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चित्तौड़गढ़ः फसलों पर गिरा पाला, सब्जियां हुईं सबसे ज्यादा प्रभावित - चित्तौड़गढ़ में फसले प्रभावित

चित्तौड़गढ़ में ठंड लगातार रिकॉर्ड तोड़ रही है. घने कोहरे के कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है. वहीं देखा जाए तो पाला गिरने के कारण मुख्य रूप से सब्जियां सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है. किसानों की मानें तो पाला पड़ने से आलू, चना, सरसों समेत कई फसलों पर बुरा असर पड़ता है.

चित्तौड़गढ़ की खबर,  chittorgarh news,  चित्तौड़गढ़ में ठंड से फसल खराब,  Chittorgarh crop worsens due to cold
फसलों पर गिरा पाला
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Published : Jan 2, 2020, 10:01 PM IST

चित्तौड़गढ़. लेह-लद्दाख से लेकर कन्याकुमारी तक पूरे देश में एक जैसी सर्दी है. ऐसे में राजस्थान कैसे अछूता रहता. पूरे प्रदेश में तेज सर्दी का असर है. दोपहर तक सूर्य भगवान के दर्शन नहीं हो रहे हैं तो ठिठूरन ने सभी को बेहाल कर दिया है. चित्तौड़गढ़ जिले में भी सर्दी से हर कोई बेहाल है. स्कूलों में भी अवकाश कर दिया गया है तो वहीं लोग भी घरों से कम निकल रहे हैं.

फसलों पर गिरा पाला

लेकिन बात की जाए फसलों की तो वे भी इस जाड़े से बच नहीं सके. पूरे जिले में इन दिनों रबी की फसल बोई हुई है. इसमें अधिकांश पर ठंड का असर दिख रहा है. यहां तक काले सोने के रूप में शुमार अफीम की फसल भी इससे अछूती नहीं है.

पढ़ेंः चित्तौड़गढ़ः मक्का निकालते समय थ्रेसर में फंसा मफलर, मौत

जानकारी के अनुसार प्रदेश भर में सर्दी का सितम जारी है. वहीं चित्तौड़गढ़ में भी सर्दी लगातार रिकॉर्ड तोड़ रही है. सुबह सर्दी और घने कोहरे के कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित रहा. सुबह से ही अधिकांश इलाकों में कोहरा छाया रहा. कड़ाके की सर्दी के चलते स्कूलों और आंगनबाड़ी केन्द्रों पर भी अवकाश के आदेश जारी हो चुके हैं.

नए साल की शुरूआत में ही सर्दी ने सभी को झकझोर दिया है. कई दिनों से तापमान में आई गिरावट कारण पांच दिन पूर्व पाला गिरा था, जिससे रबी की फसलों को नुकसान हुआ है. पाला गिरने के कारण मुख्य रूप से तो सब्जियां सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है. इसके अलावा भी सरसों, मटर पर इसका असर है. साथ ही व्यावसायिक उद्देश्य से बोई मक्का के अलावा चने पर भी सबसे ज्यादा असर है.

पढ़ेंः चित्तौड़गढ़ः पुलिस लाइन में महिला आत्मरक्षा प्रशिक्षण का आगाज

किसानों की मानें तो पाला पड़ने से आलू, चना, सरसों समेत कई फसलों पर बुरा असर पड़ता है. क्योंकि ऐसी स्थिति में पौधे के भीतर पानी जमने लगता है, जिससे उसके दाने सूख जाते हैं. जिले में मुख्यालय के आस-पास सहित भदेसर तहसील के सुखवाड़ा और आस-पास के गांवों में फसलों पर असर है. इस साल औसत से अधिक बरसात हुई थी. जिससे पहले से ही खेतों में नमी है. सर्दी के कारण मवेशी भी बुरी तरह परेशान है. सर्दी के कारण मवेशियों में निमोनिया सहित अन्य बीमारियां देखने को मिल रही है. कृषक मुकेश धाकड़ ने बताया कि 10 दिन से सर्दी के कारण सब्जियों में नुकसान हुआ है और सब्जियां नष्ट हो गई है. पाला गिरने के कारण अफीम में 10 प्रतिशत नुकसान है. इसके अलावा चने में भी 20 प्रतिशत तक का नुकसान का अनुमान है.

पढ़ेंः प्रदेशभर में नववर्ष की धूम, जानिए क्या रहा खास...

पशुपालक बंशीलाल डांगी ने बताया कि सर्दी में दूध उत्पादन में कमी आती है. डॉ. बंशीलाल मूंदड़ा, उप निदेशक ने मवेशियों को चारा और खांकला भरपूर मात्रा में देने और दाने खिलाने का आग्रह किया है. निमोनिया और सांस रोग से बचाने के लिए हवा में नहीं बांधने की सलाह दी है. वहीं अवकाश को लेकर अभिभावकों का भी मानना है कि जिले में सर्दी ऐसी है कि स्कूलों में अवकाश जरूरी है.

