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फादर्स-डे विशेष : वृद्धाश्रम से भी बूढ़े पिता अपने बेटे-बेटियों को दे रहे हैं 'दुआएं'...

रविवार को फादर्स डे है. लेकिन कुछ माता-पिता ऐसे भी हैं. जिन्हें उनके ही बेटे-बेटियों ने अपने से दूर कर दिया और वृद्धाश्रम भेज दिया. वहीं कुछ ऐसे पिता भी हैं जो सक्षम बच्चों के बावजूद भीलवाड़ा के हरणी महादेव के पास स्थित वृद्धा आश्रम में गुमनाम जिंदगी जी रहे हैं. मगर इन पिता के मुंह से फिर भी अपने बच्चों की कुशलता और सफलता की दुआ निकल रही है.

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Published : Jun 16, 2019, 9:14 PM IST

Updated : Jun 17, 2019, 12:02 PM IST

वृद्धाश्रम

भीलवाड़ा. हरणी महादेव रोड स्थित ओम शांति सेवा संस्थान द्वारा संचालित वद्धआश्रम अब तक अपने दामन में 500 से ज्यादा अधिक वृद्धजनों की दास्तान समेटे हुए हैं. अभी भी इस आश्रम में 15 वृद्ध पुरुष और 17 वृद्ध महिलाएं अपने जीवन के आखिरी पड़ाव में दिन गुजार रहे हैं.


5 सितंबर 2013 को एक दुर्घटना में अपना पैर गंवाकर दिव्यांग बने बिजोलिया के वृद्ध कहते हैं कि हमारे बच्चे जब मां - बाप बनेंगे तब उन्हें पता लगेगा कि माता-पिता का क्या दर्द होता है. महाराष्ट्र से आए मोहन कुमार पिंगले कहते हैं कि फादर्स डे पर बस यही कहना है कि बच्चे अपनी मां का ख्याल रखें और जीवन में प्रगति करें.


वहीं ओम शांति वृद्धाश्रम के संस्थापक सुभाष चौधरी कहते हैं कि इस आश्रम मे अधिकतर भीलवाड़ा के बाहर के लोग रहते हैं. यहां के लोग बाहर के वद्व आश्रमों में रहते हैं, जिससे कहीं अपने परिवार की प्रतिष्ठा को आंच ना आ जाए. वद्ध आश्रम में कई बार तो उनके बच्चे स्वयं छोड़ने आ जाते हैं.

'माता-पिता' बेटे को दे रहे हैं 'दुआएं


इस वृद्धाश्रम के सेवक कालू लाल धोबी कहते हैं कि यहां वृद्धजनों की सेवा में मुझे अपने मां बाप की सेवा का एहसास होता है. वर्ष में 365 दिन में एक दिन हैप्पी फादर्स डे कह लेने से कुछ क्षण का सकून जरूर मिल सकता है. मगर असली सुकून तो वृद्ध माता-पिता की देखरेख से है, जिसके वे हकदार हैं.


वद्धआश्रम में फादर्स डे के मौके पर वृद्ध माता-पिता की दुआएं सिर्फ अपने बेटे बेटी के लिए निकल रही है. वह भले ही वृद्धाश्रम में हैं लेकिन यहां से भी अपने कोख से जन्मे बेटे बेटी के लिए उन्नति और विकास और शुभकामना की दुआएं ही कर रहे हैं. भले ही उनके बेटे ने उनको वृद्धाश्रम में भेज दिया है.

भीलवाड़ा. हरणी महादेव रोड स्थित ओम शांति सेवा संस्थान द्वारा संचालित वद्धआश्रम अब तक अपने दामन में 500 से ज्यादा अधिक वृद्धजनों की दास्तान समेटे हुए हैं. अभी भी इस आश्रम में 15 वृद्ध पुरुष और 17 वृद्ध महिलाएं अपने जीवन के आखिरी पड़ाव में दिन गुजार रहे हैं.


5 सितंबर 2013 को एक दुर्घटना में अपना पैर गंवाकर दिव्यांग बने बिजोलिया के वृद्ध कहते हैं कि हमारे बच्चे जब मां - बाप बनेंगे तब उन्हें पता लगेगा कि माता-पिता का क्या दर्द होता है. महाराष्ट्र से आए मोहन कुमार पिंगले कहते हैं कि फादर्स डे पर बस यही कहना है कि बच्चे अपनी मां का ख्याल रखें और जीवन में प्रगति करें.


वहीं ओम शांति वृद्धाश्रम के संस्थापक सुभाष चौधरी कहते हैं कि इस आश्रम मे अधिकतर भीलवाड़ा के बाहर के लोग रहते हैं. यहां के लोग बाहर के वद्व आश्रमों में रहते हैं, जिससे कहीं अपने परिवार की प्रतिष्ठा को आंच ना आ जाए. वद्ध आश्रम में कई बार तो उनके बच्चे स्वयं छोड़ने आ जाते हैं.

