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MDS विश्वविद्यालय के अड़ियल रवैये से छात्राएं परेशान...आत्महत्या की दी चेतावनी - अजमेर

अजमेर में विश्वविद्यालय के अड़ियल रवैये के कारण 10 छात्राओं का भविष्य दांव पर लगा है. हताश छात्राओं ने अब आत्महत्या की चेतावनी दी है.

एमडीएस विश्वविद्यालय के अड़ियल रवैये से 10 छात्राएं परेशान
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Published : May 4, 2019, 10:31 AM IST

अजमरे. एमडीएस विश्वविद्यालय बजाए छात्राओं की पीड़ा को समझने के उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई की बात कर रहा है. मामला अजमेर में एमडीएस विश्वविद्यालय से जुड़े कुचामन सिटी के बीआर काबरा महिला शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान का है. दरअसल छात्राओं ने वर्ष 2018 में सेकंड ईयर की परीक्षा दी. लेकिन इनकी ओएमआर शीट जांचना और उसके अंक विश्वविद्यालयों को भेजना कॉलेज भूल गया. नतीजा इन छात्राओं को विश्वविद्यालय ने परीक्षा में अनुपस्थित माना. अब यह छात्राएं पिछले कुछ महीनों से कॉलेज और विश्वविद्यालय के चक्कर लगा रही है. लेकिन इनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है. जिससे परेशान होकर अब इन छात्राओं ने आत्महत्या करने की चेतावनी दी है.

इस पूरे मामले में विश्वविद्यालय परीक्षा नियंत्रक एस दत्ता का अपना तर्क है. उनका कहना है कि इस पूरे मामले में छात्राओं का कोई दोष नहीं है. लेकिन नियमों का हवाला देते हुए इस मामले में इन छात्राओं की मदद से उन्होंने साफ इंकार किया है. अब इन छात्राओं को यह परीक्षा इस साल दोबारा देनी होगी. जिसकी वजह से छात्राओं का पूरा एक साल बर्बाद हो जाएगा.

एमडीएस विश्वविद्यालय के अड़ियल रवैये से 10 छात्राएं परेशान
दूसरी तरफ परेशान छात्रों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है. उनका आरोप है कि जो गलती उन्होंने की नहीं तो फिर उस गलती की सजा भुगते क्यो. परेशान छात्राएं अब अपने खराब होते साल का हवाला देते हुए आत्महत्या करने की चेतावनी दे रही हैं. इस पूरे मामले का एक खास पहलू यह भी है कि कॉलेज की गलती से केवल इन 10 छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं हुआ है. विश्वविद्यालय के संबंधित 13 और कॉलेज ऐसे हैं. जिनके 50 विद्यार्थियों के भविष्य के साथ इसी तरह का खिलवाड़ हुआ है.

अजमरे. एमडीएस विश्वविद्यालय बजाए छात्राओं की पीड़ा को समझने के उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई की बात कर रहा है. मामला अजमेर में एमडीएस विश्वविद्यालय से जुड़े कुचामन सिटी के बीआर काबरा महिला शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान का है. दरअसल छात्राओं ने वर्ष 2018 में सेकंड ईयर की परीक्षा दी. लेकिन इनकी ओएमआर शीट जांचना और उसके अंक विश्वविद्यालयों को भेजना कॉलेज भूल गया. नतीजा इन छात्राओं को विश्वविद्यालय ने परीक्षा में अनुपस्थित माना. अब यह छात्राएं पिछले कुछ महीनों से कॉलेज और विश्वविद्यालय के चक्कर लगा रही है. लेकिन इनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है. जिससे परेशान होकर अब इन छात्राओं ने आत्महत्या करने की चेतावनी दी है.

