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कोटा से सांसद ओम बिरला बने लोकसभा अध्यक्ष...ममता बेनर्जी के साथ कांग्रेस ने भी दिया समर्थन

राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिरला लोकसभा के अध्यक्ष बन गए हैं. ममता बेनर्जी के साथ ओम बिरला को कांग्रेस ने भी समर्थन दिया है. ओम बिरला के नाम का प्रस्ताव पीएम नरेद्र मोदी ने रखा था.

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Published : Jun 19, 2019, 11:32 AM IST

कोटा से सांसद ओम बिरला बने लोकसभा अध्यक्ष

जयपुर. देश की लोरकसभा के सबसे महत्वपूर्ण पद स्पीकर पर राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिरला को चुना गया है. जिसके बाद ओम बिरला राजस्थान के पहले सांसद बन गए हैं जो लोकसभा के सर्वोच्च पद पर आसीन हुए हैं.

आपको बता दें कि बिरला तीन बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं. जिन्हें मोदी का करीबी और राजस्थान में वसुंधरा के विरोधी मोदी गुट का माना जाता है. ओम बिरला की राजनीतिक शुरुआत में पहले वह एबीवीपी के साथ जुड़े और 1979 स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने. जहां से बिरला का सफर शुरू हुआ. जो भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा से होता हुए लोकसभा के सर्वोच्च पद पर पहुंच रहा है.

ओम बिरला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के इतन करीबी है कि बिरला ने साल 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को चुनावों की रिपोर्ट तैयार करवा कर दी थी.वहीं भाजपा के गैर विवादित चेहरे रहे है और किसी विवाद में ना पडे़. इसके लिए पहले इन्होनें राजस्थान भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अशोक परनामी के कार्यकाल में उपाध्यक्ष बनने से इंकार किया था. वहीं बाद में जब राजस्थान में जब 74 दिनों तक अध्यक्ष बनने का विवाद चला तो ओम बिरला को भी अध्यक्ष बनाने की चर्चा थी, लेकिन उन्होने इसके लिए भी इंकार कर दिया था. हालांकि इन्हें वसुन्धरा राजे के विरोधी गूट का माना जाता है लेकिन कभी भी इनके नाम से कोई विवाद सामने नही आया.

स्टूडेंट पॉलिटिक्स से युवा मोर्चा से होते हुए पहुंचे लोकसभा

ओम बिरला अपने शुरुआती दिनों में छात्र राजनीति से जुड़े है. इस दौरान एबीवीपी टिकट पर 1989 में कोटा में स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने. इसके बाद लगातार वह भारतीय जनता युवा मोर्चा में सक्रिय है. इसके बाद ओम बिरला भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने और जिसके बाद और राष्ट्रीय जनता युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष भी बने.ओम बिरला की राजनीतिक शुरुआत विधायक के तौर पर साल 2003 में हुई जब कोटा साउथ से उन्होंने शांति धारीवाल को चुनाव हराया 2003 में उन्हें राजस्थान में संसदीय सचिव भी बनाया गया था. इसके बाद वह साल 2008 और साल 2013 में भी विधायक बने, हालांकि साल 2013 में कोटा में ओम बिरला विधायक बन गए थे, लेकिन साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें कोटा से प्रत्याशी बनाया गया. ऐसे में उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और दो लाख से ज्यादा मतों से कांग्रेस के प्रत्याशी इज्यराज सिंह पर जीत दर्ज की इसके बाद ओम बिरला दिल्ली के हो गए और एक बार फिर से उन्हें भाजपा ने कोटा लोकसभा से अपना प्रत्याशी बनाया और उन्होंने पार्टी के सही ठहराते हुए बड़ी जीत दर्ज की.

यह रहा बिरला का राजनीतिक कैरियर

भारतीय जनता युवा मोर्चा के कोटा के अध्यक्ष रहे 1987 से 1991 तक

भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने 1993 से 1997 तक

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने भारतीय जनता युवा मोर्चा के 1997 से 2003 तक

राजस्थान विधानसभा में विधायक बने 2003 से 2013 तक 3 बार

2014 और 2018 में लोकसभा सीट कोटा से सांसद बने

पारिवारिक पृष्ठभूमि

ओम बिरला का जन्म 23 नवंबर 1962 को हुआ बड़ेला के पिता श्री कृष्ण बिरला और माता स्वर्गीय शकुंतला देवी हैं ओम बिरला का विवाह 1991 में डॉ अमिता बिरला से हुई. ओम बिरला की दो बेटियां आकांक्षा और अंजलि बिरला है.मोदी के करीबी और वसुंधरा के विरोधी गुट के माने जाते हैं. वहीं ओम बिरला को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का विश्वस्त माना जाता रहा है. राजस्थान विधानसभा में भी उन्हें अपनी वाकपटुता के लिए जाना जाता रहा है. और विधानसभा में भी वह मुद्दे बेहतरीन तरीके से उठाते रहे यही कारण है कि अब भाजपा को लगता है कि पूरे लोकसभा को वह आसानी से हैंडल कर सकते हैं.वहीं राजस्थान की राजनीति में भी ओम बिरला को वसुंधरा राजे के विरोधी गुट का माना जाता है.

