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राजस्थान के इस गांव से कुछ सीखना चाहिए...36 कौम के लोग एक ही कुएं से भरते हैं पानी - कानिया गांव

जहां देश में वर्तमान दौर में छोटी-छोटी बात को लेकर सांप्रदायिकता का रूप ले लेती है. वहीं सांप्रदायिकता से भिन्न भीलवाड़ा जिले का कानिया गांव कौमी एकता की अनूठी मिसाल पेश कर रहा है. जहां गांव के एक ही कुएं से 36 जाति बिरादरी के लोग कुएं से पानी भरते हैं और गांव में आपसी भाईचारे से रहते हैं.

सांप्रदायिकता की अनूठी मिसाल पेश कर रहा है कानियां गांव
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Published : May 11, 2019, 11:36 AM IST

भीलवाड़ा."मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना " यह कहावत भीलवाड़ा के एक गांव पर सच्ची बैठती है. जी हां, भीलवाड़ा जिला मुख्यालय से 115 किलोमीटर दूर हुरडा पंचायत समिति की कानिया ग्राम पंचायत में एक ही कुएं से सभी जाति धर्म के लोग पानी भरते हैं. जो कि कौमी एकता की अनूठी मिसाल है.

सांप्रदायिकता की अनूठी मिसाल पेश कर रहा है कानिया गांव

बता दें कि कानिया गांव में एक तालाब की तलहटी में एक कुआं हैं. जो लगभग 60 फीट गहरा है. इस कुएं में गर्मी के मौसम में मीठा पानी उपलब्ध रहता है. इसके अलावा गांव में पेयजल का अन्य कोई साधन नहीं है. लेकिन अब कुएं में कम पानी होने के कारण लोगों को काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. कुएं में पानी की कमी के कारण रात को भी महिलाएं पानी निकालती हैं और अपनी बारी का इंतजार करती हैं.

इन ग्रामीण महिलाओं का दर्द जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम कानिया गांव पहुंची. जहां महिलाओं ने बताया कि हम सभी समाज की महिलाएं संगठित और एक होकर रहती है और हम कभी मजहब के नाम पर और जातिवाद के नाम पर लड़ाई नहीं लड़ते हैं .यहां हम हिंदू ,मुस्लिम, सिख ,ईसाई और दलित सभी धर्म की महिलाएं एक ही कुएं से पानी भरती हैं.

36 कौम के लोग पानी भरते हैं

कानिया गांव की महिला रुकमा देवी ने कहा कि पानी की बहुत कमी है. एक लीटर पानी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है और यहां 36 कौम के लोग पानी भरते हैं. हमारी मांग है कि हमारे को पानी की उपलब्ध करवाया जाए .गांव की अनीशा बानो ने कहा कि मैं पढ़ाई करती हूं लेकिन पढ़ने से पहले पानी ले जाना बहुत जरूरी है. इसलिए मैं घर पानी लेकर जा रही हूं.

राजनेता सिर्फ मतदान के समय ही करते हैं पानी के वादे

गांव के अल्पसंख्यक समाज के आदमी ने कहा कि यहां सभी समाज के लोग पानी भरते हैं. राजनेता सिर्फ मतदान के समय ही कहते हैं पानी के वादे करते हैं लेकिन मतदान के बाद वह अपने वादे से मुकर जाते हैं और हम ग्राम वासियों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है . हम सिर्फ एक खून में विश्वास करते हैं यहां कभी लड़ाई नहीं होती है.

भीलवाड़ा."मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना " यह कहावत भीलवाड़ा के एक गांव पर सच्ची बैठती है. जी हां, भीलवाड़ा जिला मुख्यालय से 115 किलोमीटर दूर हुरडा पंचायत समिति की कानिया ग्राम पंचायत में एक ही कुएं से सभी जाति धर्म के लोग पानी भरते हैं. जो कि कौमी एकता की अनूठी मिसाल है.

