भीलवाड़ा. वन विभाग की ओर से हाल ही में हुई वन्य जीव की गणना में पिछले वर्ष की तुलना में कहीं वन्यजीवों में बढ़ोतरी हुई तो कई वन्यजीवों में कमी पाई गई. भीलवाड़ा जिले में पिछले वर्ष एक भी पैंथर नहीं दिखाई दिया लेकिन इस बार भीलवाड़ा जिले के आसींद, मांडलगढ़, बिजोलिया, करेड़ा और बदनोर क्षेत्र में सभी जगह मिलाकर कुल 10 पैंथर दिखाई दिए.
वन विभाग के उप वन संरक्षक ज्ञानचंद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि जिले में पैंथर के संरक्षण के लिए वन सुरक्षा समितियों की ओर से विशेष कार्य किए जाएंगे ताकि पैथर को प्यास बुझाने के लिए आबादी क्षेत्र में नहीं आना पड़े.
पैंथर की मौजूदगी वाले क्षेत्रों में लोगों को सतर्कता और सुरक्षित करने के प्रयास होंगे. साथ ही वन क्षेत्र में जल स्रोत ठीक करने और टांके मे पानी से लबालब रखने, टांके पर सुरक्षा दीवार बनाने के कार्य विभागीय बजट के साथ ही वन सुरक्षा समिति के सहयोग से किया जाएगा.
जिले में इस बार वन्यजीव गणना में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष कुछ वन्यजीवों में बढ़ोतरी हुई है तो वहीं कुछ मे कमी हुई है. पैथर पिछले वर्ष बिल्कुल नहीं दिखाई दिया इस बार दिखा. जरख पिछले वर्ष 15 दिखे जबकि इस बार 28 दिखे. जंगली बिल्ली पिछले वर्ष 16 थी इस वर्ष 47 दिखाई दी. नीलगाय इस बार नहीं दिखी.
वन्य जीवों की तुलना
- पैंथर की संख्या 2018 में एक भी नहीं, इस बार 10
- जरख की संख्या 2018 में 15, इस बार 28
- भालू की संख्या 2018 में 2, इस बार 6
- जंगली बिल्ली की संख्या 2018 में 16, इस बार 47
- चिंकारा की संख्या 2018 में 263, इस बार 265
- सियार की संख्या 2018 में 761, इस बार 657
- बिज्जू की संख्या 2018 में 7, इस बार 36
- मोर की संख्या 2018 में 824, इस बार 805
- लोमड़ी की संख्या 2018 में 143, इस बार 46
- भेडिया की संख्या 2018 में 18, इस बार 13
अब देखना यह होगा कि जिस वन्यजीव की गत वर्ष 2018 की तुलना में कमी हुई है. उसकी बढ़ोतरी के लिए वन विभाग क्या प्रयास करता है.