जयपुर. देश की लोरकसभा के सबसे महत्वपूर्ण पद स्पीकर पर राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिरला को चुना गया है. जिसके बाद ओम बिरला राजस्थान के पहले सांसद बन गए हैं जो लोकसभा के सर्वोच्च पद पर आसीन हुए हैं.

आपको बता दें कि बिरला तीन बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं. जिन्हें मोदी का करीबी और राजस्थान में वसुंधरा के विरोधी मोदी गुट का माना जाता है. ओम बिरला की राजनीतिक शुरुआत में पहले वह एबीवीपी के साथ जुड़े और 1979 स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने. जहां से बिरला का सफर शुरू हुआ. जो भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा से होता हुए लोकसभा के सर्वोच्च पद पर पहुंच रहा है.

ओम बिरला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के इतन करीबी है कि बिरला ने साल 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को चुनावों की रिपोर्ट तैयार करवा कर दी थी.वहीं भाजपा के गैर विवादित चेहरे रहे है और किसी विवाद में ना पडे़. इसके लिए पहले इन्होनें राजस्थान भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अशोक परनामी के कार्यकाल में उपाध्यक्ष बनने से इंकार किया था. वहीं बाद में जब राजस्थान में जब 74 दिनों तक अध्यक्ष बनने का विवाद चला तो ओम बिरला को भी अध्यक्ष बनाने की चर्चा थी, लेकिन उन्होने इसके लिए भी इंकार कर दिया था. हालांकि इन्हें वसुन्धरा राजे के विरोधी गूट का माना जाता है लेकिन कभी भी इनके नाम से कोई विवाद सामने नही आया.

स्टूडेंट पॉलिटिक्स से युवा मोर्चा से होते हुए पहुंचे लोकसभा

ओम बिरला अपने शुरुआती दिनों में छात्र राजनीति से जुड़े है. इस दौरान एबीवीपी टिकट पर 1989 में कोटा में स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने. इसके बाद लगातार वह भारतीय जनता युवा मोर्चा में सक्रिय है. इसके बाद ओम बिरला भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने और जिसके बाद और राष्ट्रीय जनता युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष भी बने.ओम बिरला की राजनीतिक शुरुआत विधायक के तौर पर साल 2003 में हुई जब कोटा साउथ से उन्होंने शांति धारीवाल को चुनाव हराया 2003 में उन्हें राजस्थान में संसदीय सचिव भी बनाया गया था. इसके बाद वह साल 2008 और साल 2013 में भी विधायक बने, हालांकि साल 2013 में कोटा में ओम बिरला विधायक बन गए थे, लेकिन साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें कोटा से प्रत्याशी बनाया गया. ऐसे में उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और दो लाख से ज्यादा मतों से कांग्रेस के प्रत्याशी इज्यराज सिंह पर जीत दर्ज की इसके बाद ओम बिरला दिल्ली के हो गए और एक बार फिर से उन्हें भाजपा ने कोटा लोकसभा से अपना प्रत्याशी बनाया और उन्होंने पार्टी के सही ठहराते हुए बड़ी जीत दर्ज की.

यह रहा बिरला का राजनीतिक कैरियर

भारतीय जनता युवा मोर्चा के कोटा के अध्यक्ष रहे 1987 से 1991 तक

भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने 1993 से 1997 तक

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने भारतीय जनता युवा मोर्चा के 1997 से 2003 तक

राजस्थान विधानसभा में विधायक बने 2003 से 2013 तक 3 बार

2014 और 2018 में लोकसभा सीट कोटा से सांसद बने

पारिवारिक पृष्ठभूमि

ओम बिरला का जन्म 23 नवंबर 1962 को हुआ बड़ेला के पिता श्री कृष्ण बिरला और माता स्वर्गीय शकुंतला देवी हैं ओम बिरला का विवाह 1991 में डॉ अमिता बिरला से हुई. ओम बिरला की दो बेटियां आकांक्षा और अंजलि बिरला है.मोदी के करीबी और वसुंधरा के विरोधी गुट के माने जाते हैं. वहीं ओम बिरला को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का विश्वस्त माना जाता रहा है. राजस्थान विधानसभा में भी उन्हें अपनी वाकपटुता के लिए जाना जाता रहा है. और विधानसभा में भी वह मुद्दे बेहतरीन तरीके से उठाते रहे यही कारण है कि अब भाजपा को लगता है कि पूरे लोकसभा को वह आसानी से हैंडल कर सकते हैं.वहीं राजस्थान की राजनीति में भी ओम बिरला को वसुंधरा राजे के विरोधी गुट का माना जाता है.

