चित्तौड़गढ़. मानसून का आधे से अधिक सत्र बीत चुका है. प्रमुख बांध तालाब या तो लबालब हो चुके हैं या फिर किनारे पर हैं. वहीं राशमी, कपासन, भूपालसागर और गंगरार इलाके पर फिर अकाल का साया मंडराता दिखाई दे रहा है. जिले के कुल 45 में से 7 बांध और तालाब पूरी तरह से खाली पड़े (7 dams and ponds empty in Chittorgarh) हैं. ये सारे बांध और तालाब इन्हीं तहसीलों में आते हैं. हालांकि जल संसाधन विभाग अब भी इनके लबालब होने की उम्मीद में है.
फिलहाल विभाग के आंकड़ों की बात करें, तो 16 जल स्रोत ओवरफ्लो चल रहे (16 water resources overflow in Chittorgarh) हैं. वहीं 11 लगभग 80 प्रतिशत तक क्षमता तक भर चुके हैं. जिले के जल स्त्रोतों की भराव क्षमता पुल 14600 एमसीएफटी के मुकाबले अब तक 8500 एमसीएफटी अर्थात 60 प्रतिशत तक भर चुके हैं. 1942 एमसीएफटी भराव क्षमता का गंभीरी बांध जिले का सबसे बड़ा और उदयपुर संभाग का दूसरा बड़ा बांध है, जो छलक चुका है. इस पर पानी की चादर चल रही है. यह एक सिंचाई परियोजना है. वहीं घोसुंडा डैम, चित्तौड़गढ़ की लाइफलाइन मनाया जाता है. 960 एमसीएफटी क्षमता का यह बांध लबालब हो चुका है. इसी प्रकार औराई और बस्सी बांध भी ओवरफ्लो चल रहे हैं.
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मातृकुंडिया बांध 1180 एमसीएफटी क्षमता का है जो कि पूर्ण रूप से भर चुका है और इसका पानी नदी में छोड़ा गया. हालांकि राशमी इलाके में अब तक ज्यादा बरसात नहीं हो पाई. लेकिन इसका केचमेंट एरिया बेडच नदी है. राजसमंद जिले में नंद समंद बांध के ओवर फ्लो होने के बाद पानी बेड़च नदी से होता हुआ मातृकुंडिया बांध पहुंच रहा है. जल संसाधन विभाग के अधिशासी अभियंता राजकुमार शर्मा के अनुसार अब तक एक तिहाई बांध लबालब हो चुके हैं और करीब 30 प्रतिशत बांधों-तालाबों में लगभग 80 प्रतिशत तक पानी आ चुका है. 7 बांध-तालाब रिते पड़े हैं जो कि कपासन, राशमी, भूपालसागर और गंगरार उपखंड क्षेत्र में आते हैं. यहां जिले के अन्य उपखंड के मुकाबले कम बारिश हुई है. मौसम विभाग ने 15 से 20 सितंबर तक मानसून सक्रिय रहने के संकेत दिए हैं. ऐसे में उम्मीद है कि इस अवधि में इन क्षेत्रों में बारिश से भरपाई हो जाएगी.