चित्तौड़गढ़. नरेंद्र पुरोहित खुद को प्रमुख दावेदार मानते हुए अपने समर्थकों के साथ रिटर्निंग ऑफिसर के दफ्तर पहुंच गए. लेकिन कुछ समय बाद ही प्रस्तावक वहां से गायब हो गया. इस बीच अधिकृत प्रत्याशी के तौर पर रंजना देवी लाड को वहां देखकर पुरोहित के पैरों तले से जमीन खिसक गई. पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ कई वरिष्ठ नेता भी सकते में आ गए. विधायक राजेंद्र सिंह बिधूड़ी ने पुरोहित और बाबेल को दरकिनार करते हुए रंजना देवी लाड पर अपनी मुहर लगाई तो दोनों ही दावेदारों के पैरों तले से जमीन खिसक गई.
कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी बढ़ गई. वहीं मुंह तक आए निवाले को हाथ से खिसकते देख कर पुरोहित भी अपना आपा खो बैठे और विधायक बिधूड़ी के खास लोगों के सामने अपनी नाराजगी जताने से भी नहीं चूके. उनका कहना था कि जब अन्य किसी को चेयरमैन बनाना था तो इतने समय तक उन्हें क्यों भ्रम में रखा गया. पुरोहित के गुस्से का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने मौके पर ही नामांकन पत्र को फाड़ डाला और चेतावनी दी कि नगर पालिका बोर्ड 6 महीने से ज्यादा नहीं चल पाएगा.
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मामला जब बिधूड़ी के पास पहुंचा तो पार्टी नेताओं में भी खलबली मच गई और डैमेज कंट्रोल के तौर पर हाथों हाथ सत्यनारायण पालीवाल को अंतिम समय में भेज कर उनके नाम का भी पर्चा भरवाया गया. नामांकन पत्र भी पेश करवा दिया. अंतिम समय में उन्होंने उनके सामने ही नामांकन पत्र फाड़ डाला. बीजेपी ने अपनी रणनीति बदलते हुए पारस जैन के साथ योगेश डिडवानिया से पर्चा भरवाकर मुकाबले को रोचक बना दिया है, जिस प्रकार से पुरोहित की नाराजगी उभर कर सामने आई, उससे पार्टी नेताओं की आंखें एक बार फिर चमक उठीं.
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पार्टी नेताओं का मानना है कि मतदान के समय कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान उनके लिए मददगार साबित हो सकती है. उसी को देखते हुए बीजेपी के वरिष्ठ जोड़-तोड़ की गणित में जुट गए हैं. रिटर्निंग अधिकारी को कांग्रेस के सिंबल चुनाव पर्यवेक्षक मनोज कुमार लबाना और रावतभाटा पालिका अध्यक्ष के प्रतिनिधि धर्मेन्द्र तिलानी ने पेश किया. बीजेपी के सिंबल नगर मंडल अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश जोशी ने किया.