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जयपुर. देश की लोकसभा के सबसे महत्वपूर्ण पद स्पीकर पर राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिरला का नाम लगभग तय हो चुका है. अगर ऐसा होता है तो ओम बिरला राजस्थान के पहले सांसद होंगे जो लोकसभा के सर्वोच्च पद पर आसीन होंगे. 



आपको बता दें कि बिरला तीन बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं. जिन्हें मोदी का करीबी और राजस्थान में वसुंधरा के विरोधी मोदी गुट का माना जाता है. ओम बिरला की राजनीतिक शुरुआत में पहले वह एबीवीपी के साथ जुड़े और 1979 स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने. जहां से बिरला का सफर शुरू हुआ. जो  भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा से होता हुए लोकसभा के सर्वोच्च पद पर पहुंच रहा है. 



ओम बिरला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के इतन करीबी है कि बिरला ने साल 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को चुनावों की रिपोर्ट तैयार करवा कर दी थी.वहीं भाजपा के गैर विवादित चेहरे रहे है और किसी विवाद में ना पडे़.  इसके लिए पहले इन्होनें राजस्थान भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अशोक परनामी के कार्यकाल में उपाध्यक्ष बनने से इंकार किया था.  वहीं बाद में जब राजस्थान में जब 74 दिनों तक अध्यक्ष बनने का विवाद चला तो ओम बिरला को भी अध्यक्ष बनाने की चर्चा थी, लेकिन उन्होने इसके लिए भी इंकार कर दिया था. हालांकि इन्हें वसुन्धरा राजे के विरोधी गूट का माना जाता है लेकिन कभी भी इनके नाम से कोई विवाद सामने नही आया.



 स्टूडेंट पॉलिटिक्स से युवा मोर्चा से होते हुए पहुंचे लोकसभा

ओम बिरला अपने शुरुआती दिनों में छात्र राजनीति से जुड़े है.  इस दौरान एबीवीपी टिकट पर 1989 में कोटा में स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने. इसके बाद लगातार वह भारतीय जनता युवा मोर्चा में सक्रिय है. इसके बाद ओम बिरला भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने और जिसके बाद और राष्ट्रीय जनता युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष भी बने.ओम बिरला की राजनीतिक शुरुआत विधायक के तौर पर साल 2003 में हुई जब कोटा साउथ से उन्होंने शांति धारीवाल को चुनाव हराया 2003 में उन्हें राजस्थान में संसदीय सचिव भी बनाया गया था. इसके बाद वह साल 2008 और साल 2013 में भी विधायक बने, हालांकि साल 2013 में कोटा में ओम बिरला विधायक बन गए थे, लेकिन साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें कोटा से प्रत्याशी बनाया गया. ऐसे में उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और दो लाख से ज्यादा मतों से कांग्रेस के प्रत्याशी इज्यराज सिंह पर जीत दर्ज की इसके बाद ओम बिरला दिल्ली के हो गए और एक बार फिर से उन्हें भाजपा ने कोटा लोकसभा से अपना प्रत्याशी बनाया और उन्होंने पार्टी के सही ठहराते हुए बड़ी जीत दर्ज की.



यह रहा बिरला का राजनीतिक कैरियर

भारतीय जनता युवा मोर्चा के कोटा के अध्यक्ष रहे 1987 से 1991 तक

भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने 1993 से 1997 तक

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने भारतीय जनता युवा मोर्चा के 1997 से 2003 तक

राजस्थान विधानसभा में विधायक बने 2003 से 2013 तक 3 बार

2014 और 2018 में लोकसभा सीट कोटा से सांसद बने



पारिवारिक पृष्ठभूमि

ओम बिरला का जन्म 23 नवंबर 1962 को हुआ बड़ेला के पिता श्री कृष्ण बिरला और माता स्वर्गीय शकुंतला देवी हैं ओम बिरला का विवाह 1991 में डॉ अमिता बिरला से हुई. ओम बिरला की दो बेटियां आकांक्षा और अंजलि बिरला है.मोदी के करीबी और वसुंधरा के विरोधी गुट के माने जाते हैं. वहीं ओम बिरला को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का विश्वस्त माना जाता रहा है. राजस्थान विधानसभा में भी उन्हें अपनी वाकपटुता के लिए जाना जाता रहा है. और विधानसभा में भी वह मुद्दे बेहतरीन तरीके से उठाते रहे यही कारण है कि अब भाजपा को लगता है कि पूरे लोकसभा को वह आसानी से हैंडल कर सकते हैं.वहीं राजस्थान की राजनीति में भी ओम बिरला को वसुंधरा राजे के विरोधी गुट का माना जाता है.


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