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बूंदी के नैनवां गांव में महिलाएं बनी कोरोना योद्धा, बखूबी निभा रही अपनी जिम्मेदारियां

जिले के नैनवां उपखंड के जजावर पीएचसी की 8 महिलाओं की टीम ने कोरोना फाइटर बनकर गांव की सेवा में अपना योगदान दे रही हैं. इन महिलाओं ने करीब 20 हजार लोगों की कोरोना से सुरक्षा का जिम्मा उठाते हुए अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं.

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बूंदी के नैनवां गांव में महिलाएं बनी कोरोना फाइटर
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Published : Jun 14, 2020, 8:52 PM IST

नैनवां (बूंदी). वर्तमान समय में पूरा देश कोरोना के भय और कहर से जूझ रहा है. वहीं, हमारे देश के जांबाज कोरोना फाइटर बनकर अपनी जान को खतरे में डालकर देश को कोरोना महामारी से बचाने में लगे हुए हैं. ऐसा ही एक मामला नैनवां उपखंड के जजावर पीएचसी में सामने आया है. जहां 8 महिला शक्ति ने पुरुषों से भी आगे बढ़कर तीन पंचायतों के करीब 20 हजार लोगों की कोरोना से सुरक्षा का जिम्मा उठाया है.

बूंदी के नैनवां गांव में महिलाएं बनी कोरोना फाइटर

जिले के नैनवां उपखंड के जजावर पीएचसी की 8 महिलाओं की टीम ने कोरोना फाइटर बनकर गांव की सेवा में अपना योगदान दे रही हैं. पीएचसी की चिकित्सा अधिकारी डॉ. नम्रता शर्मा ने अपनी महिला टीम कर्मचारियों के साथ कोरोना वायरस के कहर से तीन पंचायत बाछोला, जजावर और सीसोला को कोरोना से सुरक्षित रखने के लिए 3 महीनों से लगातार 24 घंटे गांवों में जाकर बाहर से आए प्रवासी लोगों की स्क्रीनिंग कर उन्हें होम आइसोलेट करने का काम कर रही हैं.

पढ़ेंः बूंदी में आयोजित किया गया कोरोना वॉरियर्स सम्मान समारोह

जजावर पीएचसी चिकित्सा अधिकारी डॉ. नम्रता शर्मा ने जब पीएचसी में कार्यभार संभाला तब उन्हें लगा कि जजावर पीएचसी क्षेत्र के लोगों में शिक्षा का अभाव है. जिससे यहां के लोगों का रुझान दवा से ज्यादा अंधविश्वास में है. समय पर उचित चिकित्सा परामर्श ना मिलने की कमी ने ग्रामीणों को झाड़-फूंक की ओर धकेल दिया है. वहीं चिकित्सालय में समय पर उपचार मिलने से और ग्रामीणों को उन्हीं की भाषा में दवाओं से होने वाले नुकसान की उचित जानकारी देने के हुनर और उनकी मेहनत ने अपना रंग दिखाया. जिसके बाद ग्रामीणों को जजावर पीएचसी की ओर रूख करना पड़ा.

टीमवर्क बनाकर किया कर्तव्यों का पालन

डॉ. नम्रता शर्मा ने बताया कि उनके साथ उनकी टीम में 1 महिला जीएनएम, 1 फार्मासिस्ट, 1 लैब टेक्नीशियन, 1 कम्प्युटर ऑपरेटर 1 एएनएम, 2 वार्ड बॉय और 2 सफाई कर्मचारी शामिल हैं. जो इस कोरोना काल में 3 महीनों से पूरी टीम के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपने निजी स्वार्थ और परिवार को छोड़कर पीएचसी क्षेत्र को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी निभा रही हैं.

पढ़ेंः अलवर: कोरोना सैम्पलिंग को लेकर विवाद, खुद आगे आए जागरूक युवाओं को डॉक्टर्स धमका रहे

इन महिलाओं की टीम ने रखा जजावर क्षेत्र को सुरक्षित

एलएचवी के पद पर कार्यरत प्रियंका चौधरी की मदद से चिकित्सा अधिकारी ने प्रसव के कई जटिल मामले भी पीएचसी में ही करवाए है. दूसरी ओर एएनएम निकिता मान अपनी 9 महीनों की दुधमुंही बच्ची को 150 किलोमीटर दूर दादा दादी के पास छोड़कर 3 महीनों से घर नहीं गई. अपनी बच्ची का पहला जन्मदिन होने पर भी अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता देते हुए नहीं गई.

लोगों को जागरूक कर कोरोना का भय निकाला

डॉ. नम्रता शर्मा ने बताया की ग्रामीणों में कोरोना के प्रति जागरूकता की कमी ने उनके काम में सबसे पहले रुकावट डाली. इस पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को साथ लेकर उन्होंने एक जागरूकता अभियान चलाया और अपने स्टाफ के साथ ग्रामीणों को जागरूक करने में जुट गई.

पढ़ेंः चितौड़गढ़: सरकार की छूट लेकिन नहीं खुले सांवलियाजी के बाजार, 5 हजार लोग बेरोजगार

पीएचसी में लॉकडाउन के दोरान 60 से अधिक गूंजी किलकारी

लॉकडाउन के दौरान जजावर पीएचसी में 60 से अधिक सुरक्षित प्रसव हुए. महिला चिकित्सक की मौजूदगी और संजीदगी ने लॉकडाउन समय में महिलाओं को पीएचसी में प्रसव की पूरी सुविधा उपलब्ध करवाई गई. जिससे महिलाओं और उनके परिवार को जिला चिकित्सालय के चक्कर नहीं लगाने पड़े.

