राजसमंद. पुष्टिमार्गीय तृतीय पीठ प्रन्यास प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर में मंगलवार को अक्षय तृतीया पर्व बड़े ही हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया गया. इस मौके पर तृतीय पीठ राजकुमार गोस्वामी वेदांत कुमार ने शृंगार में प्रभु द्वारकाधीश के श्री मस्तक पर श्वेत केसर के छाटा की कुले जिस पर पांच चंद्रिका का सादा जोड़ केसरी पिछोड़ा, मोती के आभरण, अरग जाई, ठाड़े वस्त्र वनमाला धराई गई.
वहीं ठाकुर जी के सम्मुख फव्वारे की सेवा प्रारंभ करने के साथ ही आरती के समय जल छिड़काव भी प्रारंभ हो गया. राजभोग के दर्शन के बाद अक्षय तृतीया का विशेष पर्व होने से दूसरी बार भी राजभोग के दर्शन हुए. इन विशेष दर्शनों के लिए मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही
उल्लेखनीय है कि अक्षय तृतीया से ठाकुरजी को उष्णकालीन सेवा धराई जाना प्रारंभ हो जाता है. अर्थात ठाकुर जी के सम्मुख शीतल वस्तुओं का आगमन ज्यादा हो जाता है. इसी के तहत ठाकुर जी के समक्ष पंखा चलाने का क्रम के साथ ही राज भोग के दर्शन के पश्चात खसखस की टाटी लगाना भी प्रारंभ हो गया है. वहीं कीर्तनकार प्रमोद सिंह चारण द्वारा उष्ण कालीन कीर्तन राग सुनाई गई. उस समय मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का भगवान द्वारिकाधीश के दर्शन करने के लिए तांता लगा रहा.
दौसा में दान का सबसे बड़ा पर्व है अक्षय तृतीया
दौसा जिले में दान का सबसे बड़ा पर्व है अक्षय तृतीया. ये कहना मेहंदीपुर बालाजी महाराज के महंत किशोरपुरी का. उन्होंने इस अवसर पर 1600 कन्याओं को और 501 ब्राह्मणों को भोजन करवा कर दक्षिणा दी.
मंगलवार को अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती के शुभ अवसर पर बालाजी मंदिर में जरूरतमंद लोगों की सेवा के लिए शिविर आयोजित किया गया. वहीं स्कूली बालिकाओं और ब्राह्मणों को भोजन कराकर व दान पुण्य का धर्म लाभ कमाया.
इस अवसर पर महंत किशोरपूरी अपने निवास पर भगवान परशुराम का पूजन भी किए. बालाजी महाराज के दरबार में सुबह 8 बजे से ही जरूरतमंदों की सेवा के लिए शिविर प्रारंभ कर दिया गया था, जिसमें हजारों लोगों ने सहायता दी. उन्हें भोजन कराकर सामान भी वितरित किए गए. जैसे की बर्तन, छाता स्वर्ण लॉकेट, तिल के लड्डू, मोदक प्रसादी, गर्मियों के लिए पंखा, अनाज वस्त्र और नगद दक्षिणा दी गई.
महंत किशोर पुरी जी ने दान का महत्व बताते हुए कहा कि अक्षय तृतीया वाले दिन दिया गया दान अक्षय पुण्य के रूप में संचित होता है. इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार अधिक से अधिक दान पुण्य करना चाहिए. पुराणों में बताया गया कि यह बहुत ही पुण्य तिथि है. इस दिन दिया गया दान पुण्य अक्षय होता है. अक्षय तृतीया के दिन गो, भूमि, तिल, स्वर्ण, वस्त्र, धन धान्य, गुड चांदी, नमक, शहद आदि वस्तुओं का दान करना चाहिए. इससे पितरों की कृपा प्राप्त होती है.