बूंदी. हेडकांस्टेबल का आरोप है कि पुलिस लाइन के आरआई (एलओ) हेमाराम, मेजर हेडकांस्टेबल केदारसिंह और गोपाल चौपदार ने उसे इतना प्रताड़ित कर रखा है कि जांच कराकर कार्रवाई की जाए नहीं तो उसे वीआरएस दे दी जाए. बता दें कि उसे 3 साल में उसे बेवजह 2 बार सस्पेंड करवा दिया गया.
हेडकांस्टेबल कमल प्रकाश ने एसपी को दिए परिवाद में लिखा है कि वह वर्ष 1999-2001 से 2013-14 तक एसपी और कलेक्टर का गनमैन रहा. प्रमोशन के कारण उसकी ड्यूटी पुलिस लाइन में रही. यहां उसे आरआई (एलओ), दोनों एचसी ने बिना कारण दो बार सस्पेंड करा दिया. फिर तत्कालीन एसपी आदर्श सिद्दू से मांग कर अपनी ड्यूटी कंट्रोल रूम में लगवा ली. जहां 13-14 महीने तक ड्यूटी कर रहा था. वहां भी एलओ हेमाराम रात 2 बजे पहुंच गया और बेवजह गैरहाजिरी लगा दी जबकि मैंने शादी का हवला देकर उनको भी आमंत्रित किया था. वह चाहते तो मेरी 12 बजे गैर हाजरी लगा सकते थे लेकिन उन्होंने रात के 2 बजे गैर हाजरी लगाई और कहा कि एसपी साहब से आमद लेकर आओ.
कमल ने आगे लिखा है कि फिर पुलिस लाइन में ड्यूटी पर ये लोग प्रताड़ित करने लगे. करीब 15 दिन से तो इतना परेशान कर दिया कि नौकरी छोड़कर चला जाऊं या कोई गलत कदम उठाने पर मजबूर हो जाऊं. मुझे नौकरी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ रहा है. मेरी चार साल की ड्यूटी की जांच करा लें, साथ ही इन तीनों की भी जांच कराएं, जो भी दोषी हो, कार्रवाई की जाए. ऐसा नहीं कर सकते तो 24 घंटे में वीआरएस देने की स्वीकृती फरमाएं.
ईटीवी से बातचीत में हेडकांस्टेबल कमल प्रकाश ने कहा कि अब हालात बर्दाश्त से बाहर हो चुके हैं. वह कोई भी गलत कदम उठा लेगा तो उसके जिम्मेदार ये तीनों होंगे. पूरे पुलिस लाइन के जवान भी इनसे दुखी हैं, पर अनुशासन में बंधे होने के कारण अपनी बात कह नहीं पा रहे. उन्होंने कहा कि जवान को जवान नहीं, चपरासी माना जाता है. उसके आत्मसम्मान को बार-बार कुचला जाता है.
आपको बता दें कि इस मामले में एसपी ममता गुप्ता भी मीडिया के सामने नहीं आ रही है और विभागीय जांच करवाकर मामले को टालने में जुटी हुई हैं.