क्वॉरेंटाइन पर दिया विशेष ध्यान

पीएचसी क्षेत्र में बाहर से आए प्रवासी व्यक्तियों पर विशेष ध्यान देकर उन्हें नियम अनुसार क्वॉरेंटाइन और होम आइसोलेट किया गया. इस काम में पीएचसी कर्मचारियों की मदद ग्रामीण और प्रशासन ने की.

नैनवां (बूंदी). वर्तमान समय में पूरा देश कोरोना के भय और कहर से जूझ रहा है. वहीं, हमारे देश के जांबाज कोरोना फाइटर बनकर अपनी जान को खतरे में डालकर देश को कोरोना महामारी से बचाने में लगे हुए हैं. ऐसा ही एक मामला नैनवां उपखंड के जजावर पीएचसी में सामने आया है. जहां 8 महिला शक्ति ने पुरुषों से भी आगे बढ़कर तीन पंचायतों के करीब 20 हजार लोगों की कोरोना से सुरक्षा का जिम्मा उठाया है.

बूंदी के नैनवां गांव में महिलाएं बनी कोरोना फाइटर

जिले के नैनवां उपखंड के जजावर पीएचसी की 8 महिलाओं की टीम ने कोरोना फाइटर बनकर गांव की सेवा में अपना योगदान दे रही हैं. पीएचसी की चिकित्सा अधिकारी डॉ. नम्रता शर्मा ने अपनी महिला टीम कर्मचारियों के साथ कोरोना वायरस के कहर से तीन पंचायत बाछोला, जजावर और सीसोला को कोरोना से सुरक्षित रखने के लिए 3 महीनों से लगातार 24 घंटे गांवों में जाकर बाहर से आए प्रवासी लोगों की स्क्रीनिंग कर उन्हें होम आइसोलेट करने का काम कर रही हैं.

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जजावर पीएचसी चिकित्सा अधिकारी डॉ. नम्रता शर्मा ने जब पीएचसी में कार्यभार संभाला तब उन्हें लगा कि जजावर पीएचसी क्षेत्र के लोगों में शिक्षा का अभाव है. जिससे यहां के लोगों का रुझान दवा से ज्यादा अंधविश्वास में है. समय पर उचित चिकित्सा परामर्श ना मिलने की कमी ने ग्रामीणों को झाड़-फूंक की ओर धकेल दिया है. वहीं चिकित्सालय में समय पर उपचार मिलने से और ग्रामीणों को उन्हीं की भाषा में दवाओं से होने वाले नुकसान की उचित जानकारी देने के हुनर और उनकी मेहनत ने अपना रंग दिखाया. जिसके बाद ग्रामीणों को जजावर पीएचसी की ओर रूख करना पड़ा.

टीमवर्क बनाकर किया कर्तव्यों का पालन

डॉ. नम्रता शर्मा ने बताया कि उनके साथ उनकी टीम में 1 महिला जीएनएम, 1 फार्मासिस्ट, 1 लैब टेक्नीशियन, 1 कम्प्युटर ऑपरेटर 1 एएनएम, 2 वार्ड बॉय और 2 सफाई कर्मचारी शामिल हैं. जो इस कोरोना काल में 3 महीनों से पूरी टीम के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपने निजी स्वार्थ और परिवार को छोड़कर पीएचसी क्षेत्र को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी निभा रही हैं.

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इन महिलाओं की टीम ने रखा जजावर क्षेत्र को सुरक्षित

एलएचवी के पद पर कार्यरत प्रियंका चौधरी की मदद से चिकित्सा अधिकारी ने प्रसव के कई जटिल मामले भी पीएचसी में ही करवाए है. दूसरी ओर एएनएम निकिता मान अपनी 9 महीनों की दुधमुंही बच्ची को 150 किलोमीटर दूर दादा दादी के पास छोड़कर 3 महीनों से घर नहीं गई. अपनी बच्ची का पहला जन्मदिन होने पर भी अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता देते हुए नहीं गई.

लोगों को जागरूक कर कोरोना का भय निकाला

डॉ. नम्रता शर्मा ने बताया की ग्रामीणों में कोरोना के प्रति जागरूकता की कमी ने उनके काम में सबसे पहले रुकावट डाली. इस पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को साथ लेकर उन्होंने एक जागरूकता अभियान चलाया और अपने स्टाफ के साथ ग्रामीणों को जागरूक करने में जुट गई.

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पीएचसी में लॉकडाउन के दोरान 60 से अधिक गूंजी किलकारी

लॉकडाउन के दौरान जजावर पीएचसी में 60 से अधिक सुरक्षित प्रसव हुए. महिला चिकित्सक की मौजूदगी और संजीदगी ने लॉकडाउन समय में महिलाओं को पीएचसी में प्रसव की पूरी सुविधा उपलब्ध करवाई गई. जिससे महिलाओं और उनके परिवार को जिला चिकित्सालय के चक्कर नहीं लगाने पड़े.

क्वॉरेंटाइन पर दिया विशेष ध्यान

पीएचसी क्षेत्र में बाहर से आए प्रवासी व्यक्तियों पर विशेष ध्यान देकर उन्हें नियम अनुसार क्वॉरेंटाइन और होम आइसोलेट किया गया. इस काम में पीएचसी कर्मचारियों की मदद ग्रामीण और प्रशासन ने की.

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