चित्तौड़गढ़. प्रदेश में लॉकडाउन को करीब 20 दिन होने को आए हैं. एक तरफ जहां लोगों की सेवा के लिए जिला प्रशासन व कई भामाशाह आगे आए हैं. वहीं विश्व विख्यात चितौड़ दुर्ग पर हजारों बेजुबान जीवों के लिए भी कई धार्मिक व सामाजिक संगठन इनका सहारा बने हैं. नियमित इनकी सेवा किए जाने के कारण अब ये बेजुबान भी लोगों को पहचानने लगे हैं. ये बिना डरे पास चले जाते हैं और सेवा करने वालों से डरते भी नहीं है.
जानकारी के अनुसार विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग पर बड़ी संख्या में वानर है और यहां के जलाशयों में मछलियां है. इनके अलावा भी कईं जीव हैं जो भोजन के लिए पूरी तरह से पर्यटकों पर आश्रित थे. कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते पर्यटकों के साथ ही आम आदमी का दुर्ग पर प्रवेश बंद हो गया है. यह बेजुबान पशु पक्षी जो कि इंसानों के बीच रहा करते थे और वही खाते थे जो इंसान इन्हें खिलाया करते थे. लेकिन लॉक डाउन के दौरान इनके भूखे मरने की नौबत आ गई.
ऐसे में कई संगठनों ने अपना हाथ इन बेजुबान की तरफ बढ़ाया. इन संगठन के कार्यकर्ताओं के दुर्ग पर पहुंचते ही सिर्फ थोड़ी सी आवाज में सैकड़ों की संख्या में गाय, बंदर और अन्य बेजुबान पशु और पक्षी दौड़े चले आते हैं. बता दें कि अपने हाथों से यह संगठन के कार्यकर्ता इन्हें खाद्य पदार्थ खिला कर इनकी सेवा में जुटे हैं.
यह भी पढ़ें. जोधपुर में रेलवे वर्कशॉप में बनाई गई सैनिटाइज टनल, स्टेशन और अस्पतालों को कराएंगे उपलब्ध
वहीं गोमुख कुंड सहित कई कुंडो में मछलियों के लिए भी चने व अन्य पदार्थ उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. इन बेजुबान पशुओं की सेवा कर रहे शिव शंभू ग्रुप के सदस्यों ने बताया कि जब तक लॉकडाउन रहेगा तब तक उनकी सेवा भी जारी रहेगी. वे नियमित आकर इनकी सेवा में जुटेंगे. इधर, करीब 20 दिन से लगातार आने के कारण इन पशु व पक्षियों के स्वभाव में भी बदलाव आ गया है. ये इन लोगों को देखते ही पास चले जाते हैं. किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाते.