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चूरू में शिव मंदिर बना आकर्षक का केंद्र - संत

मंदिर की स्थापना के समय से ही यहां पर शिवलिंग बना हुआ है. श्रावण-भाद्रपद में शिवरात्रि पर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होती है और चारों पहर रुद्राभिषेक भी किया जाता है.

चूरू का शिव मंदिर
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Published : Jul 29, 2019, 2:48 PM IST

चूरू. जिले में कभी संतो की तपोस्थली रहे शंकर नाथ जी छतरी का शिव मंदिर आज शहर के लोगों की आस्था का केंद्र बन गया है. इस मंदिर के कई खासियत है. जिनमें से एक यहां चारों पहर शिव भगवान का रुद्राभिषेक होना भी है. शिवालय की देखरेख पहले शंकर नाथ और बाद में संत सुंदर नाथ ने की. वर्तमान में इसकी देखरेख संत निर्मल नाथ कर रहे हैं. यह छतरी लोगों के लिए किसी आस्था से कम नहीं है. इस मंदिर में काफी संख्या में लोग दर्शन करने के लिए आते हैं. वही मंदिर कलात्मक दृष्टि से भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

चूरू का शिव मंदिर

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फतेहपुर से आए तीन संतों ने यहींं शुरू की थी तपस्या
मंदिर के पुजारी का कहना है कि सैकड़ों साल पहले फतेहपुर आश्रम से आए तीन संतों ने इसी मंदिर में तपस्या शुरू की थी. यह तीनों संत फतेहपुर आश्रम के संत अमृत नाथ के शिष्य भानी नाथ, किशन नाथ और द्वारकानाथ थे. तीनों संतों ने छतरी में भगवान शिव की उपासना की थी. बाद में संत भानी नाथ ने तारानगर रोड पर अपना अलग से आश्रम बनाया था और इस छतरी की जिम्मेदारी शंकर नाथ को दे दी गई थी. तभी से इस मंदिर का नाम शंकर नाथ की छतरी पड़ गया.

ये भी पढ़ें- गहलोत कैबिनेट ने ऑनर किलिंग विधेयक को दी मंजूरी, कल विधानसभा में पेश होगा बिल
संत के झोली और कमंडल आज भी मौजूद हैं
इस शिव मंदिर में सालों तक भगवान शंकर की पूजा करने वाले संत भानी नाथ की झोली और कमंडल आज भी यहां मौजूद है. जिन्हें देखने के लिए श्रद्धालु आते हैं. विशेष अवसरों पर यहां रात को भगवान शंकर के भजनों के कार्यक्रम भी होते हैं.

ये भी पढ़ें- बजरी खनन में आदेश ना मानने पर राज्य सरकार को अवमानना नोटिस....सुप्रीम कोर्ट ने 4 हफ्ते में मांगा जवाब

शंकर नाथ छतरी मंदिर के पुजारी रामलाल शर्मा का कहना है कि यह मंदिर डेढ़ सौ साल पुराना है. अभी इस मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी निर्मल नाथ के पास है. वे दूसरी जगह भी रहते हैं लेकिन इस मंदिर की देखरेख करने के लिए समय-समय पर आते-रहते हैं.

चूरू. जिले में कभी संतो की तपोस्थली रहे शंकर नाथ जी छतरी का शिव मंदिर आज शहर के लोगों की आस्था का केंद्र बन गया है. इस मंदिर के कई खासियत है. जिनमें से एक यहां चारों पहर शिव भगवान का रुद्राभिषेक होना भी है. शिवालय की देखरेख पहले शंकर नाथ और बाद में संत सुंदर नाथ ने की. वर्तमान में इसकी देखरेख संत निर्मल नाथ कर रहे हैं. यह छतरी लोगों के लिए किसी आस्था से कम नहीं है. इस मंदिर में काफी संख्या में लोग दर्शन करने के लिए आते हैं. वही मंदिर कलात्मक दृष्टि से भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

चूरू का शिव मंदिर

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फतेहपुर से आए तीन संतों ने यहींं शुरू की थी तपस्या
मंदिर के पुजारी का कहना है कि सैकड़ों साल पहले फतेहपुर आश्रम से आए तीन संतों ने इसी मंदिर में तपस्या शुरू की थी. यह तीनों संत फतेहपुर आश्रम के संत अमृत नाथ के शिष्य भानी नाथ, किशन नाथ और द्वारकानाथ थे. तीनों संतों ने छतरी में भगवान शिव की उपासना की थी. बाद में संत भानी नाथ ने तारानगर रोड पर अपना अलग से आश्रम बनाया था और इस छतरी की जिम्मेदारी शंकर नाथ को दे दी गई थी. तभी से इस मंदिर का नाम शंकर नाथ की छतरी पड़ गया.

