चित्तौड़गढ़. कई स्थानों पर मंदिर निर्माण वर्षों में होते हैं और काफी समय भी लग जाता गए. कई बार परिस्थितियां ऐसी होती है कि कुछ ही दिनों में ही मंदिर भव्य रूप ले लेता है. ऐसा ही चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय के गांधीनगर में देखने को मिला है. जहां एक वानर की मौत होने पर क्षेत्रवासियों ने उसे पार्क की जमीन में दफनाया था. उस दिन गुरु पूर्णिमा थी, बाद में युवाओं की इच्छा थी कि यहां हनुमान मंदिर बनें. जन सहयोग के साथ ही प्रशासनिक सहयोग से यहां भव्य मंदिर निर्माण हो गया.
यहां स्थापित प्रतिमा लोगों की आस्था के केंद्र बन गई है. वहीं हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष आयोजन किए जा रहे हैं. मंगलवार को हनुमान जयंती है और इस उपलक्ष्य में सोमवार को प्रतिमा का अभिषेक किया गया. जानकारी के अनुसार चित्तौड़गढ़ शहर के गांधीनगर सेक्टर 2 में स्थित पार्क में श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर स्थापित है. इस मंदिर का निर्माण और प्रतिमा स्थापना वर्ष 2017 में होकर पाटोत्सव किया था.
बताया जाता है कि 26 अप्रैल 2015 से पहले इस पार्क में मंदिर के स्थान पर कुछ नहीं था. क्षेत्रवासी भ्रमण करते थे और बच्चे खेलते थे. गांधीनगर सेक्टर 2 में पार्क काफी बड़ा है. चित्तौड़ दुर्ग से कई बार वानर इस पार्क तक आ जाते थे. 26 अप्रैल 2015 को पार्क में कुत्तों ने एक वानर पर हमला कर जख्मी कर दिया था. क्षेत्रवासियों ने वानर को बचाने का काफी प्रयास किया, लेकिन वानर की जान बचाई नहीं जा सकी. बाद में इसके अंतिम संस्कार को लेकर नगर परिषद को भी सूचना दी, लेकिन समय पर कोई नहीं आया. यहां मौके पर मौजूद क्षेत्रवासियों ने आपस में चर्चा की और उस दिन गुरु पूर्णिमा का दिन था.
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क्षेत्रवासियों ने राय कर के वानर को यहीं दफनाने का निर्णय किया. यहां पार्क में ही एक कोने में गहरा गड्ढा खोद कर वानर को दफना दिया और ऊपर पत्थरों का चबूतरा बना दिया. इस क्षेत्र के युवा कपिल चतुर्वेदी, मनीष जोशी, लखन प्रजापत, अनिल सोपरा, अनुराग द्विवेदी, तेजपाल लौहार, रवि चतुर्वेदी, दिनेश खटीक कई बार पार्क में ही एकत्रित होते थे. इनके मन में इच्छा जागृत हुई कि यहां हनुमानजी का मंदिर बनाया जाए. ऐसे में इन युवाओं की इच्छा शक्ति के चलते मात्र 2 साल की अवधि में ही यहां भव्य मंदिर का निर्माण हो गया.
अब स्थिति यह है कि वर्ष में 365 दिन सुबह-शाम दर्शनार्थ क्षेत्रवासी आते हैं. वहीं हनुमान जयंती के अलावा रामनवमी सहित कई प्रमुख दिवस पर धार्मिक आयोजन होते हैं. वही मंदिर परिसर में ही भगवान शिव परिवार भी बिराजमान है, जहां भी श्रद्धालु जल चढ़ाने आते हैं। वहीं जिस वानर की मौत हुई थी, उसकी समाधि भी मंदिर परिसर में ही प्रतिमा से कुछ ही दूरी पर है.
लोग जुड़ते रहे, होता रहा मंदिर का निर्माण, भीलवाड़ा से निशुल्क लाए प्रतिमा
पहले तो क्षेत्रवासियों ने अपने स्तर पर संसाधन जुटाए और मंदिर का कार्य शुरू करवाया. तत्कालीन क्षेत्रीय पार्षद सुरेश झंवर ने भी विशेष सहयोग किया. युवाओं ने हजारेश्वर महादेव मंदिर के महंत चंद्रभारती महाराज से मंदिर निर्माण के लिए आग्रह किया. इस पर महंत ने मंदिर निर्माण में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया. युवाओं ने जन सहयोग से कार्य शुरू करवाया. बाद में नगर परिषद और महंत के सहयोग से मंदिर का पूरा निर्माण हो गया. प्रतिमा स्थापित करने की बात सामने आई. इस पर महंत चंद्रभारती महाराज ने भीलवाड़ा स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर के महंत बाबू गिरि महाराज से बात की. महंत बाबूगिरी हनुमान मंदिर के लिए निशुल्क प्रतिमाएं देते हैं. ऐसे में भीलवाड़ा से करीब 4 फीट ऊंची भगवान हनुमानजी की प्रतिमा लाएं और महंत चंद्रभारती के सानिध्य में विधि विधान से स्थापना कराई गई.
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लगातार दूसरे वर्ष कोरोना की भेंट चढ़ा आयोजन
जानकारी में सामने आया कि वर्ष 2017 में धूमधाम के साथ प्रतिमा की स्थापना की गई थी और उसके बाद लगातार दो वर्ष हनुमान जन्मोत्सव पर भव्य आयोजन होते हैं. लेकिन इस वर्ष और इससे पहले हनुमान जन्मोत्सव पर कोई बड़ा आयोजन नहीं हुआ. कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष भी सांकेतिक रूप से आयोजन हो रहे हैं. बताया गया है कि इस बार मंदिर में प्रतिमा का अभिषेक किया जाकर चोला चढ़ाया जा रहा है. वहीं मुख्य दिवस मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ का आयोजन होगा और प्रसाद वितरित किया जाएगा.