अलवर. राष्ट्रीय पार्क प्राधिकरण की मंजूरी के बाद सरिस्का में लंबे समय से रणथंभौर से युवा नर बाघ लाने की कवायद चल रही थी. रणथंभौर में एक साल पहले एक अन्य बाघ को चिन्हित करके सरिस्का में भेजने की प्रक्रिया चल रही थी. लेकिन अचानक उस पर ब्रेक लग गया. बाद में बाघ-75 को सरिस्का भेजने का फैसला लिया गया.
इस मौके पर रणथंभौर के सीसीएफ मनोज पाराशर, डीएफओ मुकेश सैनी सहित अन्य वन्य अधिकारी बाघ को लेकर सरिस्का आए और शाम करीब 5 बजे बाघ को सरिस्का में छोड़ा गया. अभी बाघ को एक एंक्लोजर में छोड़ा गया है. एंक्लोजर में बाघ के भोजन के लिए शिकार बांध दिया गया है हालांकि एंक्लोजर में पानी की समुचित व्यवस्था नहीं थी. लेकिन बाद में वॉटरहोल्स में पानी डलवा दिया गया है.
रणथंभौर के बाघ को सड़क मार्ग से सरिस्का लाया गया. रणथंभौर में सरिस्का के अधिकारी कैंटर में रखे पिंजरे में बाघ को लेकर सरिस्का पहुंचे. बाघ को दौसा, सैंथल और गोलाकाबास होते हुए सरिस्का लाया गया. इस बाघ के आने से बाघ T-11 की कमी पूरी होगी.
सरिस्का में नर बाघ के आने से सरिस्का में बाघ और बाघिन का संतुलन कायम हो सकेगा. सरिस्का में वर्तमान में बाघिन की संख्या ज्यादा है. इनमें से कुछ बाघिन बाघों का कुनबा बढ़ाने में पूरी तरह से सक्षम हैं. नया युवा बाघ आने से सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ने की उम्मीद बढ़ी है.
तो वहीं दूसरी तरफ नया बाघ आने से सरिस्का में बाघों के बीच इलाके का संघर्ष भी बढ़ सकता है. माना जा रहा है कि नया भाग जंगल में अपनी नई टेरिटरी बनाता है. इस दौरान उसका पहले से इलाका बनाए बैठे बाघों में संघर्ष हो सकता है. वर्तमान में सरिस्का में चार बाघ हैं. इनमें रणथंभौर से आया नर बाघ सबसे युवा है इसलिए इस बात को अन्य भागों पर भारी रहना स्वाभाविक है.