चित्तौड़गढ़. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) राजस्थान के महानिदेशक डॉ. बीएल सोनी ने बुधवार को चित्तौड़गढ़ में भ्रष्टाचार के विरूद्ध जन जागरूकता अभियान के अंतर्गत आयोजित जन संवाद कार्यक्रम में जिले के लोगों से संवाद किया. जन संवाद के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि एसीबी (Anti Corruption Bureau Rajasthan) लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. ऐसे में यह नहीं माना जाना चाहिए कि प्रदेश में भ्रष्टाचार बढ़ा है. भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों में जागरूकता बढ़ी है.
जिला परिषद के डीआरडीआई हॉल में जन संवाद के बाद बीएल सोनी ने कहा कि कार्रवाईयों के बावजूद आज भ्रष्टाचार आमजन के जीवन में दिनचर्या बन गया है, जो हमारी पीढ़ियों के लिए चुनौती है. उन्होंने कहा कि हम भ्रष्टाचार के बारे में पहले केवल कहानियां सुनते थे लेकिन आज भ्रष्टाचार आम जीवन का हिस्सा बन कर दिनचर्या बन गया है, जो हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए ठीक नहीं है. इसलिए आमजन भ्रष्टाचार को मौन स्वीकृति ना देकर हमारे पास आए और यदि हम काम नहीं करें तो फिर कहें.
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के कारण वाजिब हकदार को उसका हक नहीं मिलता और कोई ओर ले जाता है. आमजन कि ओर से दिये गये टैक्स से हमें वेतन मिलता है और हम सुविधाएं भोगते हैं, जिससे आमजन के लिए हमारी जिम्मेदारी बन जाती है कि जनता का कोई भी काम बिना रिश्वत दिए हो. उन्होंने आमजन से अपील भी की कि वे बिना हिचक अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें और भ्रष्टाचार के विरूद्ध हमारे पास आएं.
डॉ. सोनी ने आदिवासी क्षेत्रों में भ्रष्टाचार के विरूद्ध जागरूकता में लोगों में कमी को स्वीकारते हुए कहा कि हमने उन क्षेत्रों में भी जागरूकता अभियान चलाएं है और अब ब्यूरो गांवों को गोद लेकर इस अभियान को और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएगा. डिजिटल भ्रष्टाचार को भी उन्होंने गंभीर चुनौती बताया. उन्होंने भ्रष्ट अधिकारियों को सजा में देरी के सवाल को स्वीकार भी किया. साथ ही बताया कि इन मुकदमों की पैरवी के लिए पहले न्यायालय में हमारा एक हेड कांस्टेबल होता था लेकिन अब हमने प्रत्येक न्यायालय में उप निरीक्षक स्तर के अधिकारी को लगाया है. उनका दावा था कि मेरे कार्यकाल में जहां सजा का रेसो 70 प्रतिशत है. वहीं हमने 2021 में 784 लम्बित मामलों को भी निस्तारित किया है.
संवाद में बार एसोसिएशन की ओर से बताया गया कि चित्तौड़गढ़ जिले से 785 मामले उदयपुर में लम्बित है. ऐसे में यहां पर अलग से न्यायालय खुलवाई जानी चाहिए. भ्रष्टाचार के मामलों में न्यूनतम सजा के कारण शैफ नहीं होने और सजा बढ़वाने पर उनका कहना था कि यह संसद का विषय है.