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त्योहार पर कोरोना की मार: चित्तौड़गढ़ जेल में बंदियों की कलाई सूनी, सिर्फ 15 बहनें राखी लेकर पहुंचीं

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Published : Aug 3, 2020, 6:10 PM IST

एक ओर जहां पूरा देश सोमवार को बड़े ही धूमधाम में रक्षाबंधन का त्योहार मना रहा है, वहीं दूसरी ओर इस साल जेल परिसर में सन्नाटा छाया पसरा है. इस वर्ष कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जेल प्रशासन ने किसी बाहरी को आने की अनुमति नहीं दी थी. ऐसे में चित्तौड़गढ़ जेल में मात्र 15 बहनें ही जेल परिसर में पहुंची.

Rakshabandhan festival, जेल में कैद भाइयों की कलाई सूनी
जेल में कैद भाइयों की कलाई सूनी

चित्तौड़गढ़. रक्षाबंधन पर्व पर हर वर्ष जिला कारागृह में बड़ी संख्या में बहनें जेल में बंद भाइयों को राखी बांधने आती है. जिससे जेल परिसर में हर वर्ष मेला लगा रहता है, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि राखी पर जेल में सन्नाटा छाया रहा और कई भाइयों की कलाई भी सूनी रही.

इस वर्ष कोरोना संक्रमण के खौफ के कारण ना तो बहनें जेल आई, ना ही जेल प्रशासन ने किसी को राखी बांधने की अनुमति दी है. इस दौरान जेल परिसर में सन्नाटा पसरा हुआ था. बता दें कि रक्षाबंधन पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. हर वर्ष जेल प्रशासन भी अनुमति देता है कि किसी कारण से जेल में बंद बंदी को उसकी बहन रक्षाबंधन पर राखी बांधे.

जेल में कैद भाइयों की कलाई सूनी

पढ़ेंः जेल में कैद भाइयों की कलाई रहेगी सूनी, कोरोना को लेकर बहनें नहीं बांध पाईं राखी

ऐसे में हर वर्ष चित्तौड़गढ़ जिला कारागृह में रक्षाबंधन पर्व पर बड़ी संख्या में बहनें अपने-अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने आती है. पूरे दिन यहां मेले जैसा माहौल रहता है. जेल परिसर के अंदर जाकर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और इस दौरान कई भाई-बहनों की आंखों से आंसू तक छलक पड़ते हैं, लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण के खौफ के चलते ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

जेल प्रशासन की ओर से कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जेल परिसर के अंदर जाने की अनुमति नहीं थी. इसके पीछे कारण यह था कि जेल परिसर में कोरोना संक्रमण नहीं फैले. वैसे ही प्रदेश के कई जेल में कोरोना संक्रमण के मामले निकले हैं. इसके बाद जेल प्रशासन एहतियात बरते हुए हैं और रक्षाबंधन के अवसर पर भी बहनों को या किसी अन्य को जेल में जाने की अनुमति नहीं मिली है.

जानकारी मिली है कि वर्तमान में चित्तौड़गढ़ जिला जेल में बंदियों की क्षमता 338 की है. इसके मुकाबले वर्तमान में जिला जेल में 426 बंदी बंद है. अनुमति होती तो बड़ी संख्या में बहने जेल में भी भाइयों को राखी बांधने आती. जेल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार गत वर्ष करीब 400 महिलाओं ने जेल में आकर अपने भाइयों को राखी बांधी थी. जेल प्रशासन की ओर से बकायदा इसका रिकॉर्ड रखा जाता है, लेकिन इस वर्ष जेल प्रशासन की अनुमति नहीं थी. ऐसे में मात्र 15 बहनें ही जेल परिसर में पहुंची.

वहीं जो भी अपने भाई को राखी नहीं बांध पाई, उन्होंने केवल अपने भाई के पास राखी भेजी है. जेल स्टाफ को इन्होंने राखी और मिठाई दे दी, जिसे इन बहनों के भाइयों तक पहुंचाया गया. जानकारी में सामने आया कि बहनों की ओर से दी गई इन राखी को भी जेल प्रशासन की ओर से सैनिटाइज करने के बाद उनके भाई के पास भेजा गया.

