चूरू. भीषण गर्मी और तपती सड़कों पर दो दोस्तों की जोड़ी इन दिनों शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है. चेहरे पर ऑक्सीजन मास्क और पीठ पर पौधे का मॉडल लगाए ये दोनों दोस्त अनूठे तरीके से शहर के लोगों को पर्यावरण बचाने का संदेश दे रहे हैं. इन दोनों युवाओं की पर्यावरण के प्रति दीवानगी और प्यार की इससे बड़ी दीवानगी और क्या हो सकती है.
देश के सबसे गर्म शहर रहे चूरू को आग उगलती सड़कों पर दोनों दोस्त पैदल ही पूरे शहर को नाप रहे हैं. दोनों युवा पर्यावरण के अभाव में 'भविष्य की भयावहता में कैसे होगा हमारा जीवन' मॉडल के जरिए बता रहे हैं. इसके लिए चेहरे पर मास्क और पीठ पर मॉडल लगाए शहर की सड़कों पे पैदल घूम रहे हैं. ग्रामीण परिवेश से जुड़े ये दोनों दोस्त एक पोटी का और दूसरा खंडवा गांव के रहने वाले हैं.
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सुबह से शाम शहर में पैदल ही आमजन को पर्यावरण का महत्व और पेड़-पौधे हमारे लिए कितने जरूरी हैं. यह समझाने के लिए पूरे शहर का दौरा कर रहे हैं. सुनील और सुरेश नाम के यह दो दोस्त है. जहां सुनील B.Ed की पढ़ाई कर रहा है तो सुरेश ने हाल ही में M.Com किया है. ग्रामीण परिवेश से जुड़े इन दोनों युवाओं का मानना है कि चूरू में पड़ रही भीषण गर्मी की वजह, यहां वन क्षेत्र का कम होना है.
पर्यावरण के प्रति आमजन को जागरूक कर रहे युवा...
अनूठे तरीके से आमजन को जागरूक कर रहे इन युवाओं ने बताया कि चूरू रेगिस्तानी क्षेत्र है. यहां वृक्षों का सबसे ज्यादा अभाव है, चूरू में वन क्षेत्र 0.22 प्रतिशत है. गर्मी के दिनों में यहां तापमान 50 डिग्री तक चला जाता है. अगर यही स्थिति रही और पेड़ पौधे नहीं लगे तो आने वाले सालों में चूरू का तापमान बहुत अधिक हो जाएगा. पेड़-पौधे ग्लोबल वार्मिंग को भी प्रभावित करते हैं. उनसे तापमान कम होता है, जिन क्षेत्रों में पेड़-पौधे अधिक हैं. वहां का भूजल स्तर ऊंचा है.
गांव से जुड़े यह दोनों युवक किसान परिवार से हैं. इन्होंने बताया कि खेत में लगी जो ट्यूबेल है, उसका जलस्तर 1 से 2 फीट नीचे जा रहा है. उन्होंने बताया कि यह सब एक साथ सही हो जाना किसी अकेले के बस की बात नहीं है. इसलिए अधिक से अधिक लोगों को जागरूक किया जा रहा है, जो वृक्षारोपण करें और कम से कम एक व्यक्ति दो पौधे लगाए. इन युवाओं का कहना है कि जब हमारे यहां वृक्षों की कमी हो जाएगी तो हालात इस कदर भयावह हो जाएंगे कि पर्यावरण में ऑक्सीजन की मात्रा घट जाएगी और इंसान को ऑक्सीजन लेने के लिए पेड़ का सहारा लेना होगा.