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संत के झोली और कमंडल आज भी मौजूद हैं
इस शिव मंदिर में सालों तक भगवान शंकर की पूजा करने वाले संत भानी नाथ की झोली और कमंडल आज भी यहां मौजूद है. जिन्हें देखने के लिए श्रद्धालु आते हैं. विशेष अवसरों पर यहां रात को भगवान शंकर के भजनों के कार्यक्रम भी होते हैं.

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शंकर नाथ छतरी मंदिर के पुजारी रामलाल शर्मा का कहना है कि यह मंदिर डेढ़ सौ साल पुराना है. अभी इस मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी निर्मल नाथ के पास है. वे दूसरी जगह भी रहते हैं लेकिन इस मंदिर की देखरेख करने के लिए समय-समय पर आते-रहते हैं.

Intro:चूरू। कभी संतो की तपोस्थली रहा शंकर नाथ जी छतरी का शिव मंदिर आज चूरू शहर के लोगों की आस्था का केंद्र बन गया है। इस मंदिर की कई खासियत है जिनमें से एक यहां चारों पहर शिव भगवान का रुद्राभिषेक होता है। शुरुआत में मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी संत शंकर नाथ ने की थी इसी कारण इसे शंकर नाथ जी की छतरी का मंदिर कहते हैं।
मंदिर की स्थापना के समय से ही यहां पर शिवलिंग बना हुआ है। श्रावण-भाद्रपद में शिवरात्रि पर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना के साथ ही चारों पहर रुद्राभिषेक भी किया जाता है।
छतरी बनी आस्था का केंद्र
शिवालय की देखरेख पहले शंकर नाथ व बाद में संत सुंदर नाथ ने की। वर्तमान में इसकी देखरेख संत निर्मल नाथ कर रहे हैं। यह छतरी लोगों के लिए किसी आस्था से कम नहीं है। इस मंदिर में लोग काफी संख्या में दर्शन करने के लिए आते हैं। वही मंदिर कलात्मक दृष्टि से भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।


Body:फतेहपुर से आए तीन संतों ने इसी मंदिर में शुरू की थी तपस्या
मंदिर के पुजारी की माने तो सैकड़ों साल पहले फतेहपुर आश्रम से आए तीन संतों ने इसी मंदिर में तपस्या शुरू की थी। यह तीनों संत फतेहपुर आश्रम के संत अमृत नाथ के शिष्य भानी नाथ, किशन नाथ और द्वारकानाथ थे।तीनों संतों ने छतरी में भगवान शिव की उपासना की और इसके बाद में संत भानी नाथ ने तारानगर रोड पर अपना अलग से आश्रम बना लिया और इस छतरी की जिम्मेदारी शंकर नाथ को दे दी गई तभी से इसका नाम शंकर नाथ की छतरी पड़ गया।



Conclusion:आज भी मौजूद है झोली और कमंडल
इस शिव मंदिर में सालों तक भगवान शंकर की पूजा करने वाले संत भानी नाथ की झोली और कमंडल आज भी यहां मौजूद है। जिन्हें देखने के लिए श्रद्धालु आते हैं। विशेष अवसरों पर यहां रात को भगवान शंकर के भजनों के कार्यक्रम भी होते हैं।
बाइट: रामलाल शर्मा, पुजारी, शंकर नाथ छतरी मंदिर, चूरू।
शंकर नाथ छतरी मंदिर के पुजारी रामलाल शर्मा का कहना है कि यह मंदिर डेढ़ सौ साल पुराना है। अभी इस मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी निर्मल नाथ के पास है। वे दूसरी जगह भी रहते हैं लेकिन इस मंदिर की देखरेख करने के लिए समय-समय पर आते रहते हैं।
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