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सांवलिया सेठ की नगरी बनी 'ब्रजधाम', भक्तों ने जमकर खेली फाग - होली का त्यौहार

चित्तौड़गढ़ में होली का रंग लोगों के सिर पर बढ़चढ़ कर बोल रहा था. लोगों ने ब्रज और बरसाना की तर्ज पर भगवान के साथ होली खेली, जिसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए.

चित्तौड़गढ़ न्यूज, chittorgarh news, rajasthan news
सांवलिया सेठ की नगरी बनी ब्रजधाम
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Published : Mar 10, 2020, 6:51 PM IST

चित्तौड़गढ़. जिले में होली की धूम परवान पर है. होलिका दहन के बाद अगले दिन जिले के विभिन्न क्षेत्रों में होली की धमाल मची हुई है. इन सब के बीच कृष्णधाम श्री सांवलियाजी की होली खास बन पड़ी है. ब्रज और बरसाना की तर्ज पर भक्तों ने भगवान के साथ होली खेली. हजारों की संख्या में भक्तों ने भगवान के साथ होली खेली.

सांवलिया सेठ की नगरी बनी ब्रजधाम

जानकारी के अनुसार होलिका दहन के अगले दिन धूलंडी पर जिले भर में होली खेली जा रही है. वहीं, श्री सांवलिया सेठ की नगरी में ब्रज और वृंदावन का माहौल बना हुआ है. यहां होली के रंग उड़े और भगवान संग जम कर फाग खेली गई. इस अवसर पर रथयात्रा निकाली गई, जिसमें श्रद्धालु भगवान सांवलिया सेठ के साथ फाग खेले और जयकारे लगाए. मंगलवार सुबह 11.30 बजे श्री सांवलियाजी मंदिर में राजभोज आरती हुई. इसके बाद दोपहर 12 बजे पुजारियों ने भगवान श्री सांवलिया सेठ बाल रूप पर गुलाब जल, गंगाजल और इत्र स्नान कराया. जिसके बाद ठाकुर को रथ पर बैठा कर नगर भ्रमण करवाया.

पढ़ेंः राजस्थान में यहां दिन में होता है होलिका दहन, भारी संख्या में मौजूद रहते हैं लोग

इस मौके पर दर्शन और झलक पाकर हर कोई अपने आप को धन्य समझ रहा था. पुजारी ने भगवान के बाल स्वरूप को सिंहासन पर विराजमान कर गुलाल-अबीर लगाई. मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं ने भगवान का पुष्प वर्षा और गुलाल उड़ाकर उनकी आगवानी की. वहीं, मंदिर के अंदर और बाहर श्रद्धालु भगवान के जयकारे लगाते हुए गुलाल उड़ा रहे थे. सभी के चेहरे रंग बिरंगी गुलाल में रंगे हुए थे. इस दौरान राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात जैसे कई राज्यों से श्रद्धालु सांवलिया सेठ के दर्शन और फूलडोल महोत्सव में भाग लेने आए थे.

पढ़ेंः प्रतापगढ़ में 100 साल पुरानी परंपरा, होली पर यहां रंग लगाने की जगह होता है 'गैर नृत्य'

फूलडोल महोत्सव को लेकर मंदिर मंडल की ओर से करीब 10 क्विंटल गुलाल की व्यवस्था की गई थी. वहीं, श्रद्धालु भी अपने स्तर पर गुलाल लाकर ठाकुरजी के साथ होली खेल रहे थे. मंडफिया गांव के गली मोहल्ले में ब्रज का माहौल बना हुआ है. डीजे की धुन पर सांवलिया सेठ के भजन बज रहे हैं. डीजे पर फागुन के भजन फागण में हम होली खेलन जावेगे, सांवरिया के लाल गुलाल लगवाएंगे, आज बिरज में होली रे रसिया, होलिया में उड़े रे गुलाल, खेले बृज में रंग गुलाल राधे संग श्याम बिहारी जैसे भजनो से पूरी नगरी भक्ति मय हो गयी.

चित्तौड़गढ़. जिले में होली की धूम परवान पर है. होलिका दहन के बाद अगले दिन जिले के विभिन्न क्षेत्रों में होली की धमाल मची हुई है. इन सब के बीच कृष्णधाम श्री सांवलियाजी की होली खास बन पड़ी है. ब्रज और बरसाना की तर्ज पर भक्तों ने भगवान के साथ होली खेली. हजारों की संख्या में भक्तों ने भगवान के साथ होली खेली.

सांवलिया सेठ की नगरी बनी ब्रजधाम

जानकारी के अनुसार होलिका दहन के अगले दिन धूलंडी पर जिले भर में होली खेली जा रही है. वहीं, श्री सांवलिया सेठ की नगरी में ब्रज और वृंदावन का माहौल बना हुआ है. यहां होली के रंग उड़े और भगवान संग जम कर फाग खेली गई. इस अवसर पर रथयात्रा निकाली गई, जिसमें श्रद्धालु भगवान सांवलिया सेठ के साथ फाग खेले और जयकारे लगाए. मंगलवार सुबह 11.30 बजे श्री सांवलियाजी मंदिर में राजभोज आरती हुई. इसके बाद दोपहर 12 बजे पुजारियों ने भगवान श्री सांवलिया सेठ बाल रूप पर गुलाब जल, गंगाजल और इत्र स्नान कराया. जिसके बाद ठाकुर को रथ पर बैठा कर नगर भ्रमण करवाया.

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इस मौके पर दर्शन और झलक पाकर हर कोई अपने आप को धन्य समझ रहा था. पुजारी ने भगवान के बाल स्वरूप को सिंहासन पर विराजमान कर गुलाल-अबीर लगाई. मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं ने भगवान का पुष्प वर्षा और गुलाल उड़ाकर उनकी आगवानी की. वहीं, मंदिर के अंदर और बाहर श्रद्धालु भगवान के जयकारे लगाते हुए गुलाल उड़ा रहे थे. सभी के चेहरे रंग बिरंगी गुलाल में रंगे हुए थे. इस दौरान राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात जैसे कई राज्यों से श्रद्धालु सांवलिया सेठ के दर्शन और फूलडोल महोत्सव में भाग लेने आए थे.

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फूलडोल महोत्सव को लेकर मंदिर मंडल की ओर से करीब 10 क्विंटल गुलाल की व्यवस्था की गई थी. वहीं, श्रद्धालु भी अपने स्तर पर गुलाल लाकर ठाकुरजी के साथ होली खेल रहे थे. मंडफिया गांव के गली मोहल्ले में ब्रज का माहौल बना हुआ है. डीजे की धुन पर सांवलिया सेठ के भजन बज रहे हैं. डीजे पर फागुन के भजन फागण में हम होली खेलन जावेगे, सांवरिया के लाल गुलाल लगवाएंगे, आज बिरज में होली रे रसिया, होलिया में उड़े रे गुलाल, खेले बृज में रंग गुलाल राधे संग श्याम बिहारी जैसे भजनो से पूरी नगरी भक्ति मय हो गयी.

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