सांप्रदायिकता की अनूठी मिसाल पेश कर रहा है कानिया गांव

बता दें कि कानिया गांव में एक तालाब की तलहटी में एक कुआं हैं. जो लगभग 60 फीट गहरा है. इस कुएं में गर्मी के मौसम में मीठा पानी उपलब्ध रहता है. इसके अलावा गांव में पेयजल का अन्य कोई साधन नहीं है. लेकिन अब कुएं में कम पानी होने के कारण लोगों को काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. कुएं में पानी की कमी के कारण रात को भी महिलाएं पानी निकालती हैं और अपनी बारी का इंतजार करती हैं.

इन ग्रामीण महिलाओं का दर्द जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम कानिया गांव पहुंची. जहां महिलाओं ने बताया कि हम सभी समाज की महिलाएं संगठित और एक होकर रहती है और हम कभी मजहब के नाम पर और जातिवाद के नाम पर लड़ाई नहीं लड़ते हैं .यहां हम हिंदू ,मुस्लिम, सिख ,ईसाई और दलित सभी धर्म की महिलाएं एक ही कुएं से पानी भरती हैं.

36 कौम के लोग पानी भरते हैं

कानिया गांव की महिला रुकमा देवी ने कहा कि पानी की बहुत कमी है. एक लीटर पानी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है और यहां 36 कौम के लोग पानी भरते हैं. हमारी मांग है कि हमारे को पानी की उपलब्ध करवाया जाए .गांव की अनीशा बानो ने कहा कि मैं पढ़ाई करती हूं लेकिन पढ़ने से पहले पानी ले जाना बहुत जरूरी है. इसलिए मैं घर पानी लेकर जा रही हूं.

राजनेता सिर्फ मतदान के समय ही करते हैं पानी के वादे

गांव के अल्पसंख्यक समाज के आदमी ने कहा कि यहां सभी समाज के लोग पानी भरते हैं. राजनेता सिर्फ मतदान के समय ही कहते हैं पानी के वादे करते हैं लेकिन मतदान के बाद वह अपने वादे से मुकर जाते हैं और हम ग्राम वासियों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है . हम सिर्फ एक खून में विश्वास करते हैं यहां कभी लड़ाई नहीं होती है.

Intro:सांप्रदायिकता की अनूठी मिसाल पेश कर रहा है कानियां गांव

छत्तीसी कौम के लोग एक ही कुए से भरते हैं पानी

राजनेता सिर्फ चुनाव के समय करके जाते हैं वादे फिर मुकर जाते हैं वादों से

भीलवाड़ा - जहां देश में वर्तमान दौर में छोटी-छोटी बात को लेकर सांप्रदायिकता का रूप ले लेती है वही सांप्रदायिकता से भिन्न भीलवाड़ा जिले का कानियां गांव कौमी एकता की अनूठी मिसाल पेश कर रहा है । जहां गांव के एक ही कुए से 36 ही जाति बिरादरी के लोग कुएं से पानी भरते हैं और गांव में आपसी भाईचारे से रहते हैं।


Body:"मजहब नहीं सिखाता है आपस में बैर रखना " यही कहावत चरितार्थ कर रही भीलवाड़ा जिला मुख्यालय से 115 किलोमीटर दूर हुरडा पंचायत समिति की कानियां ग्राम पंचायत । जहां गांव मे एक ही कुए से सभी जाति धर्म के लोग पानी भर कर कौमी एकता की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं।