इस पूरे मामले में विश्वविद्यालय परीक्षा नियंत्रक एस दत्ता का अपना तर्क है. उनका कहना है कि इस पूरे मामले में छात्राओं का कोई दोष नहीं है. लेकिन नियमों का हवाला देते हुए इस मामले में इन छात्राओं की मदद से उन्होंने साफ इंकार किया है. अब इन छात्राओं को यह परीक्षा इस साल दोबारा देनी होगी. जिसकी वजह से छात्राओं का पूरा एक साल बर्बाद हो जाएगा.

एमडीएस विश्वविद्यालय के अड़ियल रवैये से 10 छात्राएं परेशान
दूसरी तरफ परेशान छात्रों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है. उनका आरोप है कि जो गलती उन्होंने की नहीं तो फिर उस गलती की सजा भुगते क्यो. परेशान छात्राएं अब अपने खराब होते साल का हवाला देते हुए आत्महत्या करने की चेतावनी दे रही हैं. इस पूरे मामले का एक खास पहलू यह भी है कि कॉलेज की गलती से केवल इन 10 छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं हुआ है. विश्वविद्यालय के संबंधित 13 और कॉलेज ऐसे हैं. जिनके 50 विद्यार्थियों के भविष्य के साथ इसी तरह का खिलवाड़ हुआ है.
Intro:अजमेर/ गलती कॉलेज की और विश्वविद्यालय का अड़ियल रवैया दांव पर लगा है दस छात्राओं का भविष्य नतीजा अब हताश छात्र अब दे रही है आत्महत्या की चेतावनी लेकिन गंभीर बात यह है कि विश्वविद्यालय बजाए छात्राओ की पीड़ा को समझने के उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई की बातें कर रहा है मामला अजमेर में एमडीएस विश्वविद्यालय से जुड़े कुचामन सिटी के बी आर काबरा महिला शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान का है




Body:अजमेर के एमडीएस विश्वविद्यालय में जमा यह तमाम छात्राएं नागौर जिले के कुचामन सिटी के बी आर काबरा महिला शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की छात्राये है इन छात्राओं ने वर्ष 2018 में सेकंड ईयर की परीक्षा दी लेकिन इनकी ओएमआर शीट जांचना और उसके अंक विश्वविद्यालयों को भेजना कॉलेज भूल गया

नतीजा इन छात्राओं को विश्वविद्यालय ने परीक्षा में अनुपस्थित माना अब यह छात्राएं पिछले कुछ महीनों से कॉलेज और विश्वविद्यालय के चक्कर लगा रही है लेकिन विश्वविद्यालय परीक्षा नियंत्रक एस दत्ता का अपना तर्क है व मानते हैं कि इस पूरे मामले में छात्राओं का कोई दोष नहीं है लेकिन नियमों का हवाला देते हुए इस मामले में इन छात्राओं की मदद से उन्होंने साफ इंकार किया है यानी सीधे तौर पर बात करें तो इन छात्राओं को यह परीक्षा इस साल दोबारा देनी होगी कुल मिला कर बात करें तो छात्राओं का पूरा एक साल बर्बाद हो जाएगा

दूसरी तरफ परेशान छात्रों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है उनका आरोप है कि जो गलती उन्होंने की नहीं तो फिर उस गलती की सजा भुगते क्यो परेशान छात्राएं अब अपने खराब होते साल का हवाला देते हुए आत्महत्या करने की चेतावनी दे रही है


Conclusion:इस मामले में विश्वविद्यालय से कॉलेज के खिलाफ कार्रवाई और छात्रओ के प्रति नरमी की उम्मीद मानवीय आधार पर की जा सकती थी लेकिन विश्वविद्यालय परीक्षा के बजाएं मानवीय पहलू को समझने के उल्टा छात्राओं को कार्रवाई की धमकी दे डाली


इस पूरे मामले का एक खास पहलू यह भी है कि कॉलेज की गलती से केवल इन 10 छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं हुआ है विश्वविद्यालय के संबंध 13 कॉलेज ऐसे है जिनके 50 विद्यार्थियों के भविष्य के साथ इसी तरह का खिलवाड़ हुआ है
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