दौसा. अस्पताल में बिल्डिंग है, सुविधाएं हैं, संसाधन हैं, लेकिन ना डॉक्टर हैं और ना ही नर्सिंग कर्मी, दौसा जिला मुख्यालय पर एक ऐसा ही एक मामला सामने आया है. जहां कलेक्टर पीयूष समारिया शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सैंथल मोड का निरीक्षण करने पहुंचे तो चिकित्सा व्यवस्थाओं की पोल खुल गई. शहरी पीएससी के प्रभारी तारीक हुसैन सहित अस्पताल का अधिकतर स्टॉफ नदारद मिला, जब डीएम ने पीएचसी का गहन निरीक्षण किया तो पता चला कि तीन एएनएम पिछले 3 माह से अस्पताल में नहीं आई है.
ऐसे में पिछले 3 माह से नदारद होने के कारण पीएससी की चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी है. वहीं अस्पताल प्रभारी तारीक हुसैन भी हस्ताक्षर करके चले जाते हैं और शुक्रवार को निरीक्षण के दौरान भी अनुपस्थित मिले थे, इसके अलावा अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ सुमन शर्मा भी कार्यरत है, लेकिन पिछले 3 माह में एक भी महिला का उपचार इस अस्पताल में नहीं किया गया है.
जब कलेक्टर ने स्टाफ से इसकी जानकारी ली, तो पता चला कि डॉ. सुमन शर्मा केवल हस्ताक्षर करने आती है और चली जाती है, ऐसे में कलेक्टर के निरीक्षण में इस शहरी पीएससी की व्यवस्थाओं की पोल खुल गई. इस तरह की लापरवाही देखने के बाद कलेक्टर ने सभी लापरवाह कर्मचारियों की विस्तृत रिपोर्ट बनाकर निदेशालय में भिजवाई है, ताकि लापरवाह कर्मचारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई हो सके.
इस तरह की घोर लापरवाही मिलने के बाद कलेक्टर पीयूष समारिया ने जिले के चिकित्सा महकमे को चेतावनी देते हुए एक ऑडियो जारी किया है. इस ऑडियो में कलेक्टर पीयूष समारिया ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यदि कोई चिकित्सा कर्मी अस्पताल में देरी से आता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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साथ ही जो डॉक्टर चिकित्सा कर्मी हस्ताक्षर करके चले जाते हैं और अस्पताल में नहीं मिलते हैं, उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाएगा. उन्होंने चिकित्सा कर्मियों को अंतिम चेतावनी देते हुए कहा कि अपनी परफॉर्मेंस सुधार ले वरना सख्त कार्रवाई की जाएगी, इधर शहरी पीएचसी में मिली अनियमितता और लापरवाही के संबंध में कलेक्टर ने निदेशालय को विस्तृत कार्रवाई के लिए रिपोर्ट भेज दी है. बड़ी बात ये है कि राजनीतिक संरक्षण मिलने के कारण चिकित्सा कर्मी बेलगाम होते जा रहे हैं और अस्पतालों की व्यवस्थाएं चरमराई हुई है.