चित्तौड़गढ़. कोरोना का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. हर जगह कोरोना संक्रमण के मामले मिल रहे हैं. इन सबके बीच कई सकारात्मक तो कई नकारात्मक बातें भी सामने आ रही हैं. कई कोरोना संक्रमित ऐसे भी हैं, जिनका अनुभव अच्छा नहीं रहा और लोग उनके साथ भेदभाव करते दिखाई दिए. वहीं कई मामले ऐसे हैं, जहां अपने दोस्तों की हौसला अफजाई से संक्रमित लोगों ने कोरोना को मात दी. ये लोग अपने दोस्तों का आभार जताते हुए कहते हैं कि हमने दोस्तों की हौसला अफजाई की बदौलत कोरोना से जंग जीती है.
जिले में अभी तक करीब 644 लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आए हैं. वर्तमान में चित्तौड़गढ़ शहरी क्षेत्र में करीब 135 और जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 143 कोरोना के सक्रिय केस हैं. वहीं 354 से अधिक कोरोना को मात देकर स्वस्थ हो चुके हैं. ऐसे ही स्वस्थ हुए कुछ लोगों से बातचीत हुई है. इसमें सामने आया कि सकारात्मक पहल से भी कोरोना को मात दी जा सकती है. सकारात्मक रह कर संक्रमित रोगी की लगातार हौसला अफजाई की जाए. इससे कि वह अपने को अकेला महसूस नहीं करे और रोग उसके दिमाग पर घर नहीं कर पाए.
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चित्तौड़गढ़ शहर में दुर्ग मार्ग निवासी शंभूलाल प्रजापत 15 अगस्त के दिन ही कोरोना को मात देकर लौटे हैं. वे करीब 11 दिन कोविड हॉस्पिटल में भर्ती रहे. रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद से लेकर कोविड हॉस्पिटल रहने और पुनः घर लौटने पर तक में इन्होंने अपने मित्रों का महत्वपूर्ण योगदान बताया. प्रजापत ने बताया कि उनके पड़ोसी दुकानदार पॉजिटिव आया था. इस पर उन्होंने ऐसे ही बिना किसी लक्षण के कोरोना जांच के लिए सैंपल दिया था. इसमें रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई थी. उनके कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी मित्रों को मिली तो सभी के फोन आने शुरू हो गए. सभी ने हिम्मत बढ़ाई. उन्होंने कहा कि इनके उत्साह वर्धन की बदौलत ही इस बीमारी को मात दे पाए.
शुरू का एक घंटा था तनावपूर्ण
शहर के किदवई नगर निवासी महेंद्र शर्मा का कहना है कि रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद का एक घंटा बहुत ही तनावपूर्ण था. चिकित्सा विभाग एवं पुलिस की टीम में घर पर आ गई. मकान की बैरीकेटिंग कर दी और कोविड हॉस्पिटल ले जाने को कहा. उस समय पूरा परिवार चिंता में आ गया. उस समय जो माहौल बना, उससे दिमाग में तनाव हो गया था, लेकिन जैसे ही मेरे मित्रों को इसकी जानकारी मिली तो उनके फोन आना शुरू हो गए. पहले ही दिन करीब 300 लोगों ने फोन किए. सभी ने यही कहा कि तनाव नहीं रखें. दोस्तों की दुआ और हौसला अफजाई ने कोरोना से लड़ने में मदद की.
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उन्होंने बताया कि अब भी परिवार की चिंता है, इसलिए अभी भी उनसे अलग रह रहा हूं. हाल ही में 2 दिन पूर्व ही हॉस्पिटल से छुट्टी मिली है, लेकिन अब भी मित्रगण संपर्क में हैं और जल्दी क्वॉरेंटाइन का समय खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं, जिससे कि सभी साथ बैठकर पुनः गपशप कर सकें.
दोस्त और परिवार के सदस्य ढांढस बंधाएं
इस संबंध में चिकित्सक डॉ. अनीस जैन का कहना है कि समाज के लोगों को यह समझना पड़ेगा कि कोरोना संक्रमित लोगों में से 100 में से 98 लोग स्वस्थ होते हैं. बहुत ही कम मामलों में इसमें मृत्यु होती है. इसमें भी कोई और दूसरी बीमारी भी कारण हो सकती है. ऐसे में संक्रमित व्यक्ति को भी यह सोचना चाहिए कि वह इतना बदकिस्मत नहीं कि वह 100 में से 2 प्रतिशत लोगों में आए. उसे यह सोचना चाहिए कि वह उन 98 लोगों में आता है, जो स्वस्थ होकर घर जाते हैं. ऐसे में सभी से आग्रह है कि कोरोना संक्रमण से घबराएं नहीं. साथ ही दोस्त एवं परिवार के सदस्य भी संक्रमित को यह ढांढस बंधाएं कि इस रोग में 100 में से 98 लोग स्वस्थ होकर घर लौटते हैं और अपने काम करते हैं.
योग व मेडिटेशन से जागृत करते हैं आत्मबल
अतिरिक्त जिला कलेक्टर मुकेश कलाल का कहना है कि कोरोना संक्रमित रोगियों के लिए प्रशासन मुस्तैद है और रोगी शीघ्र स्वस्थ हो, इसके लिए प्रयास करते हैं. साथ ही प्रशासन अलग-अलग तरीके से रोगियों से जुड़ा हुआ है. जिला कलेक्टर की पहल पर अभियान शुरू किया गया है 'टोको और कोरोना को फैलने से रोको'. इस अभियान के माध्यम से आम व्यक्ति किस तरह से कोरोना संक्रमण फैलने से रोक सकता है, इस संबंध में जनजागृति फैलाई जा रही है.
साथ ही जिला कलेक्टर की पहल पर ही कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति से ऑनलाइन काउंसलिंग मीटिंग रखते हैं. इसमें सभी अधिकारी, विशेषज्ञ चिकित्सक आदि जुड़ते हैं. कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक भी उनसे बात करते हैं. उनके सवालों के जवाब देते हैं और उन्हें समझाया जाता है कि कोरोना किसी को भी हो सकता है. वे समाज से अलग नहीं हैं और वह जल्दी स्वस्थ होंगे. साथ प्रतिदिन सुबह कोरोना रोगियों को योग मेडिटेशन करवाते हैं. इससे उनके अंदर का आत्मबल जागृत करते हैं. इम्यूनिटी पावर बढ़ाते हैं, जिससे कि वह जल्दी स्वस्थ हों.