चित्तौड़गढ़. जिले में बड़ी संख्या में बांध, तालाब, एनीकट बनें हुए हैं. साथ ही गंभीरी, बेड़च बनास जैसी बड़ी नदियां भी हैं. जिनमें मत्स्य विभाग की ओर से मछली पकड़ने को लेकर ठेके दिए जाते हैं. इन दिनों जलाशयों में पानी ठहरा हुआ है और मछली पकड़ने का काम चरम पर है.
बता दें कि जिले में 91 बांध, तालाब और नदियां हैं. जिनमें मछली पकड़ने का ठेका होता है. इन जलाशयों में मछलियां पकड़ने के लिए मत्स्य विभाग की ओर से 168 नावों को अनुमति दी गई है लेकिन एक भी नाव का संचालन निमयानुसार नहीं हो रहा है.
नहीं हो रहा नावों का नियम अनुसार प्रयोग
जिस तरह वाहनों को परमिट की आवश्यकता होती है. उसी तर्ज पर जलाशय में चलने वाली किसी भी प्रकार की नाव के लिए जिला परिवहन अधिकारी कार्यालय से परमिट की जरूरत होती है. लेकिन यहां एक नाव का भी परमिट नहीं लिया गया है. ऐसे में ठेकेदार नावों का प्रयोग नियमानुसार नहीं कर रहे हैं.
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एनिकट की दीवार को ही तोड़ दिया
जानकारी में सामने आया है कि धार्मिक स्थल वाले जलाशयों पर मछली पकड़ने पर रोक हैं, लेकिन इस नियम की भी अवहेलना हो रही है. अपने फायदे के लिए ठेकेदार जलाशयों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इसकी बानगी चित्तौड़गढ़ जिला कलक्टर कार्यालय से मात्र 200 मीटर दूर ही देखने को मिली है, जहां मछली पकड़ने के लालच में एनिकट की दीवार को ही तोड़ दिया गया है. यहां तक जलाशयों पर निगरानी रखने वाला जल संसाधन महकमा भी अनजान बना हुआ है. विभाग की लापरवाही और मछली ठेकेदारों की लालच में गंभीरी नदी एनिकट से पानी खाली हो रहा है.
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गंभीरी नदी आस्था का केन्द्र
गंभीरी नदी एनिकट लोगों की आस्था का केन्द्र है. जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग मछलियों को आटा डालने आते हैं. जब लोगों ने एनिकट टूटा देखा तो नगर परिषद आयुक्त को शिकायत दी, लेकिन एनिकट के मामले जल संसाधन विभाग देखता है, जो पट्टी तोड़ने के मामले में अंजान है. ऐसे में निगरानी नहीं होने के कारण मछली ठेकेदारों के हौंसले बुलंद हैं.
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वहीं मत्स्य विभाग भी अवैध मछली पकड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई का दावा कर रहा है. परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नाव चलाने वालों को भी परिवहन विभाग से परमिट की अनुमति लेना आवश्यक है. परिवहन विभाग से केलव 38 परमिट जारी हैं, जो केवल रिसोर्ट आदि के ही हैं.