्रों में लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए मोहताज हैं भला वहां लोग दिन में बार-बार हाथ कैसे धोएंगे.

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पानी की एक-एक बूंद के लिए मोहताज ग्रामीण

कोरोना संकट में पानी की कमी का सामना कर रहे लोगों की समस्या जानने के लिए हमारी टीम धरातल पर पहुंची. दौसा जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूरी पर बैरावास नाम का एक गांव स्थित है. यह गांव पानी की एक-एक बूंद के लिए मोहताज है. करीब सात-आठ वर्ष पूर्व इस गांव में चारों ओर हरियाली थी. लोग सिंचाई करते थे और खेती हुआ करती थी, लेकिन अब सिंचाई तो दूर की बात है लोगों को पीने का पानी भी नसीब नहीं हो रहा है.

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रोजाना चलना पड़ता है तीन किलोमीटर पैदल

ना हैंडपंप ना एकल बिंदु

बता दें कि पूरे गांव में एक भी हैंडपंप और एकल बिंदु नहीं है, लेकिन निजी स्तर पर काफी संख्या में बोरवेल खुदवाएं गए हैं. जिनमें पानी की आवक बंद है. बैरावास गांव से करीब 3 किलोमीटर दूर एक निजी बोरवेल में पानी जरूर है. ऐसे में लोग यहां 3 किलोमीटर दूर पैदल पानी लेने आते हैं. कभी कभार इस बोरवेल में भी तकनीकी खराबी से पानी नहीं आता, जिससे लोगों को करीब 8 से 10 किलोमीटर दूर दूसरे गांव से पानी लाना पड़ता है.

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अपनी बारी का इंतजार करती महिलाएं

कोरोना से कैसे हो बचाव

देश में कोरोना कहर बरपा रहा है. जिससे बचाव के लिए हर व्यक्ति को पानी की आवश्यकता है. दिन में बार-बार हाथ धोने की सलाह दी जा रही है. वहीं भीड़भाड़ वाले क्षेत्र से आने के बाद नहाने की सलाह दी जा रही है, लेकिन जहां एक बाल्टी पानी के लिए दिन भर संघर्ष करना पड़ता हो वहां भला नहाने और बार-बार हाथ होने के लिए पानी कहां से आएगा.

पढ़ेंः चित्तौड़गढ़ में नारकोटिक्स की बड़ी कार्रवाई, करोड़ों रुपए की 231 किलो अफीम जब्त

जांच करवा कर जल्द शुरू की जाएगी टैंकर की सप्लाई- जलदाय विभाग

मामले को लेकर जलदाय विभाग के एससी रामनिवास मीणा का कहना है कि हमने गर्मियों में लोगों को पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए टैंकर से सप्लाई शुरू कर रखी है. जिसमें शहरी क्षेत्र ही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में भी टैंकर से सप्लाई की जा रही है. जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे 16 स्थान चिन्हित हैं. जहां पर हम टैंकरों से सप्लाई कर रहे हैं. अब बैरावास के बारे में भी जानकारी मिली है. जल्द ही जांच करवा कर वहां टैंकर सप्लाई शुरू करवा दी जाएगी.

दौसा. प्रदेश में प्रचंड गर्मी का दौर चल रहा है. ऐसे में लोगों को पानी की आवश्यकता भी अधिक पड़ रही है, लेकिन दौसा जिले के अधिकतर गांवों में लोग पीने के पानी के लिए मोहताज हैं. ना केवल ग्रामीण इलाकों में बल्कि शहरी इलाकों की भी यही स्थिति है. संपूर्ण दोसा जिला ही डार्क जोन में है.

दौसा में पानी की समस्या से परेशान ग्रामीण

बता दें कि दौसा जिले के अधिकतर हिस्सों में भूजल काफी नीचे जा चुका है. करीब 400 से 500 फीट तक का बोरवेल खोदने के बाद कहीं पानी मिलता है, वह भी फ्लोराइड युक्त खारा. एक ओर प्रचंड गर्मी और पानी की कमी, वहीं दूसरी ओर कोरोना से बचाव के लिए बार-बार हाथ धोने की सलाह. ऐसे में जिन क्षेत्रों में लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए मोहताज हैं भला वहां लोग दिन में बार-बार हाथ कैसे धोएंगे.

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पानी की एक-एक बूंद के लिए मोहताज ग्रामीण

कोरोना संकट में पानी की कमी का सामना कर रहे लोगों की समस्या जानने के लिए हमारी टीम धरातल पर पहुंची. दौसा जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूरी पर बैरावास नाम का एक गांव स्थित है. यह गांव पानी की एक-एक बूंद के लिए मोहताज है. करीब सात-आठ वर्ष पूर्व इस गांव में चारों ओर हरियाली थी. लोग सिंचाई करते थे और खेती हुआ करती थी, लेकिन अब सिंचाई तो दूर की बात है लोगों को पीने का पानी भी नसीब नहीं हो रहा है.

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रोजाना चलना पड़ता है तीन किलोमीटर पैदल

ना हैंडपंप ना एकल बिंदु

बता दें कि पूरे गांव में एक भी हैंडपंप और एकल बिंदु नहीं है, लेकिन निजी स्तर पर काफी संख्या में बोरवेल खुदवाएं गए हैं. जिनमें पानी की आवक बंद है. बैरावास गांव से करीब 3 किलोमीटर दूर एक निजी बोरवेल में पानी जरूर है. ऐसे में लोग यहां 3 किलोमीटर दूर पैदल पानी लेने आते हैं. कभी कभार इस बोरवेल में भी तकनीकी खराबी से पानी नहीं आता, जिससे लोगों को करीब 8 से 10 किलोमीटर दूर दूसरे गांव से पानी लाना पड़ता है.

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अपनी बारी का इंतजार करती महिलाएं

कोरोना से कैसे हो बचाव

देश में कोरोना कहर बरपा रहा है. जिससे बचाव के लिए हर व्यक्ति को पानी की आवश्यकता है. दिन में बार-बार हाथ धोने की सलाह दी जा रही है. वहीं भीड़भाड़ वाले क्षेत्र से आने के बाद नहाने की सलाह दी जा रही है, लेकिन जहां एक बाल्टी पानी के लिए दिन भर संघर्ष करना पड़ता हो वहां भला नहाने और बार-बार हाथ होने के लिए पानी कहां से आएगा.

पढ़ेंः चित्तौड़गढ़ में नारकोटिक्स की बड़ी कार्रवाई, करोड़ों रुपए की 231 किलो अफीम जब्त

जांच करवा कर जल्द शुरू की जाएगी टैंकर की सप्लाई- जलदाय विभाग

मामले को लेकर जलदाय विभाग के एससी रामनिवास मीणा का कहना है कि हमने गर्मियों में लोगों को पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए टैंकर से सप्लाई शुरू कर रखी है. जिसमें शहरी क्षेत्र ही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में भी टैंकर से सप्लाई की जा रही है. जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे 16 स्थान चिन्हित हैं. जहां पर हम टैंकरों से सप्लाई कर रहे हैं. अब बैरावास के बारे में भी जानकारी मिली है. जल्द ही जांच करवा कर वहां टैंकर सप्लाई शुरू करवा दी जाएगी.

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