चूरू. ये तो हम सबने सुना होगा कि एक बच्चे का दर्द एक मां से ज्यादा कोई नही समझ सकता, लेकिन इस कहावत को सच कर दिखाया है चूरू की रहने वाली अंजू नेरह ने. जो मंदबुद्धि मूक बधिर ऑटिज्म, सर्वर पॉलिसी से ग्रसित बच्चों को तालीम देने के साथ साथ समाज की मुख्य धारा में लाने का प्रयास कर रही हैं. अंजू नेहरा ने कई बच्चों को बेड़ियों से मुक्त कराया तो कई को सामाजिक उपेक्षा का शिकार होने से बचाया. पिछले करीब आठ सालों से स्पेशल बच्चों का जीवन संवारने का प्रयास कर रही हैं अंजू.
अंजू ने ना सिर्फ अपने दिव्यांग बेटे का दर्द समझा बल्कि अपने बेटे जैसे ही उन सैकड़ों मंदबुद्धि, मूक बधिर और दिव्यांग बच्चों की मांओं का भी दर्द समझा जो समाज और परिवार की अबतक उपेक्षा का शिकार हो रहे थे. एक दिव्यांग बच्चे की मां अपने बेटे जैसे ही उन सैकड़ों मंदबुद्धि, मूक बधिर और दिव्यांग बच्चों के चेहरे पर ना सिर्फ मुस्कान लाने का काम कर रही है बल्कि इन बच्चों को समाज की मुख्य धारा में लाने का प्रयास भी कर रही है.
चूरू की अंजू नेहरा जो आज ऐसे बच्चों को तालीम देने का काम कर रही है जो बिना सहारे अपने आप उठने और बैठने में भी असमर्थ है. अंजू नेहरा बताती है की आज उनके पास ऐसे करीब 70 बच्चे हैं जो मंधबुद्धि, मूक बधिर, ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित हैं.
![special child of churu, चूरू के दिव्यांग बच्चे](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/rj-churu-01-naresh-pareek-pkg10013_17022021114950_1702f_1613542790_68.jpg)
जिला स्तरीय कार्यक्रम में भाग लेते है ये बच्चेः
भले ही ये बच्चे आज दुसरो के सहारे पर निर्भर हो लेकिन हर वर्ष यह बच्चे 15 अगस्त 26 जनवरी को चूरू जिला मुख्यालय पर होने वाले जिला स्तरीय समारोह में भाग लेते है और सांस्कृतिक कार्यक्रम में एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देते हैं. जिला स्तरीय समारोह में तालियों की गड़गड़ाहट से ना सिर्फ इन बच्चों की हौसला अफजाई होती है बल्कि यह बच्चे मानसिक रूप से भी मजबूत होते है.
![special child of churu, चूरू के दिव्यांग बच्चे](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/rj-churu-01-naresh-pareek-pkg10013_17022021114950_1702f_1613542790_530.jpg)
नेशनल खेल के लिए हो चुके हैं सलेक्टः
मंदबुद्धि, मूक बधिर या दिव्यांग ना कहकर हम इन बच्चों को विशेष बच्चे भी कह सकते हैं. इन विशेष बच्चों में से चार बच्चों का चयन तो नेशनल खेल के लिए भी हो चुका है. अंजू नेहरा बताती हैं कि जिन बच्चों में वक्त के साथ सुधार हो रहा है उन बच्चों का शहर की एक स्कूल में दाखिला भी करवाया गया है. उन्होंने बताया ऐसे 15 बच्चों का वह स्कूल में दाखिला करवा चुकी हैं.
![special child of churu, चूरू के दिव्यांग बच्चे](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/rj-churu-01-naresh-pareek-pkg10013_17022021114950_1702f_1613542790_377.jpg)
बेड़ियों से भी कराया मुक्तः
अंजू नेहरा ने ऐसे विशेष बच्चों को भी बेड़ियों से आजादी दिलाई जिन्हें घर पर बांध कर रखा जाता था. ऐसे बच्चों को बेड़ियों से मुक्त करवा अंजू नेहरा उनके साथ समय बिताती हैं, उनसे प्यार से बात करती हैं, उन्हें जो खेल पसंद है उनके साथ खेलती हैं और उन्हें उनकी ही भाषा मे पढ़ाने का प्रयास करती हैं. रंगों की पहचान करवाती है और उन्हें योगा भी करवाती हैं.
![special child of churu, चूरू के दिव्यांग बच्चे](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/rj-churu-01-naresh-pareek-pkg10013_17022021114950_1702f_1613542790_228.jpg)
2013 से अंजू लगी हैं इस मुहिम मेंः
साल 2013 से अंजू नेहरा इन विशेष बच्चों को समाज की मुख्य धारा में लाने का प्रयास कर रही हैं. उन्होंने बताया शुरुआत में दो बच्चे तीन बच्चे उनके पास आते थे. कई परिजन तो ऐसे थे जिन्होंने अंजू का सहयोग भी नही किया, लेकिन जब बीतते समय के साथ इन विशेष बच्चों के प्रति अंजू का प्रेम और समर्पण देखा तो लोगों का भी दिल पसीजा और दिव्यांग और मंदबुद्धि, मुक बधिर बच्चों के लिए काम कर रही अंजू के साथ जुड़े. समाज सेवी और भामाशाहों ने भी अंजू के काम को सराहा और दिव्यांग बच्चों की सहायता के लिए कदम उठाए.