चित्तौड़गढ़. लेह-लद्दाख से लेकर कन्याकुमारी तक पूरे देश में एक जैसी सर्दी है. ऐसे में राजस्थान कैसे अछूता रहता. पूरे प्रदेश में तेज सर्दी का असर है. दोपहर तक सूर्य भगवान के दर्शन नहीं हो रहे हैं तो ठिठूरन ने सभी को बेहाल कर दिया है. चित्तौड़गढ़ जिले में भी सर्दी से हर कोई बेहाल है. स्कूलों में भी अवकाश कर दिया गया है तो वहीं लोग भी घरों से कम निकल रहे हैं.

फसलों पर गिरा पाला

लेकिन बात की जाए फसलों की तो वे भी इस जाड़े से बच नहीं सके. पूरे जिले में इन दिनों रबी की फसल बोई हुई है. इसमें अधिकांश पर ठंड का असर दिख रहा है. यहां तक काले सोने के रूप में शुमार अफीम की फसल भी इससे अछूती नहीं है.

पढ़ेंः चित्तौड़गढ़ः मक्का निकालते समय थ्रेसर में फंसा मफलर, मौत

जानकारी के अनुसार प्रदेश भर में सर्दी का सितम जारी है. वहीं चित्तौड़गढ़ में भी सर्दी लगातार रिकॉर्ड तोड़ रही है. सुबह सर्दी और घने कोहरे के कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित रहा. सुबह से ही अधिकांश इलाकों में कोहरा छाया रहा. कड़ाके की सर्दी के चलते स्कूलों और आंगनबाड़ी केन्द्रों पर भी अवकाश के आदेश जारी हो चुके हैं.

नए साल की शुरूआत में ही सर्दी ने सभी को झकझोर दिया है. कई दिनों से तापमान में आई गिरावट कारण पांच दिन पूर्व पाला गिरा था, जिससे रबी की फसलों को नुकसान हुआ है. पाला गिरने के कारण मुख्य रूप से तो सब्जियां सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है. इसके अलावा भी सरसों, मटर पर इसका असर है. साथ ही व्यावसायिक उद्देश्य से बोई मक्का के अलावा चने पर भी सबसे ज्यादा असर है.

पढ़ेंः चित्तौड़गढ़ः पुलिस लाइन में महिला आत्मरक्षा प्रशिक्षण का आगाज

किसानों की मानें तो पाला पड़ने से आलू, चना, सरसों समेत कई फसलों पर बुरा असर पड़ता है. क्योंकि ऐसी स्थिति में पौधे के भीतर पानी जमने लगता है, जिससे उसके दाने सूख जाते हैं. जिले में मुख्यालय के आस-पास सहित भदेसर तहसील के सुखवाड़ा और आस-पास के गांवों में फसलों पर असर है. इस साल औसत से अधिक बरसात हुई थी. जिससे पहले से ही खेतों में नमी है. सर्दी के कारण मवेशी भी बुरी तरह परेशान है. सर्दी के कारण मवेशियों में निमोनिया सहित अन्य बीमारियां देखने को मिल रही है. कृषक मुकेश धाकड़ ने बताया कि 10 दिन से सर्दी के कारण सब्जियों में नुकसान हुआ है और सब्जियां नष्ट हो गई है. पाला गिरने के कारण अफीम में 10 प्रतिशत नुकसान है. इसके अलावा चने में भी 20 प्रतिशत तक का नुकसान का अनुमान है.

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पशुपालक बंशीलाल डांगी ने बताया कि सर्दी में दूध उत्पादन में कमी आती है. डॉ. बंशीलाल मूंदड़ा, उप निदेशक ने मवेशियों को चारा और खांकला भरपूर मात्रा में देने और दाने खिलाने का आग्रह किया है. निमोनिया और सांस रोग से बचाने के लिए हवा में नहीं बांधने की सलाह दी है. वहीं अवकाश को लेकर अभिभावकों का भी मानना है कि जिले में सर्दी ऐसी है कि स्कूलों में अवकाश जरूरी है.