पढ़ेंः भीलवाड़ा: रक्षाबंधन की धूम, भाइयों की कलाई पर राखी बांध बहनें कर रही जीवन रक्षा की कामना

जेल उप अधीक्षक डुलेसिंह ने बताया कि हर वर्ष जेल मुख्यालय के आदेश पर बहनों को जेल के भीतर जाकर भाई की कलाई पर राखी बांधने की अनुमति दी जाती है, लेकिन इस वर्ष कोविड-19 के खतरे को देखते हुए यह अनुमति नहीं मिली है. मुख्यालय के निर्देशों की पूरी तरह से पालना की जा रही है और सभी प्रकार के एहतियात बरते जा रहे हैं.

चित्तौड़गढ़. रक्षाबंधन पर्व पर हर वर्ष जिला कारागृह में बड़ी संख्या में बहनें जेल में बंद भाइयों को राखी बांधने आती है. जिससे जेल परिसर में हर वर्ष मेला लगा रहता है, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि राखी पर जेल में सन्नाटा छाया रहा और कई भाइयों की कलाई भी सूनी रही.

इस वर्ष कोरोना संक्रमण के खौफ के कारण ना तो बहनें जेल आई, ना ही जेल प्रशासन ने किसी को राखी बांधने की अनुमति दी है. इस दौरान जेल परिसर में सन्नाटा पसरा हुआ था. बता दें कि रक्षाबंधन पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. हर वर्ष जेल प्रशासन भी अनुमति देता है कि किसी कारण से जेल में बंद बंदी को उसकी बहन रक्षाबंधन पर राखी बांधे.

जेल में कैद भाइयों की कलाई सूनी

पढ़ेंः जेल में कैद भाइयों की कलाई रहेगी सूनी, कोरोना को लेकर बहनें नहीं बांध पाईं राखी

ऐसे में हर वर्ष चित्तौड़गढ़ जिला कारागृह में रक्षाबंधन पर्व पर बड़ी संख्या में बहनें अपने-अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने आती है. पूरे दिन यहां मेले जैसा माहौल रहता है. जेल परिसर के अंदर जाकर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और इस दौरान कई भाई-बहनों की आंखों से आंसू तक छलक पड़ते हैं, लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण के खौफ के चलते ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

जेल प्रशासन की ओर से कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जेल परिसर के अंदर जाने की अनुमति नहीं थी. इसके पीछे कारण यह था कि जेल परिसर में कोरोना संक्रमण नहीं फैले. वैसे ही प्रदेश के कई जेल में कोरोना संक्रमण के मामले निकले हैं. इसके बाद जेल प्रशासन एहतियात बरते हुए हैं और रक्षाबंधन के अवसर पर भी बहनों को या किसी अन्य को जेल में जाने की अनुमति नहीं मिली है.

जानकारी मिली है कि वर्तमान में चित्तौड़गढ़ जिला जेल में बंदियों की क्षमता 338 की है. इसके मुकाबले वर्तमान में जिला जेल में 426 बंदी बंद है. अनुमति होती तो बड़ी संख्या में बहने जेल में भी भाइयों को राखी बांधने आती. जेल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार गत वर्ष करीब 400 महिलाओं ने जेल में आकर अपने भाइयों को राखी बांधी थी. जेल प्रशासन की ओर से बकायदा इसका रिकॉर्ड रखा जाता है, लेकिन इस वर्ष जेल प्रशासन की अनुमति नहीं थी. ऐसे में मात्र 15 बहनें ही जेल परिसर में पहुंची.

वहीं जो भी अपने भाई को राखी नहीं बांध पाई, उन्होंने केवल अपने भाई के पास राखी भेजी है. जेल स्टाफ को इन्होंने राखी और मिठाई दे दी, जिसे इन बहनों के भाइयों तक पहुंचाया गया. जानकारी में सामने आया कि बहनों की ओर से दी गई इन राखी को भी जेल प्रशासन की ओर से सैनिटाइज करने के बाद उनके भाई के पास भेजा गया.

पढ़ेंः भीलवाड़ा: रक्षाबंधन की धूम, भाइयों की कलाई पर राखी बांध बहनें कर रही जीवन रक्षा की कामना

जेल उप अधीक्षक डुलेसिंह ने बताया कि हर वर्ष जेल मुख्यालय के आदेश पर बहनों को जेल के भीतर जाकर भाई की कलाई पर राखी बांधने की अनुमति दी जाती है, लेकिन इस वर्ष कोविड-19 के खतरे को देखते हुए यह अनुमति नहीं मिली है. मुख्यालय के निर्देशों की पूरी तरह से पालना की जा रही है और सभी प्रकार के एहतियात बरते जा रहे हैं.

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