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वन्यजीवों की गणना: पानी पीने आए...गर्मी में सुस्ताए...सूर्यास्त के बाद बस इंतजार ही इंतजार

बांसवाड़ा में वन्यजीवों की गणना का दौर शनिवार सुबह से शुरू हो गया. सुबह 8:00 बजे से ही वन विभाग के कर्मचारियों के साथ वन्यजीव प्रेमियों की टीमें चिह्नित किए गए वाटर फॉल प्वाइंट पर पहुंच गई. हालांकि शाम तक पैंथर आदि की मूवमेंट नजर नहीं आई. वहीं, विभाग के कर्मचारियों को जानवरों के लिए काफी इंतजार करना पड़ा.

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Published : May 19, 2019, 11:01 AM IST

बांसवाड़ा में वन्यजीवों की गणना शुरू

बांसवाड़ा. वन्यजीवों की गणना का दौर शनिवार सुबह से जिले भर में शुरू हुई जो रविवार को खत्म हो गई. शहर के निकट भंडारिया हनुमान जी मंदिर के पास वॉच टावर बनाया गया है. यहां विभाग के कर्मचारी मुस्तैदी से वॉटर फॉल पर टकटकी लगाए नजर आए. इस दौरान कर्मचारियों का काफी इंतजार करना पड़ा. सुबह 8:00 बजे से 11:00 बजे तक छोटे बड़े वन्यजीव की वॉटर फॉल पर उपस्थिति देखी गई. वहीं, बंदरों के दो बड़े समूह ने यहां पर अपनी प्यास बुझाई और काफी समय तक अठखेलियां की.

बांसवाड़ा में वन्यजीवों की गणना शुरू

इस दौरान राष्ट्रीय पक्षी मोर के समूह भी तालाब की तरफ आते दिखाई दिए. कुछ समय बाद नीलगाय का जोड़ा भी पहुंचा. लेकिन सुबह 11:00 बजे बाद तालाब के पास सन्नाटा छा गया. विभाग के कर्मचारी हालांकि भीषण गर्मी में भी मचान पर डटे रहे. शाम 5:00 बजे बाद वातावरण में कुछ ठंडक के बाद वन्य जीव प्रेमी भी वाटर फॉल प्वाइंटों पर पहुंचने लगे. वहीं शाम तक पैंथर की मूवमेंट भी नजर नहीं आई. दोपहर में सहायक उप वन संरक्षक शैद्दा हुसैन टीम के साथ पहुंचे और व्यवस्थाओं की जानकारी ली.

प्रत्यक्ष आंखों से होती है गणना

उप वन संरक्षक सुगनाराम जाट के अनुसार इसे वन्यजीवों की गणना के स्थान पर उनकी संख्या का एसेसमेंट कहना ठीक रहेगा, क्योंकि यह अनुमानित ही होता है. वॉटर फॉल सिस्टम से खुले वन में इस प्रकार वन्यजीवों की गणना की जाती है. अप्रैल, मई और जून इन 3 महीनों के दौरान प्राकृतिक जल स्रोतों में अधिकांश सूख जाते हैं और वन्यजीवों के पास पानी पीने के लिए विकल्प कम हो जाते हैं.

ऐसे में चुनिंदा पेयजल स्त्रोतों पर लगातार 24 घंटे तक टीमों की ओर से वाचिंग रखी जाती है.पग मार्क के अलावा उनके मल मूत्र आदि से भी मूवमेंट का अनुमान लगाया जाता है लेकिन इसके लिए संबंधित वन कर्मी के पिछले 1 साल के दौरान वन्य जीव के मूवमेंट के नॉलेज को भी साथ रखकर एसेसमेंट किया जाता है.

बांसवाड़ा. वन्यजीवों की गणना का दौर शनिवार सुबह से जिले भर में शुरू हुई जो रविवार को खत्म हो गई. शहर के निकट भंडारिया हनुमान जी मंदिर के पास वॉच टावर बनाया गया है. यहां विभाग के कर्मचारी मुस्तैदी से वॉटर फॉल पर टकटकी लगाए नजर आए. इस दौरान कर्मचारियों का काफी इंतजार करना पड़ा. सुबह 8:00 बजे से 11:00 बजे तक छोटे बड़े वन्यजीव की वॉटर फॉल पर उपस्थिति देखी गई. वहीं, बंदरों के दो बड़े समूह ने यहां पर अपनी प्यास बुझाई और काफी समय तक अठखेलियां की.

बांसवाड़ा में वन्यजीवों की गणना शुरू

इस दौरान राष्ट्रीय पक्षी मोर के समूह भी तालाब की तरफ आते दिखाई दिए. कुछ समय बाद नीलगाय का जोड़ा भी पहुंचा. लेकिन सुबह 11:00 बजे बाद तालाब के पास सन्नाटा छा गया. विभाग के कर्मचारी हालांकि भीषण गर्मी में भी मचान पर डटे रहे. शाम 5:00 बजे बाद वातावरण में कुछ ठंडक के बाद वन्य जीव प्रेमी भी वाटर फॉल प्वाइंटों पर पहुंचने लगे. वहीं शाम तक पैंथर की मूवमेंट भी नजर नहीं आई. दोपहर में सहायक उप वन संरक्षक शैद्दा हुसैन टीम के साथ पहुंचे और व्यवस्थाओं की जानकारी ली.

