भीलवाड़ा. हरणी महादेव रोड स्थित ओम शांति सेवा संस्थान द्वारा संचालित वद्धआश्रम अब तक अपने दामन में 500 से ज्यादा अधिक वृद्धजनों की दास्तान समेटे हुए हैं. अभी भी इस आश्रम में 15 वृद्ध पुरुष और 17 वृद्ध महिलाएं अपने जीवन के आखिरी पड़ाव में दिन गुजार रहे हैं.
5 सितंबर 2013 को एक दुर्घटना में अपना पैर गंवाकर दिव्यांग बने बिजोलिया के वृद्ध कहते हैं कि हमारे बच्चे जब मां - बाप बनेंगे तब उन्हें पता लगेगा कि माता-पिता का क्या दर्द होता है. महाराष्ट्र से आए मोहन कुमार पिंगले कहते हैं कि फादर्स डे पर बस यही कहना है कि बच्चे अपनी मां का ख्याल रखें और जीवन में प्रगति करें.
वहीं ओम शांति वृद्धाश्रम के संस्थापक सुभाष चौधरी कहते हैं कि इस आश्रम मे अधिकतर भीलवाड़ा के बाहर के लोग रहते हैं. यहां के लोग बाहर के वद्व आश्रमों में रहते हैं, जिससे कहीं अपने परिवार की प्रतिष्ठा को आंच ना आ जाए. वद्ध आश्रम में कई बार तो उनके बच्चे स्वयं छोड़ने आ जाते हैं.
इस वृद्धाश्रम के सेवक कालू लाल धोबी कहते हैं कि यहां वृद्धजनों की सेवा में मुझे अपने मां बाप की सेवा का एहसास होता है. वर्ष में 365 दिन में एक दिन हैप्पी फादर्स डे कह लेने से कुछ क्षण का सकून जरूर मिल सकता है. मगर असली सुकून तो वृद्ध माता-पिता की देखरेख से है, जिसके वे हकदार हैं.
वद्धआश्रम में फादर्स डे के मौके पर वृद्ध माता-पिता की दुआएं सिर्फ अपने बेटे बेटी के लिए निकल रही है. वह भले ही वृद्धाश्रम में हैं लेकिन यहां से भी अपने कोख से जन्मे बेटे बेटी के लिए उन्नति और विकास और शुभकामना की दुआएं ही कर रहे हैं. भले ही उनके बेटे ने उनको वृद्धाश्रम में भेज दिया है.