'माता-पिता' बेटे को दे रहे हैं 'दुआएं


इस वृद्धाश्रम के सेवक कालू लाल धोबी कहते हैं कि यहां वृद्धजनों की सेवा में मुझे अपने मां बाप की सेवा का एहसास होता है. वर्ष में 365 दिन में एक दिन हैप्पी फादर्स डे कह लेने से कुछ क्षण का सकून जरूर मिल सकता है. मगर असली सुकून तो वृद्ध माता-पिता की देखरेख से है, जिसके वे हकदार हैं.


वद्धआश्रम में फादर्स डे के मौके पर वृद्ध माता-पिता की दुआएं सिर्फ अपने बेटे बेटी के लिए निकल रही है. वह भले ही वृद्धाश्रम में हैं लेकिन यहां से भी अपने कोख से जन्मे बेटे बेटी के लिए उन्नति और विकास और शुभकामना की दुआएं ही कर रहे हैं. भले ही उनके बेटे ने उनको वृद्धाश्रम में भेज दिया है.

Intro:भीलवाड़ा - आज फादर्स डे हैं लेकिन कुछ माता - पिता ऐसी भी हैं जिन्हें उनके ही बेटे - बेटियों ने अपने से दूर कर दिया ओर वृद्धाश्रम भेज दिया । वहीं कुछ ऐसे पिता भी हैं जो सक्षम बच्चों के बावजूद भीलवाड़ा के हरणी महादेव के पास स्थित वृद्धा आश्रम में गुमनाम जिंदगी जी रहे हैं। मगर इन पिता के मुंह से फिर भी अपने बच्चों की कुशलता और सफलता की दुआ निकल रही है।


Body:भीलवाड़ा के हरणी महादेव रोड स्थित ओम शांति सेवा संस्थान द्वारा संचालित वद्धा आश्रम में जो अब तक अपने दामन में 500 से ज्यादा अधिक वृद्धजनों की दास्तान समेटे हुए हैं । अभी भी इस आश्रम मे यहां 15 वृद्ध पुरुष और 17 वृद्ध महिलाएं अपने जीवन के आखिरी पड़ाव में दिन गुजार रही है ।

5 सितंबर 2013 को एक दुर्घटना में अपना पैर गंवाकर दिव्यांग बने बिजोलिया के वृद्ध कहते हैं कि हमारे बच्चे जब मां - बाप बनेंगे तब उन्हें पता लगेगा कि माता-पिता का क्या दर्द होता है ।

महाराष्ट्र से आए मोहन कुमार पिंगले कहते हैं कि आज फादर्स डे पर बस यही कहना है कि बच्चे अपनी मां का ख्याल रखें और जीवन में प्रकृति करें ।

वही ओम शांति वृद्धाश्रम के संस्थापक सुभाष चौधरी कहते हैं कि इस आश्रम मे अधिकतर भीलवाड़ा के बाहर के लोग रहते हैं यहां के लोग बाहर के वद्वा आश्रमों में रहते हैं जिससे कहीं अपने परिवार की प्रतिष्ठा को आंच ना आ जाए । वद्धा आश्रम में कई बार तो उनके बच्चे स्वयं छोड़ने आ जाते हैं ।
इस वृद्धाश्रम के सेवक कालू लाल धोबी कहते हैं कि यहा वृद्धजनों की सेवा में मुझे अपने मां बाप की सेवा का एहसास होता है ।

वर्ष में 365 दिन में एक दिन हैप्पी फादर्स डे कह लेने से कुछ क्षण का सकून जरूर मिल सकता है मगर असली सुकून तो वृद्ध माता-पिता की देखरेख से हैं जिसके वे हकदार हैं।

वद्धा आश्रम में आज फादर्स डे के मौके पर वृद्ध माता-पिता की दुआएं सिर्फ अपने बेटे बेटी के लिए निकल रही है वह भले ही वृद्धाश्रम में हैं लेकिन यहां से भी अपने कोख से जन्मे बेटे बेटी के लिए उन्नति और विकास और शुभकामना की दुआएं ही निकल रही है भले ही उनके बेटे बेटे ने उनको वृद्धाश्रम में भेज दिया है।


Conclusion:अब देखना यह होगा की जिस तरह कालू लाल वृद्ध आश्रम में वृद्ध माता पिता की सेवा कर रहा है उसी प्रकार देश में अन्य युवा पढ़े लिखे लोग भी अपने माता पिता की सेवा करते रहें जिससे उनको वृद्धाश्रम में नहीं भेजना पड़े जिससे अपना परिवार संस्कारित रहे

सोमदत्त त्रिपाठी ईटीवी भारत भीलवाड़ा

बाईट - वृद्ध ,बिजोलिया निवासी

नोट यह खबर जिला मुख्यालय से दूर होने के कारण विजुअल मेल से भेजे गए हैं

मोहन कुमार पिंगले, महाराष्ट्र

सुभाष चौधरी ,संस्थापक ओम शांति वृद्धाश्रम

कालू धोबी ,सेवक ओम शांति वृद्धाश्रम
Last Updated : Jun 17, 2019, 12:02 PM IST
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