प्रत्यक्ष आंखों से होती है गणना

उप वन संरक्षक सुगनाराम जाट के अनुसार इसे वन्यजीवों की गणना के स्थान पर उनकी संख्या का एसेसमेंट कहना ठीक रहेगा, क्योंकि यह अनुमानित ही होता है. वॉटर फॉल सिस्टम से खुले वन में इस प्रकार वन्यजीवों की गणना की जाती है. अप्रैल, मई और जून इन 3 महीनों के दौरान प्राकृतिक जल स्रोतों में अधिकांश सूख जाते हैं और वन्यजीवों के पास पानी पीने के लिए विकल्प कम हो जाते हैं.

ऐसे में चुनिंदा पेयजल स्त्रोतों पर लगातार 24 घंटे तक टीमों की ओर से वाचिंग रखी जाती है.पग मार्क के अलावा उनके मल मूत्र आदि से भी मूवमेंट का अनुमान लगाया जाता है लेकिन इसके लिए संबंधित वन कर्मी के पिछले 1 साल के दौरान वन्य जीव के मूवमेंट के नॉलेज को भी साथ रखकर एसेसमेंट किया जाता है.

Intro:बांसवाड़ाl वन्यजीवों की गणना का दौर शनिवार सुबह जिलेभर में शुरू हो गयाl सुबह 8:00 बजे से ही वन विभाग के कर्मचारियों के साथ वन्यजीव प्रेमियों की टीमें चिन्हित किए गए वाटर हॉल प्वाइंट पर पहुंच गईl हालांकि शाम तक पैंथर आदि की मूवमेंट नजर नहीं आईl शहर के निकट भंडारिया हनुमान जी मंदिर के पास वॉच टावर बनाया गया हैl यहां विभाग के कर्मचारी मुस्तैदी से वॉटरहोल पर टकटकी लगाए नजर आएl सुबह 8:00 बजे से 11:00 बजे तक छोटे बड़े वन्य जीव की वॉटर हॉल पर उपस्थिति देखी गईl


Body:बंदरों के दो बड़े समूह ने यहां पर अपनी प्यास बुझाई और काफी समय तक अठखेलियां कीl इस दौरान राष्ट्रीय पक्षी मोर के समूह भी पोंड की तरफ आते दिखाई दिएl कुछ समय बाद नीलगाय का जोड़ा भी पहुंचा जो अपनी प्यास बुझाने के बाद घने जंगल की ओर निकल गयाl सुबह 11:00 बजे बाद पौंड पर एक प्रकार से सन्नाटा ही छा गयाl पशु पक्षियों का कलरव तक बंद हो गयाl विभाग के कर्मचारी हालांकि भीषण गर्मी में भी मचान पर डटे रहेl शाम 5:00 बजे बाद वातावरण में कुछ ठंडक जाने के बाद वन्य जीव प्रेमी भी वाटर होल प्वाइंटों पर पहुंचने लगेl


Conclusion:यहां पर दो रोज पहले सूर्यास्त के बाद एक पैंथर की मूवमेंट देखी गई थी ऐसे में टीम को पैंथर के वॉटरहोल पर पहुंचने की संभावना दिख रही थीl इसके चलते 6:00 बजे बाद से ही टीम के सदस्य मचान पर मुस्तैदी से पैंथर का इंतजार करने लगे लेकिन रात 9:30 बजे तक पैंथर ने निराश ही कियाl चांद को बादलों द्वारा ढक लिया गया ऐसे में आशा के मुताबिक अंधेरा नहीं छठ पाया l इस कारण करीब डेढ़ सौ फीट दूर वाटर हाल पर आने वाले 1 जीवों की संख्या का भी अंदाजा लगाना मुश्किल हो गयाl यहां पर दोपहर में सहायक उप वन संरक्षक शैद्दा हुसैन टीम के साथ पहुंचे और व्यवस्थाओं की जानकारी लीl
प्रत्यक्ष आंखों से होती है गणना
उप वन संरक्षक सुगनाराम जाट के अनुसार इसे वन्यजीवों की गणना के स्थान पर उनकी संख्या का एसेसमेंट कहना ठीक रहेगा क्योंकि यह अनुमानित ही होता है। वॉटरहोल सिस्टम से खुले वन में इस प्रकार वन्यजीवों की गणना की जाती है। अप्रैल मई और जून इन 3 महीनों के दौरान प्राकृतिक जल स्रोतों में अधिकांश सूख जाते हैं और वन्यजीवों के पास पानी पीने के लिए विकल्प कम हो जाते हैं। ऐसे में चुनिंदा पेयजल स्त्रोतों पर लगातार 24 घंटे तक टीमों द्वारा वाचिंग रखी जाती है। टीम हर एक वन्य जीव की संख्या को फॉर्मेट में दर्ज करती है। इसके अलावा कई बार निर्धारित अवधि के दौरान वन्य जीव पेजर स्त्रोतों पर नहीं पहुंचते ऐसे में हम लोग इनडायरेक्ट प्रेजेंटेशन वाले तरीकों को भी अपनाते हैं। पग मार्क के अलावा उनके मल मूत्र आदि से भी मूवमेंट का अनुमान लगाया जाता है लेकिन इसके लिए संबंधित वन कर्मी के पिछले 1 साल के दौरान वन्य जीव के मूवमेंट के नॉलेज को भी साथ रखकर एसेसमेंट किया जाता है।

बाइट उप वन संरक्षक सुगनाराम जाट
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