वीओ - प्रदेश में वर्तमान दौर में छोटी-छोटी बात को लेकर सांप्रदायिकता का रूप ले लेती है । सवाईमाधोपुर में भी सांप्रदायिकता की घटना हुई वह भीलवाड़ा जिले के हमीरगढ़ कस्बे में भी गुरुवार देर रात्रि डीजे बचाने को लेकर विवाद हुआ जिसमें चाकूबाजी की घटना हुई । इन घटनाओं के विपरीत भीलवाड़ा जिले का कानियां गांव सांप्रदायिकता की अनूठी मिसाल पेश कर रहा है । कानिया गांव में ग्राम पंचायत के पास स्थित तालाब की तलहटी में एक कुआं स्थित है। जो लगभग 60 फीट गहरा है । इस कुऐ में ही गर्मी की ऋतु में मीठा पानी उपलब्ध रहता है । इसके अलावा गांव में पेयजल की अन्य कोई साधन नहीं है । कुऐ मे कम पानी होने के कारण भी लोगों को काफी कठिन समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्र की समस्त महिलाएं रस्सी और डोली से दिन रात पानी निकाल कर अपने घर के लोगों की प्यास बुझाती हैं ।कुएं में पानी की कमी के कारण रात को भी महिलाएं पानी निकालती है और अपनी बारी का इंतजार करती है। कुए की गहराई में बहुत कम पानी होने के कारण पानी की बाल्टी भी कुऐ से आधी आधी भर कर आती है ।
इन ग्रामीण महिलाओं का दर्द जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा जिला मुख्यालय से कानियां गांव पहुंची। जहां महिलाओं ने ईटीवी भारत के सामने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि हम जैसी हालत तो राजस्थान में और गांव में महिलाओं की नहीं होगी। हम सभी समाज की महिलाएं संगठित और एक होकर रहती है और हम कभी मजहब के नाम पर और जातिवाद के नाम पर कभी लड़ाई नहीं लड़ते हैं । यहां हम हिंदू ,मुस्लिम सिख ,ईसाई व दलित सभी धर्म की महिलाएं एक ही कुए से पानी भर्ती हैं।

वीओ- कानियां गांव की महिला रुकमा देवी का पानी को लेकर दर्द छलक पड़ा रुकमा देवी ने कहा कि पानी की बहुत कमी है। एक 1 लीटर पानी के लिए हमारे को घंटों इंतजार करना पड़ता है। हम खाना पकाना छोड़ या पानी का इंतजार करते हैं और यहा 36 ही कौम के लोग पानी भरते हैं । हमारी मांग है कि हमारे को पानी की उपलब्ध करवाया जाए गांव में बोरिंग करवाया जाए जिससे हम प्यास बुझा सके।

वही गांव की अनीशा बानो ने कहा कि मैं पढ़ाई करती हूं लेकिन पढ़ने से पहले पानी ले जाना बहुत जरूरी है इसलिए मैं घर पानी लेकर जा रही हूं।

गांव के अल्पसंख्यक समाज के आदमी ने कहा की यहा सभी समाज के लोग पानी भरते हैं राजनेता सिर्फ मतदान के समय ही कहते हैं पानी के वादे करते हैं लेकिन मतदान के बाद वह अपने वादे से मुकर जाते हैं और हम ग्राम वासियों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है और हम सब सांप्रदायिकता नहीं बढ़ाते हैं । हम सिर्फ एक खून में विश्वास करते हैं यहा कभी लड़ाई नहीं होती है हम सब का खुन है एक खून के नारे के साथ ही हम एक कुवे से पानी पढ़ते हैं।






Conclusion:अब देखना यह होगा कि कानियां गांव जैसी सीख अगर देश और प्रदेश के अन्य गांवों के लोग भी अपने जीवन में उतार ले तो देश और प्रदेश में छोटी-छोटी बातों पर सांप्रदायिकता का रूप नहीं ले लेती है ।अब दूसरे गांव के लोग कानियां से सीख लेते हैं या नहीं।

सोम दत्त त्रिपाठी ईटीवी भारत भीलवाड़ा

ओपनिंग पीटीसी- सोमदत त्रिपाठी

बाईट - रूकमा देवी, हिन्दू महिला
अनिसा बानु, अध्यनरत छात्रा
युवा
बुर्जग
क्लोजिंग पीटीसी - सोमदत त्रिपाठी
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