Intro:चित्तौडग़ढ़। लेह-लद्दाख से लेकर कन्याकुमारी तक पूरे देश में एक जैसी सर्दी है। ऐसे में राजस्थान कैसे अछूता रहता। पूरे प्रदेश में तेज सर्दी का असर है। दोपहर तक सूर्य भगवान के दर्शन नहीं हो रहे हैं तो ठिठूरण ने सभी को बेहाल कर दिया है। चित्तौडग़ढ़ जिले में भी सर्दी से हर कोई बेहाल है। स्कूलों में तो अवकाश कर दिया गया है तो वहीं लोग भी घरों से कम निकल रहे हैं। लेकिन बात की जाए फसलों की तो वो भी इससे अछूती नहीं है। पूरे जिले में इन दिनों रबी की फसल बोई हुई है। इसमें अधिकांश पर असर दिख रहा है। यहां तक काले सोने के रूप में शुमार अफीम की फसल भी इससे अछूती नहीं है। मवेशी भी इससे बेहाल हैं तथा पशु चिकित्सक बीमारियों से बचाने के लिए विशेष सावधानियां बरतने का आग्रह कर रहे हैं।Body:जानकारी के अनुसार प्रदेश भर में सर्दी का सितम जारी है, वहीं चित्तौडगढ़़ में भी सर्दी लगातार रिकॉर्ड तोड़ रही है। गत 15 दिन से सर्दी तेज है। सुबह सर्दी और घने कोहरे के कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित रहा। सुबह से ही अधिकांश इलाकों में कोहरा छाया रहा। हाड़ कंपाती ठंड से कंपकपी छूट रही है, वहीं आलम यह है कि सूर्य की तल्खी भी शीतलहर के सामने बौनी साबित हो रही है। कड़ाके की सर्दी के चलते स्कूलों व आंगनबाड़ी केन्द्रों पर भी अवकाश के आदेश जारी हो चुके हैं। नए वर्ष की शुरूआत में ही सर्दी ने सभी को झकझोर दिया है। कई दिनों से तापमान में आई गिरावट कारण पांच दिन पूर्व पाला गिरा था, जिससे रबी की फसलों को नुकसान हुआ है। पाला गिरने के कारण मुख्य रूप से तो सब्जियां सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। इसके अलावा भी सरसों, मटर पर इसका असर है। साथ ही व्यावसायिक उद्देश्य से बोई मक्का के अलावा चने पर भी सबसे ज्यादा असर है। रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं पर भी कोई असर नाम मात्र का है। इसका कारण है कि गेहूं की बुवाई देरी से हुई। किसानों की मानें तो पाला पडऩे से आलू, चना, सरसों समेत कई फसलों पर बुरा असर पड़ता है, क्योंकि ऐसी स्थिति में पौधे के भीतर पानी जमने लगता है, जिससे उसकी बाली और दाने सूख जाते हैं। चित्तौडग़ढ़ जिले में जिला मुख्यालय के आस-पास सहित भदेसर तहसील के सुखवाड़ा व आस-पास के गांवों में फसलों पर असर है। इस वर्ष औसत से अधिक बरसात हुई थी, जिससे पहले से ही खेतों में नमी है। वहीं धूप नहीं निकलने ओर ओस के चलते फसलों पर प्रभाव है। इधर, सर्दी के कारण मवेशी भी बुरी तरह प्रभावित है। सर्दी के कारण मवेशियों में निमोनिया सहित अन्य बीमारियां देखने को मिल रही है। पशुपालक मवेशियों को सर्दी से बचाने के लिए प्रयास करते देखे जा रहे हैं। कृषक मुकेश धाकड़ ने बताया कि 10 दिन से सर्दी के कारण सब्जियों में नुकसान हुआ है और सब्जियां नष्ट हो गई है। पाला गिरने के कारण अफीम में 10 प्रतिशत नुकसान है। इसका अलावा चने में भी 20 प्रतिशत तक का नुकसान का अनुमान है। फिलहाल सर्दी में फसलों पर कोई छिड़काव नहीं है। पशुपालक बंशीलाल डांगी ने बताया कि सर्दी में भूख सहन नहीं होती और दूध उत्पादन में कमी आती है। बछड़ों में बीमारियां आ रही है तथा मर भी रहे हैं। इधर, डॉ. बंशीलाल मूंदड़ा, उप निदेशक ने मवेशियों को चारा व खांकला भरपूर मात्रा में देने व दाने खिलाने का आग्रह किया है। निमोनिया व सांस रोग से बचाने के लिए हवा में नहीं बांधने की सलाह दी है। वहीं अवकाश को लेकर अभिभावकों का भी मानना है कि जिले में सर्दी ऐसी है कि स्कूलों में अवकाश जरूरी है लेकिन शीतकालिन अवकाश के पावर जिला कलक्टर को दे देने चाहिए। स्कूलों में अद्र्धवार्षिक अवकाश के बाद छूट्टियां रहती है। बाद में सर्दी के कारण और अवकाश किए जाते हैं, जिससे छूट्टियां ज्यादा हो जाती है और बच्चों का पढ़ाई से ध्यान हटता है। ऐसा हर वर्ष हो रहा है कि चार-पांच छूट्टियां ज्यादा हो रही है। जिला कलक्टर अपने क्षेत्र में मौसम को देख कर अवकाश की घोषण कर दें।Conclusion:बाइट - 01. प्रेमचंद, किसान
02. मुकेश धाकड़, किसान
03. बंशीलाल डांगी, पशुपालक
04. लखननाथ, अभिभावक
05. डॉ. बंशीलाल मूंदड़ा, उप निदेशक, बहु उद्देशिय चिकित्सालय चित्तौडग़ढ़
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